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===ब्रह्म पुराण===
===ब्रह्म पुराण===
यह ब्रह्म या ब्राह्म पुराण के नाम से विख्यात है। इसे समस्त पुराणों में आदि या आद्य पुराण के रूप में परिगणित किया गया है। विष्णुपुराण इस तथ्य की पुष्टि करता है और स्वयं ब्रह्मपुराण में भी इसे अग्रिम पुराण का पद प्रदान किया गय है।
यह ब्रह्म या ब्राह्म पुराण के नाम से विख्यात है। इसे समस्त पुराणों में आदि या आद्य पुराण के रूप में परिगणित किया गया है। विष्णुपुराण इस तथ्य की पुष्टि करता है और स्वयं ब्रह्मपुराण में भी इसे अग्रिम पुराण का पद प्रदान किया गय है।
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ब्रह्मपुराण में भारतवर्षकी महिमा तथा भगवन्नामका अलौकिक माहात्म्य, सूर्य आदि ग्रहों एवं लोकोंकी स्थिति एवं भगवान् विष्णुके परब्रह्म स्वरूप और प्रभावका वर्णन है।<ref>[https://archive.org/details/brahma-puran-gita-press-gorakhpur/page/n5/mode/1up संक्षिप्त ब्रह्मपुराण], भूमिका, गीताप्रेस गोरखपुर (पृ० १)।</ref>
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* देवी पार्वती का अनुपम चरित्र और उनकी धर्मनिष्ठा
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* गौतमी तथा गंगाका माहात्म्य
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* गोदावरी-स्नानका फल और अनेक तीर्थोंके माहात्म्य, व्रत, अनुष्ठान, दान तथा श्राद्ध आदिका महत्त्व इसमें विस्तारसे वर्णित है।
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* अच्छे-बुरे कर्मोंका फल, स्वर्ग-नरक और वैकुण्ठादिका भी विशद वर्णन
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* ब्रह्मपुराण में अनेक ऐसी शिक्षाप्रद, कल्याणकारी, रोचक कथाएँ हैं, जो मनुष्य-जीवनको उन्नत बनानेमें सहायक एवं उपयोगी सिद्ध होंगीं।
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* योग और सांख्यकी सूक्ष्म चर्चाके साथ, गृहस्थोचित सदाचार तथा कर्तव्याकर्तव्य आदिका निरूपण भी इसमें किया गया है।
===पद्मपुराण===
===पद्मपुराण===
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*विद्वानों की मान्यता है कि कुछ परवर्ती पुराण बोपदेव जी ने लिखे हैं, किन्तु महापुराण महर्षि व्यास के द्वारा ही लिखे गए हैं।
*विद्वानों की मान्यता है कि कुछ परवर्ती पुराण बोपदेव जी ने लिखे हैं, किन्तु महापुराण महर्षि व्यास के द्वारा ही लिखे गए हैं।
*पुराणों में अनेक विषयों का संकलन प्राप्त होता है, अपितु महापुराण में कुछ चयनित विषयों का ही विस्तार से वर्णन प्राप्त होता है।
*पुराणों में अनेक विषयों का संकलन प्राप्त होता है, अपितु महापुराण में कुछ चयनित विषयों का ही विस्तार से वर्णन प्राप्त होता है।
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*पुराण अनन्त ज्ञान राशि के भण्डार हैं। इनके श्रवण, मनन, पठन, पारायण और अनुशीलनसे अन्तःकरणकी परिशुद्धिके साथ, विषयोंसे विरक्ति, वैराग्यमें प्रवृत्ति तथा भगवान् में स्वाभाविक रति (अनुरागा भक्ति) उत्पन्न होती है।
==महापुराणों में वर्ण्यविषय==
==महापुराणों में वर्ण्यविषय==