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| यदि किसी जल में साबुन घिसने पर झाग पैदा नहीं होती हे। साबुन से दहीं जैसा सफेद पदार्थ बन जाता है तो उसे कठोर जल कहते हैं। ऐसा इसमें उपस्थित मेग्नीशियम और कैल्शियम के लवणों के कारण होता है। समुद्र का जल, झील का जल तथा खुले कुँओं से प्राप्त जल प्रायः कठोर जल होता है। | | यदि किसी जल में साबुन घिसने पर झाग पैदा नहीं होती हे। साबुन से दहीं जैसा सफेद पदार्थ बन जाता है तो उसे कठोर जल कहते हैं। ऐसा इसमें उपस्थित मेग्नीशियम और कैल्शियम के लवणों के कारण होता है। समुद्र का जल, झील का जल तथा खुले कुँओं से प्राप्त जल प्रायः कठोर जल होता है। |
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− | === जल की कठोरता दूर करने के उपाय ===
| + | == जल की कठोरता दूर करने के उपाय == |
| कठोर जल में साधारण नमक अथवा कैल्शियम के लवणों के घुले होने के कारण जल का स्वाद अच्छा होता है। इसलिए इसे पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि इसका उपयोग औषधि अथवा रसायनिक क्षेत्र के उद्योगों में नहीं किया जा सकता, क्योंकि वहां ऐसे शुद्ध जल की आवश्यकता होती है जिसमें कोई भी अशुद्धि न घुली हो। | | कठोर जल में साधारण नमक अथवा कैल्शियम के लवणों के घुले होने के कारण जल का स्वाद अच्छा होता है। इसलिए इसे पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि इसका उपयोग औषधि अथवा रसायनिक क्षेत्र के उद्योगों में नहीं किया जा सकता, क्योंकि वहां ऐसे शुद्ध जल की आवश्यकता होती है जिसमें कोई भी अशुद्धि न घुली हो। |
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| * स्थायी कठोरता। | | * स्थायी कठोरता। |
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| + | === अस्थायी कठोरता : === |
| + | ऐसी कठोरता जो जल में घुले कैल्शियम एवं मैग्नीशियम के बाई-कार्बोनेट लवणों के कारण होती हे, अस्थायी कठोरता कहलाती है। इस प्रकार की कठोरता को जल को उच्च ताप पर उबालकर आसानी से दूर किया जा सकता है। गर्म करने से बाई-कार्बोनेट लवण अघुलनशील कार्बोनेट लवणों के रूप में अवक्षेपित हो जाते हैं। लवण नीचे बैठ जाते हैं और फिर इनको छानकर आसानी से अगल किया जा सकता हे। |
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| + | === स्थायी कठोरता : === |
| + | ऐसी कठोरता जल में कैल्शियम एवं मेग्नीशियम में क्लोराइड और सलफेट लवणों के घुले होने के कारण होती हे। इसको साध रणतः उबालकर दूर नहीं किया जा सकता। इसको विशेष रसायनिक उपचारों द्वारा दूर करते हैं, जैसे कि - |
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− | | + | * धावन (वाशिंग) सोडा द्वारा : जब कठोर जल में धावन सोडा मिलाते हैं, तो उसमें सल्फेट तथा क्लोराइड लवणों की घुली हुई अशुद्धियाँ अघुलनशील कार्बोनेट लवणों में बदल जाती हैं। अघुलनशील लवणों को छानकर अलग कर लेते हैं। इस प्रकार इन अशुद्धियों को दूर कर लेते हैं। निम्नांकित पर ध्यान दीजिए। |
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− | 1. अस्थायी कठोरता : ऐसी कठोरता जो जल में घुले कैल्शियम एवं
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− | मैग्नीशियम के बाई-कार्बोनेट लवणों के कारण होती हे, अस्थायी कठोरता
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− | कहलाती है। इस प्रकार की कठोरता को जल को उच्च ताप पर उबालकर
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− | आसानी से दूर किया जा सकता है। गर्म करने से बाई-कार्बोनेट लवण
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− | अघुलनशील कार्बोनेट लवणों के रूप में अवक्षेपित हो जाते हैं। लवण नीचे बैठ
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− | जाते हैं और फिर इनको छानकर आसानी से अगल किया जा सकता हे।
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− | 2. स्थायी कठोरता : ऐसी कठोरता जल में कैल्शियम एवं मेग्नीशियम में
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− | विज्ञान, स्तर-'क'
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− | क्लोराइड और सलफेट लवणों के घुले होने के कारण होती हे। इसको साध
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− | रणतः उबालकर दूर नहीं किया जा सकता। इसको विशेष रसायनिक उपचारों
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− | द्वारा दूर करते हैं, जैसे कि -
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− | (क) धावन (वाशिंग) सोडा द्वारा : जब कठोर जल में धावन सोडा मिलाते
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− | हैं, तो उसमें सल्फेट तथा क्लोराइड लवणों की घुली हुई अशुद्धियाँ अघुलनशील | |
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− | कार्बोनेट लवणों में बदल जाती हैं। अघुलनशील लवणों को छानकर अलग कर | |
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− | लेते हैं। इस प्रकार इन अशुद्धियों को दूर कर लेते हैं। निम्नांकित पर ध्यान | |
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− | दीजिए। | |
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| सोडियम कार्बोनेट मैग्नीशियम क्लोराइड | | सोडियम कार्बोनेट मैग्नीशियम क्लोराइड |
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| सोडियम क्लोराइड मेग्नीशियम कार्बोनेट | | सोडियम क्लोराइड मेग्नीशियम कार्बोनेट |
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| (घुलनशील) (अघुलनशील) | | (घुलनशील) (अघुलनशील) |
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− | जल में अशुद्धि के रूप में यदि सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक) घुला | + | जल में अशुद्धि के रूप में यदि सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक) घुला होता है तो उससे जल में कठोरता उत्पन्न नहीं होती है। |
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− | होता है तो उससे जल में कठोरता उत्पन्न नहीं होती है। | |
