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| Among the Kalpa Sutras, The Katyayana and Paraskara belong to the Sukla Yajur-Veda. The Apastamba, Hiranyakesi, Bodhayana, Bharadvaja, Manava, Vaikhanasa and the Kathaka belong to the Krishna Yajur-Veda.<ref>Swami Sivananda (1999), [http://www.dlshq.org/download/hinduismbk.pdf All About Hinduism], Uttar Pradesh: The Divine Life Society.</ref> | | Among the Kalpa Sutras, The Katyayana and Paraskara belong to the Sukla Yajur-Veda. The Apastamba, Hiranyakesi, Bodhayana, Bharadvaja, Manava, Vaikhanasa and the Kathaka belong to the Krishna Yajur-Veda.<ref>Swami Sivananda (1999), [http://www.dlshq.org/download/hinduismbk.pdf All About Hinduism], Uttar Pradesh: The Divine Life Society.</ref> |
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− | Ahilya Singh (2010), [https://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/180070/3/03_chapter%201.pdf Pracheen bharat mein aarthik jeevan Prarambh se vaidik kaal tak.] | + | Ahilya Singh (2010), [https://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/180070/3/03_chapter%201.pdf Pracheen bharat mein aarthik jeevan Prarambh se vaidik kaal tak.] |
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| Chapter 1 | | Chapter 1 |
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| It is the foundation of Karmakanda. It is a collection of mantra specifications and rules applicable in the performance of various yajnas. | | It is the foundation of Karmakanda. It is a collection of mantra specifications and rules applicable in the performance of various yajnas. |
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| + | == Agriculture in Yajurveda == |
| + | Shukla Yajurveda, [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%AF%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A4%83/%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%83_%E0%A5%A7%E0%A5%A8 Adhyaya 12]. |
| + | |
| + | 12.67 |
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| + | सीरा युञ्जन्ति कवयो युगा वि तन्वते पृथक् । |
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| + | धीरा देवेषु सुम्नया ॥ |
| + | |
| + | 12.68 |
| + | |
| + | युनक्त सीरा वि युगा तनुध्वं कृते योनौ वपतेह बीजम् । |
| + | |
| + | गिरा च श्रुष्टिः सभरा असन् नो नेदीयऽ इत् सृण्यः पक्वम् एयात् ॥ |
| + | |
| + | 12.69 |
| + | |
| + | शुनꣳ सु फाला वि कृषन्तु भूमिꣳ शुनं कीनाशा ऽ अभि यन्तु वाहैः । |
| + | |
| + | शुनासीरा हविषा तोशमाना सुपिप्पला ऽ ओषधीः कर्तनास्मे ॥ |
| + | |
| + | 12.70 |
| + | |
| + | घृतेन सीता मधुना सम् अज्यतां विश्वैर् देवैर् अनुमता मरुद्भिः । |
| + | |
| + | ऊर्जस्वती पयसा पिन्वमानास्मान्त् सीते पयसाभ्या ववृत्स्व ॥ |
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| + | 12.71 |
| + | |
| + | लाङ्गलं पवीरवत् सुशेवꣳ सोमपित्सरु । |
| + | |
| + | तद् उद् वपति गाम् अविं प्रफर्व्यं च पीवरीं प्रस्थावद् रथवाहनम् ॥ |
| + | |
| + | Yajurveda taittiriya samhita mentions 3 types of land viz. |
| + | |
| + | # Urvara ([https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%AF%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A4%83/%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%83_%E0%A5%A7%E0%A5%AC shukla 16.33]; [https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A5%88%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE(%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%83)/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A4%AE%E0%A5%8D_%E0%A5%AA/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A0%E0%A4%95%E0%A4%83_%E0%A5%AB Taittiriya 4.5.6]) - fertile land |
| + | # Irina (shukla 16.43; Taittiriya 4.5.9) - barren land |
| + | # Shashpya (shukla 16.42; Taittiriya 4.5.8) - grass land |
| + | |
| + | Yajurveda taittiriya samhita also mentions different types of mud/clay viz. |
| + | |
| + | # Mrd/Mrttika - मृत्तिका च मे ([https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%AF%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A4%83/%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%83_%E0%A5%A7%E0%A5%AE 18.13]) |
