| Line 1: |
Line 1: |
| | {{One source|date=October 2020}} | | {{One source|date=October 2020}} |
| | | | |
| − | जिनका लालन और ताड़न सम्यक हुआ है वे बालक विकास होना अपेक्षित है । शृंगार और सादगी का | + | जिनका लालन और ताड़न सम्यक हुआ है वे बालक जब सोलह वर्ष के होते हैं तब कैसे रहते हैं इसका विचार करने से उनके साथ कैसा व्यवहार करना यह समझ में आता है<ref>धार्मिक शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला १): पर्व ५, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। |
| | | | |
| − | जब सोलह वर्ष के होते हैं तब कैसे रहते हैं इसका विचार सन्तुलन बिठाना आवश्यक है । लड़कों के लिये
| + | ''सन्तुलन बिठाना आवश्यक है ।'' |
| | | | |
| − | करने से उनके साथ कैसा व्यवहार करना यह समझ में आता शुंगार निषिद्ध ही मानना चाहिए । लड़के और
| + | ''विकास होना अपेक्षित है । शृंगार और सादगी का लड़कों के लिये'' |
| | | | |
| − | है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस आयु में उनका लड़किया दोनों में कलाओं का विकास होना
| + | ''आता शुंगार निषिद्ध ही मानना चाहिए । लड़के और'' |
| | | | |
| − | संभाव्य विकास हो चुका होता है । इसका तात्पर्य कया है ? चाहिए । विशेष रूप से संगीत दोनों के लिये बहुत
| + | ''है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस आयु में उनका लड़किया दोनों में कलाओं का विकास होना'' |
| | | | |
| − | उनकी इंद्रियाँ, मन, बुद्धि, अहंकार, चित्त आदि की जो लाभकारी है । संगीत भावनाओं का परिष्कार करता
| + | ''संभाव्य विकास हो चुका होता है । इसका तात्पर्य कया है ? चाहिए । विशेष रूप से संगीत दोनों के लिये बहुत'' |
| | | | |
| − | क्षमतायें होती हैं वे अब बन चुकी हैं । इनका जितना है । रसवृत्ति का सन्तुलन बहुत अच्छे से करता है ।
| + | ''उनकी इंद्रियाँ, मन, बुद्धि, अहंकार, चित्त आदि की जो लाभकारी है । संगीत भावनाओं का परिष्कार करता'' |
| | | | |
| − | विकास होना था उतना हो चुका है । इसलिए अब जितनी परन्तु संगीत के विषय में ध्यान देने योग्य बात यह है
| + | ''क्षमतायें होती हैं वे अब बन चुकी हैं । इनका जितना है । रसवृत्ति का सन्तुलन बहुत अच्छे से करता है ।'' |
| | | | |
| − | क्षमता है उसका स्वीकार कर लेना मातापिता का प्रथम कि वह भारतीय शास्त्रीय संगीत होना चाहिए । संगीत
| + | ''विकास होना था उतना हो चुका है । इसलिए अब जितनी परन्तु संगीत के विषय में ध्यान देने योग्य बात यह है'' |
| | | | |
| − | कर्तव्य है । इस आयु तक मातापिता ने कितना भी सम्यक चित्तवृत्तियों को शान्त भी करता है और उत्तेजित भी
| + | ''क्षमता है उसका स्वीकार कर लेना मातापिता का प्रथम कि वह भारतीय शास्त्रीय संगीत होना चाहिए । संगीत'' |
| | | | |
| − | और सही संगोपन किया होगा तो भी उनकी संभावना के करता है, उन्माद भी बढ़ाता है और प्रसन्नता भी
| + | ''कर्तव्य है । इस आयु तक मातापिता ने कितना भी सम्यक चित्तवृत्तियों को शान्त भी करता है और उत्तेजित भी'' |
| | | | |
| − | अनुसार ही उनका चरित्र बनेगा, क्षमतायें विकसित होंगी । बढ़ाता है । युद्ध के लिये भी भड़काता है और भक्ति
| + | ''और सही संगोपन किया होगा तो भी उनकी संभावना के करता है, उन्माद भी बढ़ाता है और प्रसन्नता भी'' |
| | | | |
| − | इसलिए उनकी क्षमता पहचान कर ही उनसे अपेक्षा करनी के लिये भी प्रेरित करता है। इसलिए संगीत के