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− | (ख) परम्यूटिट विधि द्वारा (जियोलाइड के उपयोग से) : जियोलाइट में
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− | सोडियम और एलुमीनियम के ऑक्साइड बालू के कण और पानी होता है। जब
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− | कठोर जल को परम्यूटिड (जियोलाइट) के फिल्टर से गुजारते हैं तो लवणों
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− | के कैल्शियम एवं मैग्नीशियम आयन जियोलाइट से जुड़ जाते हैं और
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− | जियोलाइट के सोडियम आयन पानी में चले जाते हैं। इस प्रकार प्राप्त जल
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− | कठोर नहीं होता है।
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− | 1. यदि मेरी बाल्टी का पानी साबुन के साथ झाग न बनाकर, दही जेसा
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− | पदार्थ बनाता हे तो वह (क) मृदु जल है या कठोर जल (ख) तालाब
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− | से लिया गया होगा या ढके हुए कुएं से।
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− | मुक्त बेसिक शिक्षा - भारतीय ज्ञान परम्परा
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− | टिप्पणी
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− | टिप्पणी
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− | 4.
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− | 5.
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− | यदि जल की कठोरता उबालने से दूर हो जाये तो :
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− | (क) यह स्थायी कठोरता कहलायेगी या अस्थायी?
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− | (ख) उस जल में कैल्शियम क्लोराइड घुला होगा या कैल्शियम
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− | बाई-कार्बोनेट?.
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− | कठोर जल को हम निम्नलिखित में से किस-किस उपयोग में ला सकते
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− | हैं:
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− | (क) कपडे धोने में (ख) पीने के
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− | (ग) उद्योगों के (घ) औषधि निर्माण में।
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− | अस्थायी कठोरता दूर करने की दो विधियों क॑ नाम लिखिए।
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− | जल में नमक घोलने से क्या यह कठोर जल हो जाता हे?
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− | अपने दैनिक जीवन में हम अधिकतर नल या कुएं से जल का उपयोग करते
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− | हैं। क्या आप जानते हैं कि वह शुद्ध जल होता है या नहीं? यह जानने के लिए
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− | आइए, शुद्ध जल के गुणों का अध्ययन करते हैं :
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− | 1.
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− | शुद्ध जल रंगहीन एवं पारदर्शी द्रव है परन्तु आपने देखा होगा कि
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− | कभी-कभी गहरे जल को देखने पर वह नीला सा प्रतीत होता हे। ऐसा
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− | प्रतीत होना प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण होता हे।
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− | शुद्ध जल गन्धहीन होता हे। दूषित जल से दुर्गन्ध आती हे। यह उसमें
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− | घुली गंदगी के कारण होता है।
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− | शुद्ध जल स्वादहीन होता है, परन्तु किसी-किसी स्थान का पानी स्वादिष्ट
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− | होता है। क्या आप जानते हैं, ऐसा क्यों? ऐसा उसमें घुली हुई गेसों तथा
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− | कुछ खनिज लवणों के कारण होता है।
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− | विज्ञान, स्तर-'क'
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− | र
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− | झीलों एवं तालाबों के रुके हुए जल में रोगाणु अनुकूल परिस्थितियां पाते
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− | हैं। हवा तथा मिट्टी में उपस्थित ये रोगाणु नदियों के पानी के माध्यम से
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− | एक जगह से दूसरी जगह पहुँच जाते हैं। ऐसा होने से जल प्रदूषित हो
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− | जाता है और पीने योग्य नहीं होता है। अतः जल को प्रयोग करने से पहले
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− | उसकी जाँच अवश्य कर लेनी चाहिए।
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− | टिप्पणी
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− | 4. जल गर्म करने पर पतला तथा ठण्डा कराने पर गाढा नहीं होता। यदि जल
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− | गर्म करने पर पतला तथा ठण्डा करने पर गाढा होने लगे तो कल्पना
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− | कीजिए जीवों एवं पादपों का क्या होगा?
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− | 5. जल दृश्य-प्रकाश के लिए पारदर्शी होता है। प्रकाश-किरणें जल में बहुत
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− | गहराई तक जा सकती है। इसीलिए हम जल में गहराई तक देख सकते
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− | हैं। अनेक जलीय जीवों का जीवन जल में सम्भव हे। बताइए जल
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− | पारदर्शी न होता तो क्या होता?
