Changes

Jump to navigation Jump to search
सुधार जारि
Line 96: Line 96:  
द्वितीय प्रकार से हम अपने देश का निर्धारण देशान्तरों के माध्यम से करते हैं कि कल्पना की है। इसके अन्तर्गत इनमें से एक वृत्त को मानक भूमध्य देशान्तर मानकर उससे पूर्व या पश्चिम कितने अंशादि पर अपना स्थान अथवा देश है इसका ज्ञान किया जाता है। किसी स्थान की सटीक स्थिति को उस स्थान के अक्षांश व देशान्तर की मदद से जान सकते हैं। किसी स्थान को अक्षांशधरातल पर उस स्थान की उत्तर-दक्षिण स्थिति को बताता है। यहाँ हम अक्षांश व देशान्तर को विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं।<ref name=":1" />
 
द्वितीय प्रकार से हम अपने देश का निर्धारण देशान्तरों के माध्यम से करते हैं कि कल्पना की है। इसके अन्तर्गत इनमें से एक वृत्त को मानक भूमध्य देशान्तर मानकर उससे पूर्व या पश्चिम कितने अंशादि पर अपना स्थान अथवा देश है इसका ज्ञान किया जाता है। किसी स्थान की सटीक स्थिति को उस स्थान के अक्षांश व देशान्तर की मदद से जान सकते हैं। किसी स्थान को अक्षांशधरातल पर उस स्थान की उत्तर-दक्षिण स्थिति को बताता है। यहाँ हम अक्षांश व देशान्तर को विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं।<ref name=":1" />
 
===अक्षांश विचार===
 
===अक्षांश विचार===
 +
पूर्व से पश्चिम की तरफ पृथ्वी को घेरते हुए पूरी गोलाई में यदि पृथ्वी के उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुवों वाले भागों में समान दूरी पर रेखायें खीची जायें तो इनको अक्षांश (Latitude) कहा जाता है। इन अक्षांशों की सहायता से किसी व्यक्ति का स्थान भूमध्य रेखा अथवा विषुवत रेखा कितनी दूरी पर है? यह जान सकते हैं।
 +
 +
इसी के अनुसार लग्न आदि समस्त गणनायें की जाती हैं तथा पंचांग आदि बनाये जाते हैं। सामान्यतया हम  ये समझते हैं कि भूमध्यरेखा ०॰ अक्षांश रेखा है। अतः इसे ही निरक्षदेश कहते हैं। भूमध्यरेखा के समीप स्थित सभी स्थानों का राशि उदयमान बराबर रहता है। हम इस विषुवत रेखा से जैसे उत्तर अथवा दक्षिण दिशा की तरफ जाते हैं वैसे-वैसे उन स्थानों के राशि उदयमान में परिवर्तन आता जाता है।
 +
 
===देशान्तर विचार===
 
===देशान्तर विचार===
 +
देशान्तर का अर्थ होता है दो रेखा देशों का अन्तर। देश का अर्थ यहां स्थान है न कि राजनैतिक मानचित्र पर
 +
 +
दर्शाया गया कोई देश। इस तरह सामान्य परिभाषा के आधार पर देशान्तर का अर्थ दो स्थानों का अन्तर है। यह देशान्तर दो प्रकार का होता है- १ , पूर्व- पश्चिम, जिसे हम पूर्वापर देशान्तर कहते हैं तथा दूसरा दक्षिण-उत्तर जिसे याम्योत्तर देशान्तर कहते हैं। पूर्वापर देशान्तर का ज्ञान अक्षांश द्वारा किया जाता है। रेखांश या देशान्तर रेखाएँ वे होती हैं जो रेखायें पृथ्वी पर उत्तरी ध्रुव से प्रारम्भ होकर भूमध्य रेखा को खडी काटती हुई दक्षिणी ध्रुव तक जाती है।
 +
 
==काल की अवधारणा==
 
==काल की अवधारणा==
 
यास्कानुसार काल वह शक्ति है जो सबको गति देती है। संसार में गति अथवा कर्म का मूलाधार काल ही है क्योंकि कोई भी गति या कर्म किसी काल में ही किया जाता है, चाहे वह सूक्ष्म हो या व्यापक हो। वस्तुतः ज्योतिषशास्त्र काल विधायक शास्त्र है, इसका मुख्य आधार ही कालगणना है। जन्मकुण्डली निर्माण से लेकर मुहूर्त शोधन व समष्टि गत शुभाशुभ का विचार तक इसी काल के सूक्ष्मातिसूक्ष्म एवं स्थूल दोनों रूपों द्वारा होता है अर्थात् सर्वत्र काल गणना ही आधार है।
 
यास्कानुसार काल वह शक्ति है जो सबको गति देती है। संसार में गति अथवा कर्म का मूलाधार काल ही है क्योंकि कोई भी गति या कर्म किसी काल में ही किया जाता है, चाहे वह सूक्ष्म हो या व्यापक हो। वस्तुतः ज्योतिषशास्त्र काल विधायक शास्त्र है, इसका मुख्य आधार ही कालगणना है। जन्मकुण्डली निर्माण से लेकर मुहूर्त शोधन व समष्टि गत शुभाशुभ का विचार तक इसी काल के सूक्ष्मातिसूक्ष्म एवं स्थूल दोनों रूपों द्वारा होता है अर्थात् सर्वत्र काल गणना ही आधार है।
925

edits

Navigation menu