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| * आदित्यह्दयस्तोत्र श्लोक क. 6, 7, 8, 10, 11 कुल 5 | | * आदित्यह्दयस्तोत्र श्लोक क. 6, 7, 8, 10, 11 कुल 5 |
| * शंकराचार्य-आत्मषटक्- केवल प्रथम श्लोक कुल 1 | | * शंकराचार्य-आत्मषटक्- केवल प्रथम श्लोक कुल 1 |
− | * जीवनदृष्टि का गीत
| + | * हमारा देश |
− | * हमारा देश | + | * व्यष्टि से परमेष्ठी तक व्यक्तित्व का विकास, चार पुरुषार्थ- मानव जीवन का लक्ष्य मोक्ष |
− | ** कुटुम्ब, पडोसी, गॉव, जनपद, राज्य, देश की संकल्पनाएँ, धरती और उस पर रहने वाले अन्य प्राणी- जैवविविधता | + | * समाज की संकल्पना। |
− | ** भारत देश की प्राचीनता | + | * सामाजिक संगठन- वर्णाश्रम धर्म |
− | ** नगाधिराज हिमालय, अन्य महत्वपूर्ण पर्वत | + | * व्यक्ति का सामाजिक स्तर पर लक्ष्य स्वतंत्रता जो परस्परावलंबन आधारित होती है। |
− | **नाम स्थान महत्व | + | * गौरवशाली भारत के अन्य बिन्दु |
− | **महत्वपूर्ण नदियाँ- लोकमाता, देवतारूप में पूजने की संस्कृति | + | * हमारा साहित्य |
− | **चार धाम एवं अन्य मुख्य तीर्थस्थान-काशी, प्रयाग, तिरुपति, | + | ** कथासरित्सागर |
− | **गंगासागर, कामाख्या ( नाम, महत्व, नक्शे में स्थान दिखाना) | + | ** कालिदास, भारवि, दण्डी, माघ की साहित्यसृष्टि |
− | **अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका। पुरी द्वारावती चैव सप्तैते मोक्षदायिका:। | + | ** अष्टाध्यायी |
− | *हमारा साहित्य | + | ** मुद्राराक्षस |
− | **संक्षिप्त ज्ञान - वेद, वेदांग, उपनिषद् पुराण रामायण, रामचरितमानस, महाभारत पंचतंत्र, हितोपदेश | + | ** रत्नावली |
− | *हमारे पूर्वज: | + | * भारतीय संस्कृति का विश्वसंचार- शरद हेबाढकर इस किताब के चयनित अंश |
− | **व्यास, वाल्मीकि, पतंजलि, पाणिनि, छत्रपति शिवाजी, संत रविदास, तिरुवल्लुवर, आलवार, कबीर, रामदास, नरसी मेहता, मीरा, तुलसीदास, नायन्मार | + | * हमारे पूर्वज |
− | | + | ** अष्टावक, याज्ञवल्क्य, ऋषि मनु, विश्वामित्र, धौम्य, धन्वन्तरी, ऋषि काश्यप, देवल, चाणक्य, अगस्ति, दधीचि, झूलेलाल, विश्वकर्मा, भगीरथ, रंतिदेव, राजा विकमादित्य, महाराणा प्रताप |
− | *कृतिपाठ | + | * स्पर्शसंयम |
− | **योगासन (अल्पकालीन), सुखासन- पालथी लगा कर बैठना | + | * कृतिपाठ |
− | **हवन करना, | + | * घरेलू कार्य-अपने घर में विविध वस्तुओं पर जमनेवाली धूल साफ करना। यह कार्य दैनंदिन स्वरूप में करें। |
− | **पृथ्वीमाता को नमस्कार- समुद्रवसने देवि... | + | * संध्यावंदना, अग्निहोत्र तथा हवन करना |
− | **नमस्कार करना, ओम का उच्चारण (ब्रह्मनाद) | + | * सांस्कृतिक भारत का मानचित्र बनाना- प्रमुख स्थान दिखाना |
− | *उपनयन संस्कार | + | * भारत के विशिष्ट वृक्षों को पहचानना, उनके चित्र बनाना एवं उनके औषधीय तथा अर्थशास्त्रीय महत्व की जानकारी एकत्र करना |
− | **वाणीसंयम, मधुर वचन बोलना।
| + | * किन्हीं पाँच स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं की जानकारी का संकलन करना। |
− | *घर में घरेलू कार्य सीखना और करना
| + | * व्यवहारसूत्र |
− | *व्यवहारसूत्र | + | ** आ नो भद्रा: कतवो यन्तु विश्वतः। |
− | **अमृतस्य पुत्रा: वयम्। | + | ** आत्मनो मोक्षार्थ जगद्धिताय च। |
− | **परोपकार: पुण्याय पापाय परपीडनम्। | + | ** चतुर्विध पुरुषार्थ। |
− | **वसुधैव कुटुम्बकम् | + | ** उद्धरेदात्मनात्मानं। |
− | **कृतज्ञता। | + | ** अष्टांग योग-अस्तेय, अपरिग्रह |
− | **आत्मवतसर्वभूतेषु । | |