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− | 6. जल बहुत से पदार्थो के लिए एक अच्छा विलायक है। इसीलिए हम
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− | इसका उपयोग औषधि निर्माण एवं अनेक रासायनिक उद्योगों में करते हेै।
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− | जल यदि विलायक न होता हो क्या होता? बताइए।
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− | 7. शून्य डिग्री तापक्रम तक ठण्डा करने पर जल बफ (ठोस) में बदल जाता
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− | है। बर्फ गर्म होने पर पुनः शून्य पर ही द्रव अवस्था में बदलने लगती है।
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− | यह ताप जिस पर बर्फ पुनः जल में बदलती है, बर्फ का गलनांक
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− | कहलाता है। परन्तु जल में अशुद्धियाँ घुली होने के कारण बर्फ का
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− | गलनांक घट जाता है।
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− | 8. शुद्ध जल को ( ) तक गर्म करने पर वह उबलने लगता हे और गैसीय
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− | अवस्था में (भाप में) बदल जाता है। इस ताप को जल का क्वथनांक
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− | कहते हैं। शुद्ध जल के लिए यह ( ) होता है। परन्तु जल में अशुद्धियाँ
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− | घुली होने के कारण क्वथनांक बढ़ जाता है। इसका मतलब हे कि अशुद्ध
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− | पानी ( ) से कुछ अधिक तापक्रम पर उबलता हे।
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− | मुक्त बेसिक शिक्षा - भारतीय ज्ञान परम्परा EE
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− | 9१. साधारणतः ठोस अवस्था में पदार्थ का घनत्व उसकी द्रव अवस्था के
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− | घनत्व से अधिक होता है। लेकिन जल के ठोस रूप, बर्फ का घनत्व, द्रव
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− | जल से कम होता हे। इसी कारण बर्फ जल के ऊपर तेरती हे।
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− | सामान्य ताप (कमरे का ताप) ( ) से अधिक होने पर पिघलने पर प्राप्त
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− | जल तापक्रम साधारणतः बढ़ता जाता हे और ( ) पर इसका घनत्व अधि
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− | कतम हो जाता है। क्योंकि ( ) से अधिक तापक्रम तक और गर्म करने
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− | पर जल का घनत्व घटने लगता है। अतः () से ऊपर और नीचे जल का
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− | घनत्व कम हो जाता है। इसी गुण के कारण ठण्डे प्रदेशों में जाडे के दिनों
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− | में बर्फ जमने पर भी वहाँ पर जलीय जीव जीवित बने रहते हैं।
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− | 10. जल सर्वविलायक होता है, क्योंकि पानी में अधिकतर पदाउसमक जमत)
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− | विद्युत का कुचालक होता है। अर्थात आसुत जल से विद्युत प्रवाहित नहीं
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− | हो सकती हे।
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− | 5.5 जल का शोधन
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− | पृथ्वी पर उपलब्ध सम्पूर्ण जल पीने योग्य नहीं है। पीने योग्य जल पारदर्शक,
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− | रंगहीन, गंधहीन तथा कुछ लवण तथा गैसों के घुले होने के कारण स्वादिष्ट
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− | द्रव होता है। यदि इसमें कोई अशुद्धि नहीं घुली हो तो शुद्ध जल स्वादहीन होता
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− | है। परन्तु झील, नदी, कुओं तथा अन्य स्रोतों से प्राप्त जल शुद्ध नहीं होता।
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− | इसमें कुछ अवांछित पदार्थ घुले होते हैं तथा इसमें कुछ हानिकारक सुक्ष्मजीव
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− | भी होते हैं। अब सवाल उठता हे कि ऐसे अशुद्ध जल को शुद्ध कैसे किया
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− | जाए? इसके लिए हम कई विधियां अपनाते हैं। आइए उन विधियों का
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− | अध्ययन करें :
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− | 1. आसवन विधि : आसवन वह क्रिया है, जिसके द्वारा जल का शोधन
