# प्रेम, समर्पण, त्याग और सेवा के आधार पर कुटुम्ब बनता है। इन भावों को एक पीढी से दूसरी पीढी तक आचरण के माध्यम से संक्रान्त किया जाता है। इनकी शिक्षा का इससे अधिक प्रभावी कोई उपाय नहीं हो सकता । कुटुम्ब से इन भावों की शिक्षा प्राप्त कर व्यक्ति अपने सामाजिक व्यवहार में भी इन्हें प्रकट करता है। समाज के चरित्रनिर्माण में कुटुम्ब का बडा योगदान रहता है। | # प्रेम, समर्पण, त्याग और सेवा के आधार पर कुटुम्ब बनता है। इन भावों को एक पीढी से दूसरी पीढी तक आचरण के माध्यम से संक्रान्त किया जाता है। इनकी शिक्षा का इससे अधिक प्रभावी कोई उपाय नहीं हो सकता । कुटुम्ब से इन भावों की शिक्षा प्राप्त कर व्यक्ति अपने सामाजिक व्यवहार में भी इन्हें प्रकट करता है। समाज के चरित्रनिर्माण में कुटुम्ब का बडा योगदान रहता है। |