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| == कक्षा ५ पाठ्यक्रम == | | == कक्षा ५ पाठ्यक्रम == |
| सार्थ कंठस्थीकरण: | | सार्थ कंठस्थीकरण: |
− | * शान्तिमंत्र
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− | * स्वस्तिवाचन,
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− | * भूमिसूक्त मंत्र क. 1, 3, 4, 6, 12, (कुल 5)
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− | * संकल्प मंत्र एवं अग्निहोत्र के दो मंत्र- सूर्योदय-1, सूर्यास्त-1 (कुल 3)
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| * गीता के निम्न श्लोक- सार्थ | | * गीता के निम्न श्लोक- सार्थ |
− | ** अध्याय 8: 5, 6, 22 | + | ** अध्याय 2: 37, 47, 62, 63 |
− | ** अध्याय 14: 14, 18 | + | ** अध्याय 4: 5 |
− | ** अध्याय 3: 42 | + | ** अध्याय 6: 41, 44 |
− | ** अध्याय 17: 7 से 10, 23, 24 | + | ** अध्याय 9: 7 |
− | ** कुल 12 | + | ** अध्याय 13: 21 |
− | * जीवनदृष्टि का गीत | + | ** अध्याय 15: 16, 17 |
| + | ** कुल 11 |
| + | * शिक्षावल्ली- अनुवाक् 11 |
| + | * नासदीय सूक्त- मंत्र 1, 2, 3, 7 कुल 4 |
| * हमारा देश | | * हमारा देश |
− | * सूर्यमाला एवं ग्रह | + | * कर्मसिद्धान्त और पुनर्जन्म से संबंधित मान्यताएँ। |
− | * पृथ्वी : मानवजाति का एकमेव निवासस्थान | + | * राष्ट्र की संकल्पना (यजुर्वेद), |
− | * भारत का विशिष्ट स्थान एवं दर्शन ( सोच)
| + | * राष्ट्र की संगठन प्रणालियॉ- वर्णाश्रम प्रणालियाँ |
− | * हमारे पडोसी देश | + | * चिरंजीवी राष्ट्र का निर्माण |
− | * 1971 की अद्भुत विजय। | + | * धर्म की समाजसंबंधित परिभाषाएँ |
− | * भारत की एकता | + | * सृष्टिनिर्मिति की भारतीय संकल्पना: |
− | ** सांस्कृतिक एकता | + | * शाकाहार के लाभ |
− | ** बारह मास, छः ऋतुएँ | + | * गौरवशाली भारत के अन्य बिन्दु |
− | ** विविधता में एकता | + | * हमारा साहित्य- चार उपवेद-आयुर्वेद, धनुर्वेद, गांधर्ववेद, शिल्पवेद, सिंहासनबत्तीसी, वेतालपच्चीसी समरांगणसूत्रधार ( राजा भोज), नीतिशतक, बृहत्संहिता, धर्मसूत्र, गृह्यसूत्र |
− | * हमारी कृषि और संबंधित विविध उत्पादन। | |
− | ** कृषिसंबंधित पशुसंपत्ति, उनसे मिलने वाली उपज और उनकी निगरानी
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− | * 12 ज्योतिर्लिंग, 52 शक्तिपीठ, स्थापत्य-कैलास, मदुराई, सेतुबंध रामेश्वरम्
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− | * हमारे विजय और स्थापत्य की गाथाएँ
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− | * कुम्भमेला
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− | * गुरुकूल में शिक्षा
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− | ** सोलह संस्कार
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− | ** हमारा साहित्य
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− | ** वेद, उपवेद, वेदांग, षड़दर्शन, ऋषिकाएँ
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− | ** ग्यारह मुख्य उपनिषदों के नाम
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− | ** श्रीमद्भगवद्गीता गीता की कहानी- (गीता का बहिरंग)- खंड 1 अ. 5
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| * हमारे पूर्वज | | * हमारे पूर्वज |