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− | आसानी से किया जा सकता हे। जल की कुछ मात्रा एक प्याली में लें और
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− | उसके उसके क्वथनांक तक गर्म करें। गर्म करने पर जल में मौजूद जीवाणु
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− | विज्ञान, स्तर-'क'
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− | चित्र 5.1 जल शोधन
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− | और रोगाणु नष्ट हो जाते हैं एवं जल, वाष्प में परिवर्तित हो जाता है। जल में
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− | लम्बित तेल के कण एवं उसमें घुले खनिज लवण प्याली में ही रह जाते हे।
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| + | * परम्यूटिट विधि द्वारा (जियोलाइड के उपयोग से) : जियोलाइट में सोडियम और एलुमीनियम के ऑक्साइड बालू के कण और पानी होता है। जब कठोर जल को परम्यूटिड (जियोलाइट) के फिल्टर से गुजारते हैं तो लवणों के कैल्शियम एवं मैग्नीशियम आयन जियोलाइट से जुड़ जाते हैं और जियोलाइट के सोडियम आयन पानी में चले जाते हैं। इस प्रकार प्राप्त जल कठोर नहीं होता है। |
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| + | == जल के गुण == |
| + | अपने दैनिक जीवन में हम अधिकतर नल या कुएं से जल का उपयोग करते हैं। क्या आप जानते हैं कि वह शुद्ध जल होता है या नहीं? यह जानने के लिए आइए, शुद्ध जल के गुणों का अध्ययन करते हैं : |
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| + | # शुद्ध जल रंगहीन एवं पारदर्शी द्रव है परन्तु आपने देखा होगा कि कभी-कभी गहरे जल को देखने पर वह नीला सा प्रतीत होता हे। ऐसा प्रतीत होना प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण होता हे। |
| + | # शुद्ध जल गन्धहीन होता हे। दूषित जल से दुर्गन्ध आती हे। यह उसमें घुली गंदगी के कारण होता है। |
| + | # शुद्ध जल स्वादहीन होता है, परन्तु किसी-किसी स्थान का पानी स्वादिष्ट होता है। क्या आप जानते हैं, ऐसा क्यों? ऐसा उसमें घुली हुई गेसों तथा कुछ खनिज लवणों के कारण होता है। झीलों एवं तालाबों के रुके हुए जल में रोगाणु अनुकूल परिस्थितियां पाते हैं। हवा तथा मिट्टी में उपस्थित ये रोगाणु नदियों के पानी के माध्यम से एक जगह से दूसरी जगह पहुँच जाते हैं। ऐसा होने से जल प्रदूषित हो जाता है और पीने योग्य नहीं होता है। अतः जल को प्रयोग करने से पहले उसकी जाँच अवश्य कर लेनी चाहिए। |
| + | # जल गर्म करने पर पतला तथा ठण्डा कराने पर गाढा नहीं होता। यदि जल गर्म करने पर पतला तथा ठण्डा करने पर गाढा होने लगे तो कल्पना कीजिए जीवों एवं पादपों का क्या होगा? |
| + | # . जल दृश्य-प्रकाश के लिए पारदर्शी होता है। प्रकाश-किरणें जल में बहुत गहराई तक जा सकती है। इसीलिए हम जल में गहराई तक देख सकते हैं। अनेक जलीय जीवों का जीवन जल में सम्भव हे। बताइए जल पारदर्शी न होता तो क्या होता? |
| + | # जल बहुत से पदार्थो के लिए एक अच्छा विलायक है। इसीलिए हम इसका उपयोग औषधि निर्माण एवं अनेक रासायनिक उद्योगों में करते हेै। जल यदि विलायक न होता हो क्या होता? बताइए। |
| + | # शून्य डिग्री तापक्रम तक ठण्डा करने पर जल बफ (ठोस) में बदल जाता है। बर्फ गर्म होने पर पुनः शून्य पर ही द्रव अवस्था में बदलने लगती है। यह ताप जिस पर बर्फ पुनः जल में बदलती है, बर्फ का गलनांक कहलाता है। परन्तु जल में अशुद्धियाँ घुली होने के कारण बर्फ का गलनांक घट जाता है। |
| + | # शुद्ध जल को ( ) तक गर्म करने पर वह उबलने लगता हे और गैसीय अवस्था में (भाप में) बदल जाता है। इस ताप को जल का क्वथनांक कहते हैं। शुद्ध जल के लिए यह ( ) होता है। परन्तु जल में अशुद्धियाँ घुली होने के कारण क्वथनांक बढ़ जाता है। इसका मतलब हे कि अशुद्ध पानी ( ) से कुछ अधिक तापक्रम पर उबलता हे। |
| + | # साधारणतः ठोस अवस्था में पदार्थ का घनत्व उसकी द्रव अवस्था के घनत्व से अधिक होता है। लेकिन जल के ठोस रूप, बर्फ का घनत्व, द्रव जल से कम होता हे। इसी कारण बर्फ जल के ऊपर तेरती हे। सामान्य ताप (कमरे का ताप) ( ) से अधिक होने पर पिघलने पर प्राप्त जल तापक्रम साधारणतः बढ़ता जाता हे और ( ) पर इसका घनत्व अधिकतम हो जाता है। क्योंकि ( ) से अधिक तापक्रम तक और गर्म करने पर जल का घनत्व घटने लगता है। अतः () से ऊपर और नीचे जल का घनत्व कम हो जाता है। इसी गुण के कारण ठण्डे प्रदेशों में जाडे के दिनों में बर्फ जमने पर भी वहाँ पर जलीय जीव जीवित बने रहते हैं। |
| + | # जल सर्वविलायक होता है, क्योंकि पानी में अधिकतर पदाउसमक जमत) विद्युत का कुचालक होता है। अर्थात आसुत जल से विद्युत प्रवाहित नहीं हो सकती हे। |