| + | ''अनुसार ही उनका चरित्र बनेगा, क्षमतायें विकसित होंगी । बढ़ाता है । युद्ध के लिये भी भड़काता है और भक्ति'' |
| | | | |
| − | चाहिए । सभी बच्चे एक समान नहीं होते यह समझना स्वरूप का चयन करने में सावधानी रखनी चाहिए |
| + | ''इसलिए उनकी क्षमता पहचान कर ही उनसे अपेक्षा करनी के लिये भी प्रेरित करता है। इसलिए संगीत के'' |
| | | | |
| − | चाहिए । अवास्तव अपेक्षायें करके स्वयं दुःखी नहीं होना दूसरा, संगीत सुनने का अभ्यास गाने में परिणत होना | + | ''चाहिए । सभी बच्चे एक समान नहीं होते यह समझना स्वरूप का चयन करने में सावधानी रखनी चाहिए |'' |
| | | | |
| − | चाहिए और संतानों को भी दोषी नहीं मानना चाहिए । चाहिए । केवल सुनना अपेक्षित नहीं है, गाना या
| + | ''चाहिए । अवास्तव अपेक्षायें करके स्वयं दुःखी नहीं होना दूसरा, संगीत सुनने का अभ्यास गाने में परिणत होना'' |
| | | | |
| − | पहली बात है कि अब पुत्र या पुत्री के लिये बजाना भी चाहिए, केवल नृत्य देखना अपेक्षित नहीं
| + | ''चाहिए और संतानों को भी दोषी नहीं मानना चाहिए । चाहिए । केवल सुनना अपेक्षित नहीं है, गाना या'' |
| | | | |
| − | गृहस्थाश्रम का प्रशिक्षण शुरू होता है । पुत्री माता की और है, नृत्य करना भी चाहिए ।
| + | ''पहली बात है कि अब पुत्र या पुत्री के लिये बजाना भी चाहिए, केवल नृत्य देखना अपेक्षित नहीं'' |
| | | | |
| − | पुत्र पिता का शिष्य होता है । अब से लेकर विवाह होने तक... २. ब्रह्मचर्य को संभव बनाने के लिये खेलना और
| + | ''गृहस्थाश्रम का प्रशिक्षण शुरू होता है । पुत्री माता की और है, नृत्य करना भी चाहिए ।'' |
| | | | |
| − | का काल प्रशिक्षण के लिये होता है । यह प्रशिक्षण दो बातों परिश्रम करना आवश्यक है । घर के आसपास और | + | ''पुत्र पिता का शिष्य होता है । अब से लेकर विवाह होने तक... २. ब्रह्मचर्य को संभव बनाने के लिये खेलना और'' |
| | | | |
| − | का होता है । एक होता है विवाहयोग्य बनने का और दूसरा विद्यालयों में मैदान को शैक्षिक दृष्टि से भी आवश्यक | + | ''का काल प्रशिक्षण के लिये होता है । यह प्रशिक्षण दो बातों परिश्रम करना आवश्यक है । घर के आसपास और'' |
| | | | |
| − | होता है अथार्जिन करने का । माना गया है । लड़कों के लिये कुश्ती, मछ्लखंभ, | + | ''का होता है । एक होता है विवाहयोग्य बनने का और दूसरा विद्यालयों में मैदान को शैक्षिक दृष्टि से भी आवश्यक'' |
| | | | |
| − | कबड्डी जैसे खेल और मेहनत के घर के काम करना
| + | ''होता है अथार्जिन करने का । माना गया है । लड़कों के लिये कुश्ती, मछ्लखंभ,'' |
| | | | |
| − | विवाहयोग्य बनने का प्रशिक्षण लाभकारी होता है । लड़कियों के लिये खो खो जैसे
| + | ''कबड्डी जैसे खेल और मेहनत के घर के काम करना'' |
| | | | |
| − | १, इस आयु में ब्रह्मचर्य की अत्यधिक आवश्यकता और भागने के खेल तथा चक्की चलाने, कूटने और
| + | ''विवाहयोग्य बनने का प्रशिक्षण लाभकारी होता है । लड़कियों के लिये खो खो जैसे'' |
| | | | |
| − | होती है। संयम और रसवृत्ति दोनों का संतुलित चटनी पीसने जैसे व्यायाम लाभकारी होते हैं।
| + | ''१, इस आयु में ब्रह्मचर्य की अत्यधिक आवश्यकता और भागने के खेल तथा चक्की चलाने, कूटने और'' |
| | | | |
| − | २११
| + | ''होती है। संयम और रसवृत्ति दोनों का संतुलित चटनी पीसने जैसे व्यायाम लाभकारी होते हैं।'' |
| | | | |
| − | ............. page-228 .............
