− | गुजरात प्रान्त के काठियावाड़ जिले में यह पर्वत स्थित है। यह पर्वत पावन प्रभास क्षेत्र तक विस्तृत है। जैन सम्प्रदाय के ५ पवित्र तीर्थों में से एक शत्रुजय या पालीताना भी इसी के अन्तर्गत आता है। यह गिरनार के नाम से भी जाना जाता है। माघकवि द्वारा रचित ग्रन्थ '''शिशुपाल-वध''' में इसका सुन्दर वर्णन किया गया है। कोटिरुद्र संहिता के अनुसार भगवान शंकर ने यहाँ निवास किया। सोमनाथ नामक ज्योतिर्लिग यहाँ से थोड़ी ही दूरी पर विराजमान है। रैवतक पर्वत शिव का प्रिय स्थान है, अत: उन्होंने अन्य देवताओं को भी वहाँ आमन्त्रित कर वहीं वास करने को राजी कर लिया। इस पर्वत पर अनेक पवित्र मन्दिर व पवित्र जलकुण्ड विद्यमान हैं। रैवतक पर्वत का गोरखनाथ शिखर सबसे ऊँचा है। सम्पूर्ण देश से तीर्थयात्री यहाँ आते हैं। जैन सम्प्रदाय के भी अनेक मन्दिर इस पर्वत पर विद्यमान हैं। | + | गुजरात प्रान्त के काठियावाड़ जिले में यह पर्वत स्थित है। यह पर्वत पावन प्रभास क्षेत्र तक विस्तृत है। जैन सम्प्रदाय के ५ पवित्र तीर्थों में से एक शत्रुजय या पालीताना भी इसी के अन्तर्गत आता है। यह गिरनार के नाम से भी जाना जाता है। माघकवि द्वारा रचित ग्रन्थ '''शिशुपाल-वध''' में इसका सुन्दर वर्णन किया गया है। कोटिरुद्र संहिता के अनुसार भगवान शंकर ने यहाँ निवास किया। सोमनाथ नामक ज्योतिर्लिंग यहाँ से थोड़ी ही दूरी पर विराजमान है। रैवतक पर्वत शिव का प्रिय स्थान है, अत: उन्होंने अन्य देवताओं को भी वहाँ आमन्त्रित कर वहीं वास करने को राजी कर लिया। इस पर्वत पर अनेक पवित्र मन्दिर व पवित्र जलकुण्ड विद्यमान हैं। रैवतक पर्वत का गोरखनाथ शिखर सबसे ऊँचा है। सम्पूर्ण देश से तीर्थयात्री यहाँ आते हैं। जैन सम्प्रदाय के भी अनेक मन्दिर इस पर्वत पर विद्यमान हैं। |