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| + | == जल का शोधन == |
| + | पृथ्वी पर उपलब्ध सम्पूर्ण जल पीने योग्य नहीं है। पीने योग्य जल पारदर्शक, रंगहीन, गंधहीन तथा कुछ लवण तथा गैसों के घुले होने के कारण स्वादिष्ट द्रव होता है। यदि इसमें कोई अशुद्धि नहीं घुली हो तो शुद्ध जल स्वादहीन होता है। परन्तु झील, नदी, कुओं तथा अन्य स्रोतों से प्राप्त जल शुद्ध नहीं होता। इसमें कुछ अवांछित पदार्थ घुले होते हैं तथा इसमें कुछ हानिकारक सुक्ष्मजीव भी होते हैं। अब सवाल उठता हे कि ऐसे अशुद्ध जल को शुद्ध कैसे किया जाए? इसके लिए हम कई विधियां अपनाते हैं। आइए उन विधियों का अध्ययन करें : |
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− | यह जल वाष्प जब ठण्डे जल से भरे कंडेन्सन की नली से गुजरती हे तो | + | === आसवन विधि : === |
| + | आसवन वह क्रिया है, जिसके द्वारा जल का शोधन आसानी से किया जा सकता हे। जल की कुछ मात्रा एक प्याली में लें और उसके उसके क्वथनांक तक गर्म करें। गर्म करने पर जल में मौजूद जीवाणु और रोगाणु नष्ट हो जाते हैं एवं जल, वाष्प में परिवर्तित हो जाता है। जल में लम्बित तेल के कण एवं उसमें घुले खनिज लवण प्याली में ही रह जाते हे। यह जल वाष्प जब ठण्डे जल से भरे कंडेन्सन की नली से गुजरती हे तो संघनित होकर शुद्ध पानी में परिवर्तित हो जाती हे। आसुत जल, शुद्धतम् जल होता है। इसका उपयोग औषधि निर्माण, प्रयोगशाला के घोल बनाने में तथा कार की बैट्रियों में किया जाता है। स्वादहीन होने के कारण इसका उपयोग पीने के लिए नहीं किया जा सकता हे। |
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− | संघनित होकर शुद्ध पानी में परिवर्तित हो जाती हे।
| + | === छानना : === |
| + | जल में घुली अशुद्धियाँ जैसे धूल के कण, बालू, पौधों के अवशेषों आदि को छानकर अलग करते हैं। इन्हें छानने की एक विशेष विधि में चारकोल, महीन कणों वाली बालू, मोटे कण वाली बालू और कुछ कंकडों की परतों को किसी बर्तन में बिछाकर गंदे पानी को इसमें भर देते हैं। इस बर्तन की तली में एक छेद होता है, जिसमें रुई लगा देते हैं। जल इन परतों से गुजरता हुआ छिद्र में लगी बालू से होता हुआ बाहर निकलता है तो उपर्युक्त अशुद्धियां इन परतों में ही रह जाती हैं और स्वच्छ पानी निकलता है, जिस दूसरे बर्तन में भर लेते हैं। इस जल को जीवाणु रहित करने के लिए या तो उबाला जाता है अथवा क्लोरीरीकरण किया जाता हे। |
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− | आसुत जल, शुद्धतम् जल होता है। इसका उपयोग औषधि निर्माण, प्रयोगशाला
| + | === क्लोरीनीकरण : === |
| + | जल का क्लोरीनीकरण करने के लिए जल में क्लोरीन की गोलियां डाली जाती हैं। क्लोरीन प्रायः सभी रोगाणुओं को नष्ट कर देती हैं। कभी-कभी आपके नल के पानी से कुछ गन्ध आती प्रतीत होती है। वह इस पानी के क्लोरीनीकरण के कारण होती हे। तरण ताल (Swiming Pool) के जल को प्रायः क्लोरीरीकरण द्वारा ही शोधित किया जाता है। |
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− | के घोल बनाने में तथा कार की बैट्रियों में किया जाता है। स्वादहीन होने के | + | === पोटैशियम परमैगनेट मिलाकर : === |
| + | क्या आपने देखा है कि कभी-कभी कुओं के पानी को शुद्ध करने के लिए उसमें गुलाबी रंग के पोटैशियम परमैगनेट के क्रिस्टल डाल दिये जाते हैं। जब पौटैशियम परमैगनेट कुएं के जल में घुल जाता है तो पोटेशियम परमैगनेट का विलयन बन जाता हे, जो लगभग सभी कीटाणुओं को मार देता है और इस प्रकार जल जीवाणुओं से मुक्त हो जाता है। |
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− | कारण इसका उपयोग पीने के लिए नहीं किया जा सकता हे।
| + | == जल प्रदूषण == |
| + | यदि जल में अवांछित अशुद्धियाँ मिल जाती हैं तो जल पीने लायक नहीं रह जाता है। ऐसे जल को प्रदूषित जल कहते हैं। आजकल जल-प्रदूषण की समस्या इतनी गंभीर होती जा रही है कि नदी, समुद्र, झील, तालाबों आदि का पानीं यहाँ तक कि भूमिगत जल अत्यन्त प्रदूषित होता जा रहा है। क्या आपने कभी सोचा है कि जल-प्रदूषण क्यों हो रहा है और इससे क्या-क्या हानियां हो रही हैं? आइए, यह जानने की कोशिश करते हेै। |
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| + | === जल प्रदूषण के कारण === |
| + | जल-प्रदूषण नदियों के पानी में अवांछित अशुद्धियाँ मिलने के कारण होता है। प्रदूषण का विस्तार एवं उसकी मात्रा नदियों के प्रवाह मार्ग, उनमें मिलने वाले मलमूत्र के गंदे नालों तथा उनमें उद्योगों के अपशिष्ट पदार्थो के डालने की मात्रा पर निर्भर करता है। |