− | ** राम, कृष्ण, माता कुंती, सावित्री, महाराणा प्रताप, पृथु, हरिश्चन्द्र, भरत, कम्बु, कौंडिण्य, पुष्यमित्र शुंग, चन्द्रगुप्त, विकमादित्य, शालिवाहन, शैलेन्द्र, यशोधर्मा | + | ** विविध संप्रदायाचार्य- गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी, गोरखनाथ, शंकराचार्य, मध्वाचार्य, निम्बार्काचार्य, रामानुजाचार्य, वल्लभाचार्य, बसवेश्वर, चैतन्य महाप्रभु, सहजानन्द, गुरु नानक, गुरु तेगबहादुर, गुरु गोविन्दसिंह, स्वामी दयानन्द |
| + | * अलससंयम |
| * कृतिपाठ | | * कृतिपाठ |
− | * योगासन (अल्पकालीन), सुखासन- पालथी लगा कर बैठना | + | * घरेलू कार्य- अपने व्यक्तिगत कार्य स्वयं करना। अपनी दिनचर्या की समयसारणी बनाना एवं उसका अनुपालन करना। प्रातःकाल उठना। अपने बिछौने को व्यवस्थित करना। अपने विद्यालय जाने की तैयारी करना। अपने कपड़े धोना। अपने जेबखर्च से पैसे बचा कर उसे जहाँ आवश्यकता हो वहां दान करना। जेब खर्च के पैसों का हिसाब रखना। अनावश्यक खर्चों पर विचार करना तथा भविष्य में ऐसा न करने का संकल्प करना। |
− | * हवन, अग्निहोत्र करना | + | * भारत के प्राचीन /पारंपारिक खेलों पर साहित्य इकट्ठा करना चित्र बनाना, वे खेल खेलना |
− | * समंत्र सूर्यनमस्कार, | + | * आधुनिक खेलों के साथ तुलनात्मक अध्ययन करना |
− | * गुरुकूल के वातावरण,/ परिवेश का चित्रांकन, प्रतिकृति बनाना। | + | * शिवाजी महाराज के दुर्गों की सचित्र जानकारी का संकलन करना। |
− | * स्वादसंयम
| + | * किन्हीं पाँच राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं की जानकारी का संकलन करना |
− | * घर में घरेलू कार्य सीखना और करना | |
| * व्यवहारसूत्र | | * व्यवहारसूत्र |
− | ** विविधता में एकता। | + | ** नर करनी करै तो उत्तरोत्तर प्रगति संभव हो जाय। |
− | ** पंचऋण। | + | ** कर्मसिद्धान्त। |
− | ** देने की संस्कृति | + | ** अपने कर्तव्य और औरों के अधिकारों के लिए प्रयास। |
− | ** माता भूमि पुत्रोऽहं पृथिव्या | + | |
| + | * अष्टांग योग- तप, स्वाध्याय |
| + | |
| == कक्षा ६ पाठ्यक्रम == | | == कक्षा ६ पाठ्यक्रम == |
| सार्थ कंठस्थीकरण: | | सार्थ कंठस्थीकरण: |
− | * श्रीमदभगवद्गीता- अ. 15, अध्याय 7 के श्लोक 4, 5, 6, 7, 10 (कुल 5) | + | * श्रीमदभगवद्गीता के चयनित श्लोक- सार्थ एवं स्पष्टीकरण के साथ। |
− | * मंत्रपुष्पांजलि | + | ** अध्याय 15: 12, 13, 14 |
− | * ईशोपनिषद् के मंत्र क. 1, 2, 3, 9, 11, (कुल 5) | + | ** अध्याय 2: 31 |
− | * योगसूत्र- क. 1, 2, 3, 7, 12 (कुल 5) | + | ** अध्याय 3: 20, 21, 25 |
− | * अष्टांगयोग-अहिंसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहा यमाः | शौचसंतोषतपस्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि नियमा: ||
| + | ** अध्याय 4: 7, 8 |
− | * मंत्र कुल 2 | + | ** अध्याय 7: 11 |
− | * गीता के निम्न श्लोक- सार्थ | |
− | ** अध्याय 16: 1, 2, 3, 4, 6, 13, 14, 18, 21 | |
− | ** अध्याय 8: 17 | |
| ** कुल 10 | | ** कुल 10 |
− | * जीवनदृष्टि का गीत | + | *शिवसंकल्पोपनिषद्- पहला श्लोक |
− | ** हमारा देश | + | *पुरुषसूक्त-क. 1, 2, 3, 5, 12 कुल 5 |
− | * स्वर्ग की संकल्पना
| + | *श्रीसूक्त -श्लोक क. 1, 2, 3, 4, 6. कुल 5 |
− | * व्यक्तिगत स्तर
| + | * हमारा देश |
− | * पंचमहाभूत
| + | * धर्म की व्यापक संकल्पना- पर्यावरण, समाज, व्यक्ति |
− | * सत्ताईस नक्षत्र
| + | * वेदों की अपौरुषेयता |
− | * वर्णमाला, उच्चारण,
| + | * चैतन्यमय समाजपुरुष की संकल्पना |
− | * देवनागरी लिपि एवं अंकपद्धति | + | * गीता में समाज के विविध अंगों ( वर्ण ) के कर्तव्य |
− | * कालगणना
| + | * एकात्म मानवदर्शन आधारित जीवन का भारतीय प्रतिमान |
− | * हमारे षड्रिपु- तुलसीदास जी दवरा लिखित छः: मानस रोग