| + | ''२११'' |
| | | | |
| − | भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
| + | ''शारीरिक परिश्रम से दिन में कम से कम कुशलतापूर्वक, अर्थ एवं प्रयोजन समझकर ये सारे'' |
| | | | |
| − | शारीरिक परिश्रम से दिन में कम से कम कुशलतापूर्वक, अर्थ एवं प्रयोजन समझकर ये सारे
| + | ''एक बार पसीना निथरना चाहिए । इससे शरीर और काम करते हैं । उदाहरण के लिये पूजा क्यों करनी'' |
| | | | |
| − | एक बार पसीना निथरना चाहिए । इससे शरीर और काम करते हैं । उदाहरण के लिये पूजा क्यों करनी
| + | ''मन के मैल निकल जाते हैं और उत्तेजनायें कम होती चाहिए, यज्ञ करने में घी आदि सामग्री का जलाकर'' |
| | | | |
| − | मन के मैल निकल जाते हैं और उत्तेजनायें कम होती चाहिए, यज्ञ करने में घी आदि सामग्री का जलाकर
| + | ''हैं । प्रसन्नता बढ़ती है और स्वास्थ्य अच्छा होता नाश क्यों नहीं होता यह समझकर ये काम करने'' |
| | | | |
| − | हैं । प्रसन्नता बढ़ती है और स्वास्थ्य अच्छा होता नाश क्यों नहीं होता यह समझकर ये काम करने
| + | ''है । यह सब सीखने के लिये समय मिलना चाहिए । चाहिए । इस प्रकार सात्ततिक और पौष्टिक भोजन'' |
| | | | |
| − | है । यह सब सीखने के लिये समय मिलना चाहिए । चाहिए । इस प्रकार सात्ततिक और पौष्टिक भोजन
| + | ''इसलिए गणित, विज्ञान, संगणक की पढ़ाई के लिये क्यों होना चाहिए इसका भी उन्हें पता होना चाहिये ।'' |
| | | | |
| − | इसलिए गणित, विज्ञान, संगणक की पढ़ाई के लिये क्यों होना चाहिए इसका भी उन्हें पता होना चाहिये ।
| + | ''कम समय बचता है तो चिन्ता नहीं करनी चाहिए । ऋतु के अनुसार कौनसे सागसब्जी बाजार में मिलते'' |
| | | | |
| − | कम समय बचता है तो चिन्ता नहीं करनी चाहिए । ऋतु के अनुसार कौनसे सागसब्जी बाजार में मिलते
| + | ''3. यह सब सीखने का अर्थ यह नहीं है कि इनके लिये हैं, कौन से सागसब्जी फल कब और कैसे खाना'' |
| | | | |
| − | 3. यह सब सीखने का अर्थ यह नहीं है कि इनके लिये हैं, कौन से सागसब्जी फल कब और कैसे खाना
| + | ''पैसा खर्च कर क्लास में जाओ । घर में ही इसका चाहिए, कौन से दिनों में कौन सा अनाज उगता है,'' |
| | | | |
| − | पैसा खर्च कर क्लास में जाओ । घर में ही इसका चाहिए, कौन से दिनों में कौन सा अनाज उगता है,
| + | ''अच्छा अभ्यास हो सकता है । प्राथमिक स्वरूप के उसकी गुणवत्ता परखने के लिये क्या करना चाहिए'' |
| | | | |
| − | अच्छा अभ्यास हो सकता है । प्राथमिक स्वरूप के उसकी गुणवत्ता परखने के लिये क्या करना चाहिए
| + | ''खेल और संगीत सिखाने कि व्यवस्था विद्यालय में आदि जानकारी दोनों को होनी चाहिए । वास्तव में'' |
| | | | |
| − | खेल और संगीत सिखाने कि व्यवस्था विद्यालय में आदि जानकारी दोनों को होनी चाहिए । वास्तव में
| + | ''ही होनी चाहिए । अतिरिक्त पैसे खर्च करने कि और यह बड़ा और महत्त्वपूर्ण विषय है और समय और'' |
| | | | |
| − | ही होनी चाहिए । अतिरिक्त पैसे खर्च करने कि और यह बड़ा और महत्त्वपूर्ण विषय है और समय और
| + | ''समय निकालने कि. आवश्यकता नहीं मानना बुद्धि लगाकर इसे जानना चाहिए । इसमें समय'' |
| | | | |
| − | समय निकालने कि. आवश्यकता नहीं मानना बुद्धि लगाकर इसे जानना चाहिए । इसमें समय
| + | ''चाहिए । स्पर्धा और पुरस्कारों के उद्देश्य से संगीत, लगाना विद्यालय और महाविद्यालय की शिक्षा से भी'' |
| | | | |
| − | चाहिए । स्पर्धा और पुरस्कारों के उद्देश्य से संगीत, लगाना विद्यालय और महाविद्यालय की शिक्षा से भी | + | ''खेल या योगाभ्यास, कलाकारीगरी या नृत्यनाटक अधिक महत्त्वपूर्ण मानना चाहिए ।'' |
| | | | |
| − | खेल या योगाभ्यास, कलाकारीगरी या नृत्यनाटक अधिक महत्त्वपूर्ण मानना चाहिए ।
| + | ''नहीं होना चाहिए । व्यक्तित्व के स्वस्थ विकास के... ६.. ब्रह्मचर्य के पालन के लिये लड़के और लड़कियों का'' |
| | | | |
| − | नहीं होना चाहिए । व्यक्तित्व के स्वस्थ विकास के... ६.. ब्रह्मचर्य के पालन के लिये लड़के और लड़कियों का
