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वास्तव में कभी किसी व्यक्ति ने किसी दूसरे को नहीं सिखाया । हममें से प्रत्येक को अपने आपको सिखाना होगा । बाहर के गुरु तो केवल सुझाव या प्रेरणा देनेवाले कारण मात्र हैं, जो हमारे अतंधस्थ गुरु को सब विषयों का मर्म समझने के लिए उद्बोधित कर देते हैं ।
वास्तव में कभी किसी व्यक्ति ने किसी दूसरे को नहीं सिखाया । हममें से प्रत्येक को अपने आपको सिखाना होगा । बाहर के गुरु तो केवल सुझाव या प्रेरणा देनेवाले कारण मात्र हैं, जो हमारे अतंधस्थ गुरु को सब विषयों का मर्म समझने के लिए उद्बोधित कर देते हैं ।
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==== शिक्षा कया नहीं है ? ====
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==== शिक्षा क्या नहीं है ? ====
शिक्षा विविध जानकारियों का ढेर नहीं है, जो तुम्हारे मास्तिष्क में दूस दिया गया है और जो आत्मसात् हुए बिना वहाँ आजन्म पड़ा रहकर गड़बड़ मचाया करता है । हमें उन विचारों की अनुभूति कर लेने की आवश्यकता है, जो जीवन-निर्माण, “मनुष्य -निर्माण तथा चखिन-निर्माण में सहायक हों ।
शिक्षा विविध जानकारियों का ढेर नहीं है, जो तुम्हारे मास्तिष्क में दूस दिया गया है और जो आत्मसात् हुए बिना वहाँ आजन्म पड़ा रहकर गड़बड़ मचाया करता है । हमें उन विचारों की अनुभूति कर लेने की आवश्यकता है, जो जीवन-निर्माण, “मनुष्य -निर्माण तथा चखिन-निर्माण में सहायक हों ।