शोध कार्य यह प्रेरणा का विषय है। प्रेरणा दो प्रकार की होती है। बाह्य प्रेरणा और अंत:प्रेरणा। दोनों प्रकार की प्रेरणा के दो कारक हो सकते हैं। एक है स्वार्थ याने अपने और अपनों के हित के लिए और दूसरा है परमार्थ याने चराचर सृष्टि के सभी अस्तित्वों के हित के लिए। परमार्थ याने परम अर्थ याने सब का हित। परमार्थ होता है तब उस में सीमित स्वार्थ तो आ ही जाता है। | शोध कार्य यह प्रेरणा का विषय है। प्रेरणा दो प्रकार की होती है। बाह्य प्रेरणा और अंत:प्रेरणा। दोनों प्रकार की प्रेरणा के दो कारक हो सकते हैं। एक है स्वार्थ याने अपने और अपनों के हित के लिए और दूसरा है परमार्थ याने चराचर सृष्टि के सभी अस्तित्वों के हित के लिए। परमार्थ याने परम अर्थ याने सब का हित। परमार्थ होता है तब उस में सीमित स्वार्थ तो आ ही जाता है। |