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| + | झीलों, तालाबों तथा रुके हुए पानी के कुछ हानिकारक जीवाणु एवं मच्छर जैसे कीट अपना आवास बना लेते हैं। उनमें कपड़े धोने तथा पशुओं को नहलाने से भी जल प्रदूषित होता है। समुद्र में जलीय जीवन जीने वाले पादप एवं जन्तुओं के मृत शरीर एवं अपशिष्ट पदार्थों और दूसरी अवांछित अशुद्धियों के कारण जल बहुत प्रदूषित हो गया है। इसीलिए समुद्री जल के शुद्धिकरण के लिए कुछ प्रयास करने पड़े हैं। |
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| + | झीलों और तालाबों का रुका हुआ पानी, नदियों की बहती धाराओं तथा ढके हुए कुओं की अपेक्षा अधिक प्रदूषित होता है। |
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− | 2. छानना : जल में घुली अशुद्धियाँ जैसे धूल के कण, बालू, पौधों के
| + | === प्रदूषित जल से हानियाँ === |
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− | अवशेषों आदि को छानकर अलग करते हैं। इन्हें छानने की एक विशेष विधि
| + | # प्रदूषित जल से अनेक संक्रामक रोग जैसे-हेैजा, दस्त, पेचिश, टायफाइड इत्यादि हो जाते हैं। |
| + | # प्रदूषण पानी को मैला बना देता है, जिससे यह कपडे धोने इत्यादि किसी कार्य में प्रयोग नहीं किया जा सकता। |
| + | # जल में शेवाल दुर्गन्ध पैदा कर देते हैं तथा उसका रंग गंदला कर देते हे। शैवाल जलीय जीवन को असुरक्षित बना देते हैं (जल में कॉपर सल्फेट मिलाकर उसे शैवाल रहित किया जा सकता है)। |
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− | में चारकोल, महीन कणों वाली बालू, मोटे कण वाली बालू और कुछ कंकडों
| + | === जल प्रदूषण की रोकथाम === |
− | | + | जल ही जीवन है। अतः जल प्रदूषण को रोकने के लिए लोगों को जागरूक होना चाहिए। प्रदूषण के कारकों को रोकने के लिए एक-सा कानून बनाया जाना चाहिए। नदियों में छोडे गये गंदे नालों को रोकना चाहिए। हानिकारक अशुद्धियों को उपचारित करने के संयंत्र लगाने चाहिए । |
− | की परतों को किसी बर्तन में बिछाकर गंदे पानी को इसमें भर देते हैं। इस बर्तन
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− | | |
− | की तली में एक छेद होता है, जिसमें रुई लगा देते हैं। जल इन परतों से गुजरता
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− | हुआ छिद्र में लगी बालू से होता हुआ बाहर निकलता है तो उपर्युक्त अशुद्धियां
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− | इन परतों में ही रह जाती हैं और स्वच्छ पानी निकलता है, जिस दूसरे बर्तन
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− | में भर लेते हैं। इस जल को जीवाणु रहित करने के लिए या तो उबाला जाता
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− | है अथवा क्लोरीरीकरण किया जाता हे।
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− | मुक्त बेसिक शिक्षा - भारतीय ज्ञान परम्परा
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− | टिप्पणी
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− | टिप्पणी
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− | जल
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− | क्लोरीनीकरण Ao
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− | 3. क्लोरीनीकरण : जल का क्लोरीनीकरण करने के लिए जल में क्लोरीन
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− | की गोलियां डाली जाती हैं। क्लोरीन प्रायः सभी रोगाणुओं को नष्ट कर देती
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− | हैं। कभी-कभी आपके नल के पानी से कुछ गन्ध आती प्रतीत होती है। वह
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− | इस पानी के क्लोरीनीकरण के कारण होती हे।
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− | क्लोरीरीकरण Oo
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− | तरण ताल (Swiming Pool) के जल को प्रायः क्लोरीरीकरण द्वारा ही शोधि
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− | त किया जाता है।
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− | 4. पोटैशियम परमैगनेट मिलाकर : क्या आपने देखा है कि कभी-कभी
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− | कुओं के पानी को शुद्ध करने के लिए उसमें गुलाबी रंग के पोटैशियम
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− | परमैगनेट के क्रिस्टल डाल दिये जाते हैं। जब पौटैशियम परमैगनेट कुएं के जल
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− | में घुल जाता है तो पोटेशियम परमैगनेट का विलयन बन जाता हे, जो लगभग
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− | सभी कीटाणुओं को मार देता है और इस प्रकार जल जीवाणुओं से मुक्त हो
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− | जाता है।
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− | 1. जल का शुद्धिकरण क्यों आवश्यक होता हे?
