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निम्न बिन्दुओं का विचार भी लाभदायी होगा:
 
निम्न बिन्दुओं का विचार भी लाभदायी होगा:
* धार्मिक समाज अत्यंत प्राचीन समाज है। इसलिए इसके इतिहास का कालखंड भी बहुत दीर्घ है।
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* धार्मिक समाज अत्यंत प्राचीन समाज है। अतः इसके इतिहास का कालखंड भी बहुत दीर्घ है।
 
* धार्मिक समाज उत्थान और पतन के कई दौरों से गुजरा है। फिर भी हमने अपना स्वत्त्व नहीं खोया है। हम में कुछ है जिसने हमें कालजयी बनाया है।
 
* धार्मिक समाज उत्थान और पतन के कई दौरों से गुजरा है। फिर भी हमने अपना स्वत्त्व नहीं खोया है। हम में कुछ है जिसने हमें कालजयी बनाया है।
 
* जब समाज के घटकों को हम एक समाज है, हमारी जीवनदृष्टि और जीवनशैली को टिकाए रखना आवश्यक है, ऐसा लगने लगता है, तब इतिहास प्रस्तुति की औपचारिक आवश्यकता निर्माण होती है।
 
* जब समाज के घटकों को हम एक समाज है, हमारी जीवनदृष्टि और जीवनशैली को टिकाए रखना आवश्यक है, ऐसा लगने लगता है, तब इतिहास प्रस्तुति की औपचारिक आवश्यकता निर्माण होती है।
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* शिशू और बाल अवस्थाएं संस्कारक्षम आयु की होती है। शिक्षा शास्त्र के अनुसार छोटी आयु में पूरी तरह से रोचक, रंजक कथाओं के माध्यम से इतिहास पढाना चाहिये। शिशू अवस्था तक तो लोरियाँ बालगीतों का उपयोग करना चाहिये। बाल आयु के बच्चों के लिये शौर्य की, विजय की, त्याग की, तपस्या की कथाएं ही बतानी चाहिये। बढती आयु के साथ आगे धीरेधीरे गंभीर कथाएं बतानी चाहिये।
 
* शिशू और बाल अवस्थाएं संस्कारक्षम आयु की होती है। शिक्षा शास्त्र के अनुसार छोटी आयु में पूरी तरह से रोचक, रंजक कथाओं के माध्यम से इतिहास पढाना चाहिये। शिशू अवस्था तक तो लोरियाँ बालगीतों का उपयोग करना चाहिये। बाल आयु के बच्चों के लिये शौर्य की, विजय की, त्याग की, तपस्या की कथाएं ही बतानी चाहिये। बढती आयु के साथ आगे धीरेधीरे गंभीर कथाएं बतानी चाहिये।
 
* अविचार का उदात्तीकरण करनेवाली कथाएं कच्ची आयु में नहीं बतानी चाहिये। जैसे पृथ्वीराज चौहानद्वारा गौरी को बारबार क्षमा करने की कथा। या छत्रपति शिवाजी के सरसेनापति प्रतापराव गुर्जर द्वारा अविचार से अपने सात सरदारों के साथ किया अविचारी बलिदान। आदि
 
