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# जब भी पृथ्वी पर पाप बढ़ जाता है आसमानी संकट का सामना मानव जाति के उस समूह को करना पड़ता है ।  शायद बड़ी संख्या में लोगों को उनके बुरे कर्मों का फल देने की यह व्यवस्था है ।  
 
# जब भी पृथ्वी पर पाप बढ़ जाता है आसमानी संकट का सामना मानव जाति के उस समूह को करना पड़ता है ।  शायद बड़ी संख्या में लोगों को उनके बुरे कर्मों का फल देने की यह व्यवस्था है ।  
 
# परमात्मा ने सृष्टि को संतुलन के साथ ही बनाया है ।  सृष्टि में संतुलन बनाए रखने की सामर्थ्य भी होती है ।  इस सामर्थ्य की एक मर्यादा होती है ।  इस मर्यादा को लाँघने से प्रकृति के प्रकोप होते हैं ।   
 
# परमात्मा ने सृष्टि को संतुलन के साथ ही बनाया है ।  सृष्टि में संतुलन बनाए रखने की सामर्थ्य भी होती है ।  इस सामर्थ्य की एक मर्यादा होती है ।  इस मर्यादा को लाँघने से प्रकृति के प्रकोप होते हैं ।   
# सृष्टि की व्यवस्था के नियमों को धर्म कहते हैं । इन धर्म के नियमों का अनुपालन करने से प्रकृति के उपभोग से सुख शान्ति मिलती है।  नियमों को तोड़ने की सामर्थ्य केवल मनुष्य को प्राप्त है । अन्य किसी प्राणी में सृष्टि के संतुलन को बिगाड़ने या प्रदूषित करने की सामर्थ्य नहीं है। इसलिए प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने की जिम्मेदारी भी मानव जाति की ही है ।   
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# सृष्टि की व्यवस्था के नियमों को धर्म कहते हैं । इन धर्म के नियमों का अनुपालन करने से प्रकृति के उपभोग से सुख शान्ति मिलती है।  नियमों को तोड़ने की सामर्थ्य केवल मनुष्य को प्राप्त है । अन्य किसी प्राणी में सृष्टि के संतुलन को बिगाड़ने या प्रदूषित करने की सामर्थ्य नहीं है। अतः प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने की जिम्मेदारी भी मानव जाति की ही है ।   
# विविधता सृष्टि का वास्तव है । अनंत प्रकारकी विविधता सृष्टि में है । अरबों पत्तोंवाले पेड़ के कोई भी दो पत्ते एकदम एक जैसे नहीं होते । दोनों में अंतर होता ही है । इसलिए विविधता बनाए रखना सृष्टि सुसंगत होता है ।  इस दृष्टि से यांत्रिकता सृष्टि के स्वभाव की विरोधी होती है । सामान्यत: यंत्र निर्माण किये हुए पदार्थों में समानता लाने का प्रयास करते हैं । ऐसे यंत्र सृष्टि के स्वाभाविक जीवन के विरोधी हैं ।   
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# विविधता सृष्टि का वास्तव है । अनंत प्रकारकी विविधता सृष्टि में है । अरबों पत्तोंवाले पेड़ के कोई भी दो पत्ते एकदम एक जैसे नहीं होते । दोनों में अंतर होता ही है । अतः विविधता बनाए रखना सृष्टि सुसंगत होता है ।  इस दृष्टि से यांत्रिकता सृष्टि के स्वभाव की विरोधी होती है । सामान्यत: यंत्र निर्माण किये हुए पदार्थों में समानता लाने का प्रयास करते हैं । ऐसे यंत्र सृष्टि के स्वाभाविक जीवन के विरोधी हैं ।   
 
# सृष्टि में सीधी रेखा में कोई चीज नहीं होती । सीधी रेखा हिंसा निर्माण करती है । तीर या बन्दूक की गोली सीधी रेखा में ही जाते हैं । और हिंसा के ये सबसे बड़े साधन हैं । धार्मिक (धार्मिक) शिल्प में, इमारतों या घरों की बनावट में इसीलिये यथासंभव सीधी रेखाओं को टाला जाता है ।
 
# सृष्टि में सीधी रेखा में कोई चीज नहीं होती । सीधी रेखा हिंसा निर्माण करती है । तीर या बन्दूक की गोली सीधी रेखा में ही जाते हैं । और हिंसा के ये सबसे बड़े साधन हैं । धार्मिक (धार्मिक) शिल्प में, इमारतों या घरों की बनावट में इसीलिये यथासंभव सीधी रेखाओं को टाला जाता है ।
  

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