| + | ''लिये स्पर्धा से यथासंभव बचना ही चाहिए । स्वस्थ सम्बन्ध निर्माण करना अति आवश्यक है ।'' |
| | | | |
| − | लिये स्पर्धा से यथासंभव बचना ही चाहिए । स्वस्थ सम्बन्ध निर्माण करना अति आवश्यक है ।
| + | ''पारंपरिक उत्सवों को निमित्त बनाकर खूब खेलना कामनाओं का शास्त्र तो कहता है कि पिता और पुत्री'' |
| | | | |
| − | पारंपरिक उत्सवों को निमित्त बनाकर खूब खेलना कामनाओं का शास्त्र तो कहता है कि पिता और पुत्री
| + | ''गाना. होना. चाहिए। हमारे नवरात्रि, होली, ने निर्दोष भाव से भी एकान्त में नहीं रहना चाहिए ।'' |
| | | | |
| − | गाना. होना. चाहिए। हमारे नवरात्रि, होली, ने निर्दोष भाव से भी एकान्त में नहीं रहना चाहिए ।
| + | ''विजयादशमी जैसे उत्सव इस दृष्टि से बहुत उपयोगी आज लड़के और लड़कियों की मित्रता को मान्य'' |
| | | | |
| − | विजयादशमी जैसे उत्सव इस दृष्टि से बहुत उपयोगी आज लड़के और लड़कियों की मित्रता को मान्य
| + | ''हो सकते हैं । किया जाता है । इस सम्बन्ध में स्वस्थता पूर्वक'' |
| | | | |
| − | हो सकते हैं । किया जाता है । इस सम्बन्ध में स्वस्थता पूर्वक
| + | ''४. . ब्रह्मचर्य के सम्यकू पालन के लिये आहार का भी विचार करने की आवश्यकता है। सार्वजनिक'' |
| | | | |
| − | ४. . ब्रह्मचर्य के सम्यकू पालन के लिये आहार का भी विचार करने की आवश्यकता है। सार्वजनिक
| + | ''बहुत महत्त्व है। सात्त्लिक खाना और रस लेकर Rian, aed जैसी मानसिकता, स्त्रीदाक्षिण्य,'' |
| | | | |
| − | बहुत महत्त्व है। सात्त्लिक खाना और रस लेकर Rian, aed जैसी मानसिकता, स्त्रीदाक्षिण्य,
| + | ''खाना दोनों को आना चाहिए । भोजन बनाने और स््रीसुलभ लज्जा आदि का जतन कर लड़के लड़कियों'' |
| | | | |
| − | खाना दोनों को आना चाहिए । भोजन बनाने और स््रीसुलभ लज्जा आदि का जतन कर लड़के लड़कियों
| + | ''करने की वैज्ञानिक पद्धति दोनों को समझनी चाहिए का व्यवहार निर्देशित हो, यह देखना चाहिए । यह'' |
| | | | |
| − | करने की वैज्ञानिक पद्धति दोनों को समझनी चाहिए का व्यवहार निर्देशित हो, यह देखना चाहिए । यह
| + | ''और उस दृष्टि से भोजन सामग्री परखने की, भोजन सब खुलेपन से चर्चा कर, बच्चों की समझ और'' |
| | | | |
| − | और उस दृष्टि से भोजन सामग्री परखने की, भोजन सब खुलेपन से चर्चा कर, बच्चों की समझ और
| + | ''बनाने की प्रक्रिया की, भोजन करने की वैज्ञानिक सहमति बनाकर होना चाहिए। यही शिक्षा है।'' |
| | | | |
| − | बनाने की प्रक्रिया की, भोजन करने की वैज्ञानिक सहमति बनाकर होना चाहिए। यही शिक्षा है।
| + | ''और सांस्कृतिक जानकारी होनी चाहिए। ऐसी केवल आज्ञा से, ज़बरदस्ती से शिष्टाचार का पालन'' |
| | | | |
| − | और सांस्कृतिक जानकारी होनी चाहिए। ऐसी केवल आज्ञा से, ज़बरदस्ती से शिष्टाचार का पालन
| + | ''जानकारी रखने वालों को ही शिक्षित कहा जाता है । करवाना, मातापिता की परवाह न करते हुए अथवा'' |
| | | | |
| − | जानकारी रखने वालों को ही शिक्षित कहा जाता है । करवाना, मातापिता की परवाह न करते हुए अथवा | + | ''जानकारी के साथ साथ कुशलता भी होनी चाहिए | छिपाकर मैत्री बनाना न हो इसका ध्यान रखना'' |
| | | | |
| − | जानकारी के साथ साथ कुशलता भी होनी चाहिए | छिपाकर मैत्री बनाना न हो इसका ध्यान रखना | + | ''क्रियात्मक कामों की क्रियात्मक जानकारी ही चाहिए। संकेतों के रूप में व्यक्त होने वाली'' |
| | | | |
| − | क्रियात्मक कामों की क्रियात्मक जानकारी ही चाहिए। संकेतों के रूप में व्यक्त होने वाली
| + | ''अपेक्षित होती है । मातापिता की सहमति अथवा असहमति को समझने'' |
| | | | |
| − | अपेक्षित होती है । मातापिता की सहमति अथवा असहमति को समझने
| + | ''५. दोनों के लिये योगाभ्यास, पूजा, यज्ञ, सुर्यनमस्कार की वृत्ति और बुद्धि का विकास करना चाहिए ।'' |
| | | | |
| − | ५. दोनों के लिये योगाभ्यास, पूजा, यज्ञ, सुर्यनमस्कार की वृत्ति और बुद्धि का विकास करना चाहिए ।
| + | ''अनिवार्य बनाना चाहिए । ये सब इनके लिये केवल. ७... आजकल बारबार कहा जाता है कि बच्चों की रुचि'' |