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− | 2. जल के आसवन एवं छानने की विधियों में क्या अंतर हे?
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− | 3. कभी-कभी कुँओं मे पोटेशियम परमेगनेट क्यों डाला जाता हे?
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− | 5.6 जल प्रदूषण
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− | यदि जल में अवांछित अशुद्धियाँ मिल जाती हैं तो जल पीने लायक नहीं रह
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− | जाता है। ऐसे जल को प्रदूषित जल कहते हैं। आजकल जल-प्रदूषण की
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− | समस्या इतनी गंभीर होती जा रही है कि नदी, समुद्र, झील, तालाबों आदि का
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− | पानीं यहाँ तक कि भूमिगत जल अत्यन्त प्रदूषित होता जा रहा है।
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− | क्या आपने कभी सोचा है कि जल-प्रदूषण क्यों हो रहा है और इससे
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− | क्या-क्या हानियां हो रही हैं? आइए, यह जानने की कोशिश करते हेै।
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− | विज्ञान, स्तर-'क'
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− | चित्र 5.5 जल प्रदुषण
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− | जल प्रदूषण के कारण
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− | जल-प्रदूषण नदियों के पानी में अवांछित अशुद्धियाँ मिलने के कारण होता है।
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− | प्रदूषण का विस्तार एवं उसकी मात्रा नदियों के प्रवाह मार्ग, उनमें मिलने वाले
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− | मलमूत्र के गंदे नालों तथा उनमें उद्योगों के अपशिष्ट पदार्थो के डालने की
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− | मात्रा पर निर्भर करता है।
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− | झीलों, तालाबों तथा रुके हुए पानी के कुछ हानिकारक जीवाणु एवं मच्छर जैसे
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− | कीट अपना आवास बना लेते हैं। उनमें कपड़े धोने तथा पशुओं को नहलाने
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− | से भी जल प्रदूषित होता है। समुद्र में जलीय जीवन जीने वाले पादप एवं
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− | जन्तुओं के मृत शरीर एवं अपशिष्ट पदार्थों और दूसरी अवांछित अशुद्धियों के
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− | कारण जल बहुत प्रदूषित हो गया है। इसीलिए समुद्री जल के शुद्धिकरण के
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− | लिए कुछ प्रयास करने पड़े हैं।
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− | झीलों और तालाबों का रुका हुआ पानी, नदियों की बहती धाराओं तथा ढके
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− | हुए कुओं की अपेक्षा अधिक प्रदूषित होता है।
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− | प्रदूषित जल से हानियाँ
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− | 1. प्रदूषित जल से अनेक संक्रामक रोग जैसे-हेैजा, दस्त, पेचिश, टायफाइड
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− | इत्यादि हो जाते हैं।
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− | मुक्त बेसिक शिक्षा - भारतीय ज्ञान परम्परा
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− | टिप्पणी
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− | टिप्पणी
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− | 2. प्रदूषण पानी को मैला बना देता है, जिससे यह कपडे धोने इत्यादि किसी
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− | कार्य में प्रयोग नहीं किया जा सकता।
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− | 3. जल में शेवाल दुर्गन्ध पैदा कर देते हैं तथा उसका रंग गंदला कर देते हे।
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− | शैवाल जलीय जीवन को असुरक्षित बना देते हैं (जल में कॉपर सल्फेट
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− | मिलाकर उसे शैवाल रहित किया जा सकता है)।
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− | जल प्रदूषण की रोकथाम | |
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− | रोकने ~
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− | जल ही जीवन है। अतः जल प्रदूषण को रोकने के लिए लोगों को जागरूक | |
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− | होना चाहिए। प्रदूषण के कारकों को रोकने के लिए एक-सा कानून बनाया | |
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− | जाना चाहिए। | |
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− | नदियों में छोडे गये गंदे नालों को रोकना चाहिए। हानिकारक अशुद्धियों को | |
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− | चाहिए
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− | उपचारित करने Md लगाने
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− | उपचारित करने के संयंत्र लगाने । | |
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− | मलमूत्र को उपचारित करने के लिए उसे बड़े-बडे टेंकों में भर कर तेजी से
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− | हिलाया जाता हे। इसे चलाने से इसमें होकर हवा प्रवेश कर जाती हे, जिससे
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− | हानिकारक यौगिकों का आक्सीकरण हो जाता हे। इस प्रक्रिया में हानि रहित
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− | पदार्थ बन जाते है।
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− | क्या आप जानते हैं कि दिल्ली और अन्य महानगरों में जल को उपचारित करने