| + | # Rajasa bhumi - रजस्याय च (16.45) |
| + | # Ashma - अश्मा च मे (18.13) |
| + | # Kimshila - किꣳशिलाय च (16.43) |
| + | # Irinya - इरिण्याय च (16.43) |
| + | # Urvara - उर्वर्याय च (16.33) |
| + | # Sikata - सिकत्याय च (16.43) |
| + | |
| + | Yajurveda mentions two types of Agriculture - वर्ष्याय चावर्ष्याय च ॥ 16.38 |
| + | |
| + | # Varshya - dependent on rain |
| + | # Avarshya - not dependant on rain; dependent on irrigation from wells, ponds, canals, etc. |
| + | |
| + | Another classification of Agriculture in the Yajurveda is कृष्टपच्याश् च मे ऽकृष्टपच्याश् च मे 18.14 |
| + | |
| + | # Krshta Pachya - Grains obtained through ploughing. |
| + | # Akrshta Pachya - Wild grains, flowers and fruits obtained without ploughing. |
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| + | Taittiriya Samhita also mentions the seasonal timeline for agricultural activities of specific crops. |
| + | |
| + | 2 यवं ग्रीष्मायौषधीर् वर्षाभ्यो व्रीहीञ् छरदे माषतिलौ हेमन्तशिशिराभ्याम् । तेनेन्द्रम् प्रजापतिर् अयाजयत् ततो वा इन्द्र इन्द्रो ऽभवत् तस्माद् आहुः । आनुजावरस्य यज्ञ इति स ह्य् एतेनाग्रे ऽयजत । एष ह वै कुणपम् अत्ति यः सत्त्रे प्रतिगृह्णाति पुरुषकुणपम् अश्वकुणपम् । गौर् वा अन्नम् । येन पात्रेणान्नम् बिभ्रति यत् तन् न निर्णेनिजति ततो ऽधि ([https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A5%88%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE(%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%83)/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A4%AE%E0%A5%8D_%E0%A5%AD/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A0%E0%A4%95%E0%A4%83_%E0%A5%A8 Taittiriya 7.2.10.2]) |
| + | |
| + | Meaning: The grains that were cooked in summer were sown in rains and harvested in sharad. |
| + | |
| + | Til and sem were sown in rains and harvested in winter (?) |
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| + | The Taittiriya Samhita also mentions harvesting two crops in a year. |
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| + | 3 जनयस् ताभिर् एवैनाम् पचति षड्भिः पचति षड् वा ऋतवः । ऋतुभिर् एवैनाम् पचति द्विः पचन्त्व् इत्य् आह तस्माद् द्विः संवत्सरस्य सस्यम् पच्यते वारुण्य् उखाभीद्धा मैत्रियोपैति शान्त्यै देवस् त्वा सवितोद् वपत्व् इत्य् आह सवितृप्रसूत एवैनाम् ब्रह्मणा देवताभिर् उद् वपति । अपद्यमाना पृथिव्य् आशा दिश आ पृण ॥ ([https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A5%88%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE(%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%83)/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%8D%E0%A4%A1%E0%A4%AE%E0%A5%8D_%E0%A5%AB/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A0%E0%A4%95%E0%A4%83_%E0%A5%A7 Taittiriya 5.1.7.3]) |
| + | |
| + | The Yajurveda mentions 12 kinds of grains viz. |
| + | |
| + | # Vrihi |
| + | # Yava |
| + | # Masha |
| + | # Tila |
| + | # Mudk |
| + | # Khalva |
| + | # Priyangu |
| + | # Anu |
| + | # Shyamaka |
| + | # Nivara |
| + | # Godhuma |
| + | # Masura |
| + | |
| + | Shukla Yajurveda 18.12 |
| + | |
| + | व्रीहयश् च मे यवाश् च मे माषाश् च मे तिलाश् च मे मुद्गाश् च मे खल्वाश् च मे प्रियङ्गवश् च मे ऽणवश् च मे श्यामाकाश् च मे नीवाराश् च मे गोधूमाश् च मे मसूराश् च मे यज्ञेन कल्पन्ताम् ॥ |
| + | |
| + | Taittiriya Samhita 4.7.4.2 |
| + | |
| + | 2 मे प्रभु च मे बहु च मे भूयश् च मे पूर्णं च मे पूर्णतरं च मे ऽक्षितिश् च मे कूयवाश् च मे ऽन्नं च मे ऽक्षुच् च मे व्रीहयश् च मे यवाश् च मे माषाश् च मे तिलाश् च मे मुद्गाश् च मे खल्वाश् च मे गोधूमाश् च मे मसुराश् च मे प्रियंगवश् च मे ऽणवश् च मे श्यामाकाश् च मे नीवाराश् च मे ॥ |
| + | |
| + | The Vajasaneyi Samhita mentions Rice, Moong, Urad, Til and Masoor (18.12; 21.29) |
| + | |
| + | Reference: Ahilya Singh (2010), Pracheen bharat mein aarthik jeevan Prarambh se vaidik kaal tak, [https://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/180070/4/04_chapter%202.pdf Chapter 2]. |
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| ==References== | | ==References== |
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| <references /> | | <references /> |