| | | | |
| − | अनिवार्य बनाना चाहिए । ये सब इनके लिये केवल. ७... आजकल बारबार कहा जाता है कि बच्चों की रुचि
| + | ''कर्मकाण्ड नहीं होने चाहिए। शिक्षित लोग के अनुसार करने देना चाहिए । उनकी स्वतन्त्रता का'' |
| − | | |
| − | कर्मकाण्ड नहीं होने चाहिए। शिक्षित लोग के अनुसार करने देना चाहिए । उनकी स्वतन्त्रता का | |
| | | | |
| | २१२ | | २१२ |
| | | | |
| − | ............. page-229 ............. | + | ''............. page-229 .............'' |
| | | | |
| − | पर्व ५ : कुटुम्बशिक्षा एवं लोकशिक्षा | + | ''पर्व ५ : कुटुम्बशिक्षा एवं लोकशिक्षा'' |
| | | | |
| − | सम्मान करना चाहिए । सिद्धांत के रूप में तो यह जिसके पास हीरेमोती और सुवर्ण | + | ''सम्मान करना चाहिए । सिद्धांत के रूप में तो यह जिसके पास हीरेमोती और सुवर्ण'' |
| | | | |
| − | बात सत्य है परन्तु उन्हें स्वयं की रुचि और इच्छाओं के आभूषण हैं और जिसे बादाम खाने को मिलता है | + | ''बात सत्य है परन्तु उन्हें स्वयं की रुचि और इच्छाओं के आभूषण हैं और जिसे बादाम खाने को मिलता है'' |
| | | | |
| − | के स्वरूप और परिणाम का विश्लेषण करना सिखाना वह पीतल के आभूषणों में और बाजारू पदार्थों में | + | ''के स्वरूप और परिणाम का विश्लेषण करना सिखाना वह पीतल के आभूषणों में और बाजारू पदार्थों में'' |
| | | | |
| − | चाहिए और बाद में उन्हें स्वतन्त्रतापूर्वक व्यवहार अपने आप ही रुचि नहीं लेगा । यह नियम मनोरंजन | + | ''चाहिए और बाद में उन्हें स्वतन्त्रतापूर्वक व्यवहार अपने आप ही रुचि नहीं लेगा । यह नियम मनोरंजन'' |
| | | | |
| − | करने देना चाहिए । बड़ों का यही काम है । छोटों के लिये भी लागू है । | + | ''करने देना चाहिए । बड़ों का यही काम है । छोटों के लिये भी लागू है ।'' |
| | | | |
| − | का भी इस प्रकार सीखने का कर्तव्य है । इसे ही | + | ''का भी इस प्रकार सीखने का कर्तव्य है । इसे ही'' |
| | | | |
| − | बड़ों के अनुभवों से लाभान्वित होना कहा जाता है।.... रहस्थाश्रम की तैयारी | + | ''बड़ों के अनुभवों से लाभान्वित होना कहा जाता है।.... रहस्थाश्रम की तैयारी'' |
| | | | |
| − | घर में यह सब सम्भव हो सके इसके लिये दोनों ओर भारत के मनीषियों ने मनुष्य जीवन के उन्नयन के | + | ''घर में यह सब सम्भव हो सके इसके लिये दोनों ओर भारत के मनीषियों ने मनुष्य जीवन के उन्नयन के'' |
| | | | |
| − | पर्याप्त धैर्य की आवश्यकता होती है । दो पीढ़ियों के... लिये व्यक्ति और समाज की समरसता और सामंजस्य | + | ''पर्याप्त धैर्य की आवश्यकता होती है । दो पीढ़ियों के... लिये व्यक्ति और समाज की समरसता और सामंजस्य'' |
| | | | |
| − | बीच का आयु का अन्तर जनरेशन गेप न बन जाये... बिठाते हुए चार आश्रमों की व्यवस्था दी । ये चार आश्रम | + | ''बीच का आयु का अन्तर जनरेशन गेप न बन जाये... बिठाते हुए चार आश्रमों की व्यवस्था दी । ये चार आश्रम'' |
| | | | |
| − | इसका ध्यान रखना चाहिए । हैं wee, TRIN, ae Sh | + | ''इसका ध्यान रखना चाहिए । हैं wee, TRIN, ae Sh'' |
| | | | |
| − | é. यह आयु विजातीय आकर्षण की होती है। यह... संन्यास्ताश्रम । इनकी विस्तार से चर्चा अन्यत्र की हुई है | + | ''é. यह आयु विजातीय आकर्षण की होती है। यह... संन्यास्ताश्रम । इनकी विस्तार से चर्चा अन्यत्र की हुई है'' |
| | | | |
| − | आकर्षण असंख्य रूप धारण किए हुए रहता है । इसे. इसलिए यहाँ विस्तार करने की आवश्यकता नहीं है । केवल | + | ''आकर्षण असंख्य रूप धारण किए हुए रहता है । इसे. इसलिए यहाँ विस्तार करने की आवश्यकता नहीं है । केवल'' |
| | | | |
| − | समझना और समझाना सम्भव बनना चाहिए । इतना स्मरण कर लें कि चारों आश्रमों में गुहस्थाश्रम श्रेष्ठ | + | ''समझना और समझाना सम्भव बनना चाहिए । इतना स्मरण कर लें कि चारों आश्रमों में गुहस्थाश्रम श्रेष्ठ'' |
| | | | |