| + | * 14 विद्या, 64 कलाएँ |
− | * हमारा आहार- उसके विविध स्रोत | | + | * भारतीय संगीत परंपरा- सा कला या विमुक्तये। |
− | * क्या खाएँ, कैसे खाएँ- श्रीमद्भगवदगीता के अनुसार सात्विक, राजस और तामस आहार। | + | * गौरवशाली भारत के अन्य बिन्दु |
− | * भोजन के मंत्र- सकारण स्पष्टीकरण। | + | * हमारा साहित्य- प्रस्थानत्रयी, शुक्रनीति, दर्शनशास्त्र, भरतमुनि का नाट्यशास्त्र, भरद्वाज मुनि का यंत्रसर्वस्व |
− | * भारतीय भोजन की विविधता और विदेशों में उसकी लोकप्रियता | + | * विदेशी आकमणों का हिन्दु अवरोध शरद हेबालकर इस किताब के चयनित अंश |
− | * हवा में तैरने वाली पत्थर की मूर्तियाँ बनाने की कला- भुवनेश्वर | |
− | * आठ गणितीय प्रकियाओं का शोध | |
− | * हमारा साहित्य | |
− | * यम-नियम | |
− | * पतंजलि के योगसूत्र | |
− | * भास्कराचार्य की लीलावती एवं वैदिक गणित | |
− | * पंचतंत्र हितोपदेश | |
| * हमारे पूर्वज | | * हमारे पूर्वज |
− | ** श्रीमंत शंकरदेव | + | ** राजा रविवर्मा, भामाशाह रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मीबाई, रानी चन्नम्मा, भरत मुनि, कालिदास, सूरदास, त्यागराज, रसखान, भाग्यचन्द्र, भरध्षाज, सुश्रुत, चरक, नागार्जुन, भास्कराचार्य ड्वितीय, वराहमिहिर, आर्यभट्ट, राजा भोज, जगदीशचन्द्र बसु, चन्द्रशेखर वेंकटरमण, रामानुजम्, |
− | ** स्वामी विद्यारण्य
| + | * अर्थसंयम |
− | ** श्रीशंकराचार्य
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− | ** भारत की गौरवशाली शासक परंपराएँ - गुप्त साम्राज्य
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− | ** विजयनगर साम्राज्य
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− | ** बाप्पा रावल, ललितादित्य, मुक्तापीड, राजेन्द्र चोल, आहोम राजवंश, कुष्णदेवराय, मसुनुरी नायक, रणजितसिंह, बाजीराव पेशवे, लाचित बडफुकन
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| * कृतिपाठ | | * कृतिपाठ |
− | ** योगासन (अल्पकालीन), सुखासन- पालथी लगा कर बैठना। | + | ** घरेलू कार्य- प्रत्येक रविवार को पूरे घर की सफाई करना। घर की सब्जी इत्यादि लाने का कार्य करना एवं उसका हिसाब रखना। |
− | ** आकाश का निरीक्षण एवं ग्रहनक्षत्रों का परिचय | + | ** भारत की पारंपारिक कलाएँ |
− | ** क्रोधसंयम | + | ** अल्पना, मांडना |
− | ** घर में घरेलू कार्य सीखना और करना | + | ** चौक पूरना |
| + | ** राम के अयोध्या से लंका तक के प्रवास का मार्ग भारत के मानचित्र में दिखाना। |
| + | ** दक्षिण भारत के विशिष्ट स्थापत्य की सचित्र जानकारी संकलित करना। |
| + | ** उत्तर भारत और दक्षिण भारत की स्थापत्य शैलियों की जानकारी करना। |
| + | ** मांडवगढ़, चित्तौडगढ़, कुभलगढ, जैसलमेर तथा देश के अन्य दुर्गो का सचित्र इतिहास संकलित करना । |
| + | ** स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली दो-दो स्वयंसेवी संस्थाओं की कार्यप्रणाली का अध्ययन करना।\ |
| ** व्यवहारसूत्र | | ** व्यवहारसूत्र |
− | *** एक सद् विप्राः बहुधा वदन्ति। | + | *** सर्वे भवन्तु सुखिनः। |
− | *** तेन त्यक्तेन भुंजीथा:। | + | *** एकात्मता दृष्टि। |
− | *** यत्पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे। | + | *** कृष्वन्तो विश्वमार्यम्। |
− | *** यम-सत्य, अहिंसा। | + | *** पूर्णत्व प्राप्ति की आस। |
− | *** नियम-शौच, संतोष। | + | * अष्टांग योग-ईश्वर प्रणिधान |
| ==References== | | ==References== |
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