इस उपनिषद् में प्रश्नों के द्वारा ज्ञान का वर्णन किया गया है। प्रश्नोपनिषद् में जिज्ञासुओं द्वारा महर्षिओं पिप्पलाद से पूछे छः प्रश्न और उनके उत्तरों का वर्णन है। इसमें पिप्पलाद ऋषि के द्वारा प्रश्नों के उत्तर दिये गए हैं। प्रश्न उपनिषद् गुरु-शिष्य संवाद के रूप में है। सुकेशा , सत्यकाम , कौशल्य , गार्ग्य ये ब्रह्मज्ञान के जिज्ञासु पिप्पलाद ऋषि के समीप हाथ में समीधा लेकर उपस्थित होते हैं और उनसे अनेक प्रकार के प्रश्न करते हैं, जो परम्परा से या साक्षात् ब्रह्मज्ञान के संबंध में हैं। इस उपनिषद् में प्राण की उत्पत्ति , स्थिति , पंच प्राणों का क्रम अक्षर ब्रह्म के ज्ञान का फल , १६ कलायुक्त पुरुष की जिज्ञासा आदि विषयों का वर्णन हुआ है।<ref name=":0" /> | इस उपनिषद् में प्रश्नों के द्वारा ज्ञान का वर्णन किया गया है। प्रश्नोपनिषद् में जिज्ञासुओं द्वारा महर्षिओं पिप्पलाद से पूछे छः प्रश्न और उनके उत्तरों का वर्णन है। इसमें पिप्पलाद ऋषि के द्वारा प्रश्नों के उत्तर दिये गए हैं। प्रश्न उपनिषद् गुरु-शिष्य संवाद के रूप में है। सुकेशा , सत्यकाम , कौशल्य , गार्ग्य ये ब्रह्मज्ञान के जिज्ञासु पिप्पलाद ऋषि के समीप हाथ में समीधा लेकर उपस्थित होते हैं और उनसे अनेक प्रकार के प्रश्न करते हैं, जो परम्परा से या साक्षात् ब्रह्मज्ञान के संबंध में हैं। इस उपनिषद् में प्राण की उत्पत्ति , स्थिति , पंच प्राणों का क्रम अक्षर ब्रह्म के ज्ञान का फल , १६ कलायुक्त पुरुष की जिज्ञासा आदि विषयों का वर्णन हुआ है।<ref name=":0" /> |