| − | यौनशिक्षा की बात पूर्व में की ही है । आश्रम है । घर में पन्द्रह से पाचीस वर्ष की आयु में सीखने | + | ''यौनशिक्षा की बात पूर्व में की ही है । आश्रम है । घर में पन्द्रह से पाचीस वर्ष की आयु में सीखने'' |
| | | | |
| − | 8. संगीत और कला के साथसाथ साहित्य और काव्य... के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण पाठ्यक्रम है । पढ़ने-पढ़ाने की | + | ''8. संगीत और कला के साथसाथ साहित्य और काव्य... के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण पाठ्यक्रम है । पढ़ने-पढ़ाने की'' |
| | | | |
| − | का रस ग्रहण करने की शिक्षा भी मिलनी आवश्यक... पद्धति विद्यालयों में होती है उससे अलग घर में अवश्य | + | ''का रस ग्रहण करने की शिक्षा भी मिलनी आवश्यक... पद्धति विद्यालयों में होती है उससे अलग घर में अवश्य'' |
| | | | |
| − | है। इसका ध्यान तो विद्यालय में भी रखा जाना... होती है परन्तु गंभीरता कम नहीं होती है, कुछ अधिक ही | + | ''है। इसका ध्यान तो विद्यालय में भी रखा जाना... होती है परन्तु गंभीरता कम नहीं होती है, कुछ अधिक ही'' |
| | | | |
| − | चाहिए परन्तु इसके लिये अनुकूल वातावरण घर में... होती है । स्त्री और पुरुष विवाह संस्कार से जुड़कर पति | + | ''चाहिए परन्तु इसके लिये अनुकूल वातावरण घर में... होती है । स्त्री और पुरुष विवाह संस्कार से जुड़कर पति'' |
| | | | |
| − | होना चाहिए । पुस्तकें पढ़ने का शौक घर A ait |= और पत्नी बनते हैं और उनका गृहस्थाश्रम शुरू होता है । | + | ''होना चाहिए । पुस्तकें पढ़ने का शौक घर A ait |= और पत्नी बनते हैं और उनका गृहस्थाश्रम शुरू होता है ।'' |
| | | | |
| − | होना चाहिए और पढ़े हुए की चर्चा भोजन के टेबल... विवाह से पूर्व दस वर्ष इसकी शिक्षा चलती है । आज इसे | + | ''होना चाहिए और पढ़े हुए की चर्चा भोजन के टेबल... विवाह से पूर्व दस वर्ष इसकी शिक्षा चलती है । आज इसे'' |
| | | | |
| − | पर होनी चाहिए । एक उक्ति है, “काव्यशास्त्रविनोदेन .... जरा भी गंभीरता से नहीं लिया जाता है, परन्तु इससे उसका | + | ''पर होनी चाहिए । एक उक्ति है, “काव्यशास्त्रविनोदेन .... जरा भी गंभीरता से नहीं लिया जाता है, परन्तु इससे उसका'' |
| | | | |
| − | कालो गच्छति धीमताम; अर्थात बुद्धिमानों का समय... महत्त्व कम नहीं हो जाता । उल्टे इसे महत्त्वपूर्ण मानने की | + | ''कालो गच्छति धीमताम; अर्थात बुद्धिमानों का समय... महत्त्व कम नहीं हो जाता । उल्टे इसे महत्त्वपूर्ण मानने की'' |
| | | | |
| − | काव्य और शास्त्र के विनोद से बीतता है । नित्य... आवश्यकता है इस मुद्दे से ही सीखना शुरू करना पड़ेगा । | + | ''काव्य और शास्त्र के विनोद से बीतता है । नित्य... आवश्यकता है इस मुद्दे से ही सीखना शुरू करना पड़ेगा ।'' |
| | | | |
| − | टीवी के सामने बैठना और एकदूसरे से कुछ बात ही दस वर्षों में इस तैयारी के मुद्दे क्या क्या हैं इसका | + | ''टीवी के सामने बैठना और एकदूसरे से कुछ बात ही दस वर्षों में इस तैयारी के मुद्दे क्या क्या हैं इसका'' |
| | | | |
| − | नहीं करना इसमें कितनी बाधा खड़ी करता है यह... अब विचार करेंगे । | + | ''नहीं करना इसमें कितनी बाधा खड़ी करता है यह... अब विचार करेंगे ।'' |
| | | | |
| − | समझ में आने वाली बात है । १, हमारे कुल, गोत्र, पूर्वज, नाते, रिश्ते आदि का | + | ''समझ में आने वाली बात है । १, हमारे कुल, गोत्र, पूर्वज, नाते, रिश्ते आदि का'' |
| | | | |
| − | १०, ब्रह्मचर्य का सम्बन्ध केवल नकारात्मक ही नहीं है । परिचय प्राप्त करना पहली आवश्यकता है । आज हम | + | ''१०, ब्रह्मचर्य का सम्बन्ध केवल नकारात्मक ही नहीं है । परिचय प्राप्त करना पहली आवश्यकता है । आज हम'' |
| | | | |
| − | वृत्तियों का उन्नयन करना सही दृष्टि है। इसलिए जो हैं उसमें उनका कितना अधिक योगदान है वह | + | ''वृत्तियों का उन्नयन करना सही दृष्टि है। इसलिए जो हैं उसमें उनका कितना अधिक योगदान है वह'' |
| | | | |
| − | संयम के साथसाथ निकृष्ट वृत्तियों, पदार्थों और समझना चाहिए । हमारे वर्तमान रिश्तेदारों के साथ | + | ''संयम के साथसाथ निकृष्ट वृत्तियों, पदार्थों और समझना चाहिए । हमारे वर्तमान रिश्तेदारों के साथ'' |