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− | के संयंत्र लगे हुए है? ये संपन्न वहां होते हैं जहाँ शहर के नाले नदियों में गिरते
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− | हैं।
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− | औद्योगिक अपशिष्टों में विषैले पदार्थ होते हैं। उनको रसायनिक विधियों द्वार
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− | निकाला जा सकता है। जल को प्रदूषित होने से रोकने के लिए बिना परिशोधि
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− | त किये औद्योगिक अपशिष्टों को नदियों में छोड़ने की अनुमति नहीं मिलनी
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− | चाहिए।
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| + | मलमूत्र को उपचारित करने के लिए उसे बड़े-बडे टेंकों में भर कर तेजी से हिलाया जाता हे। इसे चलाने से इसमें होकर हवा प्रवेश कर जाती हे, जिससे हानिकारक यौगिकों का आक्सीकरण हो जाता हे। इस प्रक्रिया में हानि रहित पदार्थ बन जाते है। |
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| + | क्या आप जानते हैं कि दिल्ली और अन्य महानगरों में जल को उपचारित करने के संयंत्र लगे हुए है? ये संपन्न वहां होते हैं जहाँ शहर के नाले नदियों में गिरते हैं। औद्योगिक अपशिष्टों में विषैले पदार्थ होते हैं। उनको रसायनिक विधियों द्वार निकाला जा सकता है। जल को प्रदूषित होने से रोकने के लिए बिना परिशोधित किये औद्योगिक अपशिष्टों को नदियों में छोड़ने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। |
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| कुओं को ढककर पानी को प्रदूषण से बचा सकते है। | | कुओं को ढककर पानी को प्रदूषण से बचा सकते है। |
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− | विज्ञान, स्तर-'क'
| + | == जल संरक्षण == |
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− | संरक्षण का क्या मतलब हे? जैसा कि आप जानते होंगे कि संरक्षण का अर्थ
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− | है-सावधानी पूर्वक, मितव्ययता के साथ सदुपयोग करना। हम सब जानते हैं
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− | कि, वैसे तो, पृथ्वी पर बहुत जल है, फिर भी पीने योग्य जल की कमी है।
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− | अतः लोगों को जल के न्यायसंगत सदुपयोग के लिए जागरूक रहना चाहिए।
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− | हमको भी पेयजल के संरक्षण के अथक प्रयास करने चाहिए। जहाँ तक सम्भव
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− | हो कम से कम जल से काम चलायें तथा फालतू में जल को बर्बाद न करें।
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− | कृषि की सिंचाई के लिए अधिक जल की आवश्यकता होती हे। इसलिए
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− | सिंचाई के क्षेत्र में भी यदि हम अपनी पारंपरिक विधियों, जैसे तालाबों आदि
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− | में जल एकत्रित करें और उसका उपयोग करें तो अच्छा होगा।
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− | हमारी वैदिक संस्कृति में जल संरक्षण पर बहुत बल दिया गया हे। ऋग्वेद का
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− | ऋषि कहता है कि “हम सब बादलों (मेघों) के जल को तथा साथ ही दूसरी
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− | प्रकार के जलों के सुख को प्राप्त करते है। हे घावा और भूमि देव! हमसे इसके
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− | प्रति बुरे कर्मो से दूर रखें-
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− | “ आ शर्म पर्वतानामोतापां वृणीमहे
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− | घावाक्षामारे अस्मद्रपस्कृतम्।”
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− | (ऋग्वेद 8.18.16)
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− | 1. जल-शुद्धिकरण में प्रयुक्त होने वाले दो कीटाणु नाशकों के नाम लिखिए।
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− | 2. जल को प्रदूषित करने वाले चार कारकों के नाम लिखिए।
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− | 3. जलं प्रदूषण रोकने के लिए आप कौन-कौन से चार कदम उठायेंगे?
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− | 4. प्रदूषित जल से होने वाले चार रोगों के नाम लिखिए।
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− | मुक्त बेसिक शिक्षा - भारतीय ज्ञान परम्परा
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| + | संरक्षण का क्या मतलब हे? जैसा कि आप जानते होंगे कि संरक्षण का अर्थ है-सावधानी पूर्वक, मितव्ययता के साथ सदुपयोग करना। हम सब जानते हैं कि, वैसे तो, पृथ्वी पर बहुत जल है, फिर भी पीने योग्य जल की कमी है। अतः लोगों को जल के न्यायसंगत सदुपयोग के लिए जागरूक रहना चाहिए। हमको भी पेयजल के संरक्षण के अथक प्रयास करने चाहिए। जहाँ तक सम्भव हो कम से कम जल से काम चलायें तथा फालतू में जल को बर्बाद न करें। कृषि की सिंचाई के लिए अधिक जल की आवश्यकता होती हे। इसलिए सिंचाई के क्षेत्र में भी यदि हम अपनी पारंपरिक विधियों, जैसे तालाबों आदि में जल एकत्रित करें और उसका उपयोग करें तो अच्छा होगा। |
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| + | हमारी वैदिक संस्कृति में जल संरक्षण पर बहुत बल दिया गया हे। ऋग्वेद का ऋषि कहता है कि “हम सब बादलों (मेघों) के जल को तथा साथ ही दूसरी प्रकार के जलों के सुख को प्राप्त करते है। हे घावा और भूमि देव! हमसे इसके प्रति बुरे कर्मो से दूर रखें-<blockquote>'''आ शर्म पर्वतानामोतापां वृणीमहे''' |
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− | टिप्पणी
| + | '''घावाक्षामारे अस्मद्रपस्कृतम्।”''' |
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| + | '''(ऋग्वेद 8.18.16)'''</blockquote> |