| | | | |
| − | कार्यकलापों में रुचि नहीं होना भी अपेक्षित है। अच्छे सम्बन्ध बनाने की कला अवगत करनी | + | ''कार्यकलापों में रुचि नहीं होना भी अपेक्षित है। अच्छे सम्बन्ध बनाने की कला अवगत करनी'' |
| | | | |
| − | किसी भी वस्तु को छोड़ने से पूर्व उससे अधिक चाहिए । उनके साथ के सम्बन्धों में हमारे घर की | + | ''किसी भी वस्तु को छोड़ने से पूर्व उससे अधिक चाहिए । उनके साथ के सम्बन्धों में हमारे घर की'' |
| | | | |
| − | अच्छी वस्तु सामने आने से निकृष्ट वस्तु अपने आप क्या भूमिका है इसकी उचित समझ होना आवश्यक | + | ''अच्छी वस्तु सामने आने से निकृष्ट वस्तु अपने आप क्या भूमिका है इसकी उचित समझ होना आवश्यक'' |
| | | | |
| − | छूट जाती है । जो दरिद्र होता है वही पीतल के है । मधुर अर्थगम्भीरवाणी का प्रयोग आना चाहिए । | + | ''छूट जाती है । जो दरिद्र होता है वही पीतल के है । मधुर अर्थगम्भीरवाणी का प्रयोग आना चाहिए ।'' |
| | | | |
| − | arp में या खराब पदार्थ खाने में रुचि लेता है । २... घर कैसे चलता है, पति-पत्नी के और मातापिता | + | ''arp में या खराब पदार्थ खाने में रुचि लेता है । २... घर कैसे चलता है, पति-पत्नी के और मातापिता'' |
| | | | |
| | R83 | | R83 |
| Line 209: |
Line 207: |
| | ............. page-230 ............. | | ............. page-230 ............. |
| | | | |
| − | और संतानों के सम्बन्ध कैसे बनते हैं | + | और संतानों के सम्बन्ध कैसे बनते हैं और कैसे निभाए जाते हैं इसकी समझ विकसित होनी चाहिए । इसके लिये साथ साथ रहना ही नहीं तो साथ साथ जीना आवश्यक होता है। यह औपचारिक शिक्षा नहीं है। साथ जीते जीते बहुत कुछ सीखा जाता है। सीखने का मनोविज्ञान भी कहता है कि सीखने का सबसे अच्छा तरीका साथ रहना ही है । इस शिक्षा के लिये समयसारिणी नहीं होती, न औपचारिक कक्षायें लगती हैं । फिर भी उत्तम सीखा जाता है । अनजाने में ही सीखा जाता है। |
| − | | |
| − | और कैसे निभाए जाते हैं इसकी समझ विकसित | |
| − | | |
| − | होनी चाहिए । इसके लिये साथ साथ रहना ही नहीं | |
| − | | |
| − | तो साथ साथ जीना आवश्यक होता है। यह | |
| − | | |
| − | औपचारिक शिक्षा नहीं है। साथ जीते जीते बहुत | |
| − | | |
| − | कुछ सीखा जाता है। सीखने का मनोविज्ञान भी | |
| − | | |
| − | कहता है कि सीखने का सबसे अच्छा तरीका साथ | |
| − | | |
| − | रहना ही है । इस शिक्षा के लिये समयसारिणी नहीं | |
| − | | |
| − | होती, न औपचारिक कक्षायें लगती हैं । फिर भी | |
| − | | |
| − | उत्तम सीखा जाता है । अनजाने में ही सीखा जाता | |
| − | | |
| − | है। | |
| − | | |
| − | काम करने की कुशलता, घर की प्रतिष्ठा सम्हालने
| |
| − | | |
| − | की आवश्यकता, सबका मन और मान रखने की
| |
| − | | |
| − | कुशलता, कम पैसे में अच्छे से अच्छा घर चलाने
| |
| − | | |
| − | की समझ आदि सीखने की बातें हैं । स्वकेन्द्री न
| |
| − | | |
| − | बनकर दूसरों के लिये कष्ट सहने में कितनी सार्थकता
| |
| − | | |
| − | होती है इसका अनुभव होता है ।
| |
| − | | |
| − | हमारी कुल परंपरा, कुलरीति, ब्रत, उत्सव, त्योहार
| |
| − | | |
| − | आदि की पद्धति सीखना भी बड़ा विषय है । छोटे
| |
| − | | |
| − | और बड़े भाईबहनों के साथ रहना भी सीखा जाता
| |
| − | | |
| − | है । घर सजाना, घर स्वच्छ रखना, खरीदी करना
| |
| − | | |
| − | आदी असंख्य काम होते हैं । इनमें रस निर्माण करना
| |
| − | | |
| − | ही सही शिक्षा है ।
| |
| − | | |
| − | घर के इन सारे कामों के लिये माता का शिष्यत्व
| |
| − | | |
| − | स्वीकार करना चाहिए और घर के सभी सदस्यों ने
| |
| − | | |
| − | माता से अनुकूलता बनानी चाहिए । माता को भी
| |
| − | | |
| − | अपनी भूमिका का स्वीकार करना चाहिए ।
| |
| − | | |
| − | अथर्जिन की योग्यता विकसित करना
| |
| − | | |
| − | घर चलाने के लिये अर्थ चाहिए । घर चलाने में जिस
| |
| − | | |
| − | प्रकार सबको माता के अनुकूल बनना चाहिए उस प्रकार
| |
| − | | |
| − | aah के मामले में सबको पिता के अनुकूल होना
| |
| − | | |
| − | चाहिए ।
| |
| − | | |
| − | आजकल इस विषय में बहुत कोलाहल हो रहा है ।
| |
| − | | |
| − | घर चलाने को तो दायित्व माना जाता है और सब उससे
| |
| − | | |
| − | र्श्ढ
| |
| − | | |
| − | भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
| |
| − | | |
| − | दूर रहने का प्रयास करते हैं । परन्तु अथर्जिन को अधिकार
| |
| − | | |
| − | माना जाता है और सब वह करना चाहते हैं । इस कारण से
| |
| − | | |
| − | लड़कियों को भी कमाना चाहिए ऐसा कहा जाता है ।
| |
| − | | |
| − | कमाने को ही करियर कहा जाता है । कमाएंगे सब और घर
| |
| − | | |
| − | कोई नहीं देखेगा, ऐसा होने लगा है । परन्तु अथर्जिन के
| |
| − | | |
| − | सम्बन्ध में अलग पद्धति से विचार करना चाहिए । जिस
| |
| − | | |
| − | प्रकार घर सब मिलकर चलाते हैं उस प्रकार अथर्जिन भी
| |
| − | | |
| − | सब मिलकर कर सकते हैं । परन्तु इस अथर्जिन की ही
| |
| − | | |
| − | समस्या हो गई है । सबको अथर्जिन अपने अपने अधिकार
| |
| − | | |
| − | की बात लगती है । अपनी स्वतंत्र आय होनी चाहिए ऐसा
| |
| − | | |
| − | लगता है । इसलिए सब अथर्जिन करना चाहते हैं । घर के
| |
| − | | |
| − | कामों से किसीको आय नहीं होती है इसलिए वह कोई
| |
| | | | |
| − | करना नहीं चाहता है ।
| + | काम करने की कुशलता, घर की प्रतिष्ठा सम्हालने की आवश्यकता, सबका मन और मान रखने की कुशलता, कम पैसे में अच्छे से अच्छा घर चलाने की समझ आदि सीखने की बातें हैं । स्वकेन्द्री न बनकर दूसरों के लिये कष्ट सहने में कितनी सार्थकता होती है इसका अनुभव होता है । |
| | | | |
| − | वास्तव में होना यह चाहिए कि घर के सभी सदस्यों
| + | हमारी कुल परंपरा, कुलरीति, ब्रत, उत्सव, त्योहार आदि की पद्धति सीखना भी बड़ा विषय है । छोटे और बड़े भाईबहनों के साथ रहना भी सीखा जाता है । घर सजाना, घर स्वच्छ रखना, खरीदी करना आदी असंख्य काम होते हैं । इनमें रस निर्माण करना ही सही शिक्षा है । |
| | | | |
| − | की आय घर की ही होनी चाहिए । जिस प्रकार खाना
| + | घर के इन सारे कामों के लिये माता का शिष्यत्व स्वीकार करना चाहिए और घर के सभी सदस्यों ने माता से अनुकूलता बनानी चाहिए । माता को भी अपनी भूमिका का स्वीकार करना चाहिए । |
| | | | |
| − | सबका साथ में बनता है, वाहन और घर सबका होता है,
| + | == अथर्जिन की योग्यता विकसित करना == |
| | + | घर चलाने के लिये अर्थ चाहिए। घर चलाने में जिस प्रकार सबको माता के अनुकूल बनना चाहिए उस प्रकार अर्थ के मामले में सबको पिता के अनुकूल होना चाहिए । आजकल इस विषय में बहुत कोलाहल हो रहा है। घर चलाने को तो दायित्व माना जाता है और सब उससे दूर रहने का प्रयास करते हैं । परन्तु अथर्जिन को अधिकार माना जाता है और सब वह करना चाहते हैं। इस कारण से लड़कियों को भी कमाना चाहिए ऐसा कहा जाता है । कमाने को ही करियर कहा जाता है । कमाएंगे सब और घर कोई नहीं देखेगा, ऐसा होने लगा है। परन्तु अथर्जिन के सम्बन्ध में अलग पद्धति से विचार करना चाहिए । जिस प्रकार घर सब मिलकर चलाते हैं उस प्रकार अथर्जिन भी सब मिलकर कर सकते हैं। परन्तु इस अथर्जिन की ही समस्या हो गई है । सबको अथर्जिन अपने अपने अधिकार की बात लगती है । अपनी स्वतंत्र आय होनी चाहिए ऐसा लगता है। इसलिए सब अथर्जिन करना चाहते हैं । घर के कामों से किसीको आय नहीं होती है इसलिए वह कोई करना नहीं चाहता है । |
| | | | |
| − | भले ही वह किसी एक के नाम पर हो, सबका Bais | + | वास्तव में होना यह चाहिए कि घर के सभी सदस्यों की आय घर की ही होनी चाहिए । जिस प्रकार खाना सबका साथ में बनता है, वाहन और घर सबका होता है, भले ही वह किसी एक के नाम पर हो, सबका |
| | | | |
| | सबका होना चाहिए । दो पीढ़ियों पूर्व ऐसी ही पद्धति थी । | | सबका होना चाहिए । दो पीढ़ियों पूर्व ऐसी ही पद्धति थी । |