* अविचार का उदात्तीकरण करनेवाली कथाएं कच्ची आयु में नहीं बतानी चाहिये। जैसे पृथ्वीराज चौहानद्वारा गौरी को बारबार क्षमा करने की कथा। या छत्रपति शिवाजी के सरसेनापति प्रतापराव गुर्जर द्वारा अविचार से अपने सात सरदारों के साथ किया अविचारी बलिदान। आदि
* पाश्चात्य समाज जीवनपर शासन का बहुत गहरा प्रभाव होता है। इसलिये वर्तमान में हमें इतिहास पढाया जाता है वह भारत का राजकीय इतिहास होता है। भूगोल पढाया जाता है वह भारत का राजकीय भूगोल होता है। अर्थशास्त्र पढाया जाता है वह राजकीय अर्थशास्त्र (पोलिटिकल ईकॉनॉमी) होता है। धार्मिक (धार्मिक) इतिहास लेखन में समाज जीवन के सब ही पहलुओं के इतिहास का समावेश होगा। राजकीय, कला, संस्कार, साहित्य, सामाजिक शास्त्र, भौतिक शास्त्र आदि सभी का समावेश हमारे इतिहास में होगा। धार्मिक (धार्मिक) जीवन में धर्म सर्वोपरि होता है। इसलिए धर्माचरण सिखानेवाला इतिहास हो।
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* पाश्चात्य समाज जीवनपर शासन का बहुत गहरा प्रभाव होता है। इसलिये वर्तमान में हमें इतिहास पढाया जाता है वह भारत का राजकीय इतिहास होता है। भूगोल पढाया जाता है वह भारत का राजकीय भूगोल होता है। अर्थशास्त्र पढाया जाता है वह राजकीय अर्थशास्त्र (पोलिटिकल ईकॉनॉमी) होता है। धार्मिक (धार्मिक) इतिहास लेखन में समाज जीवन के सब ही पहलुओं के इतिहास का समावेश होगा। राजकीय, कला, संस्कार, साहित्य, सामाजिक शास्त्र, भौतिक शास्त्र आदि सभी का समावेश हमारे इतिहास में होगा। धार्मिक (धार्मिक) जीवन में धर्म सर्वोपरि होता है। अतः धर्माचरण सिखानेवाला इतिहास हो।
 
* इतिहास की प्रस्तुति स्वाधीनता और स्वतन्त्रता के अर्थों का अन्तर ध्यान में रखकर करनी होगी । वर्तमान सभी व्यवस्थाएं (तंत्र) भारत में अंग्रेजों की देन है । हमें अपना समाज, अपनी संस्कृति, अपने संसाधन, अपनी शक्तियाँ, अपनी श्रेष्ठ परंपराएं, अपना जीवनलक्ष्य आदि विभिन्न बातों को ध्यान में रखकर अपने समाज के और चराचर के हिते में व्यवस्थाएं निर्माण करने की प्रेरणा इतिहास से मिलनी चाहिये ।
 
* इतिहास की प्रस्तुति स्वाधीनता और स्वतन्त्रता के अर्थों का अन्तर ध्यान में रखकर करनी होगी । वर्तमान सभी व्यवस्थाएं (तंत्र) भारत में अंग्रेजों की देन है । हमें अपना समाज, अपनी संस्कृति, अपने संसाधन, अपनी शक्तियाँ, अपनी श्रेष्ठ परंपराएं, अपना जीवनलक्ष्य आदि विभिन्न बातों को ध्यान में रखकर अपने समाज के और चराचर के हिते में व्यवस्थाएं निर्माण करने की प्रेरणा इतिहास से मिलनी चाहिये ।
 
* भारत की सीमाओं का आकुंचन क्यों हुआ और होता ही जा रहा है ? देश के जिस हिस्से में हिन्दू अल्पसंख्य हुए, असंगठित हुए, दुर्बल हुए वह देश का हिस्सा हमरे भूगोल मे नहीं रहा। इसलिये आगे देश के किसी भी हिस्से में हिन्दू अल्पसंख्य नहीं रहें, असंगठित नहीं रहें और दुर्बल नहीं रहे यह सबक सीखाने वाला इतिहास हमें लिखना होगा।
 
* भारत की सीमाओं का आकुंचन क्यों हुआ और होता ही जा रहा है ? देश के जिस हिस्से में हिन्दू अल्पसंख्य हुए, असंगठित हुए, दुर्बल हुए वह देश का हिस्सा हमरे भूगोल मे नहीं रहा। इसलिये आगे देश के किसी भी हिस्से में हिन्दू अल्पसंख्य नहीं रहें, असंगठित नहीं रहें और दुर्बल नहीं रहे यह सबक सीखाने वाला इतिहास हमें लिखना होगा।
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* अरुण-तरूण अवस्था के बच्चों को इतिहास पढाने के लिये लोककथा, लोकनाटय, स्फूर्तिगीत, समूहगीत, ग्रंथ, ललित कथाएं, शौर्यगीत आदि माध्यमों का भी उपयोग किया जा सकता है।
 
* अरुण-तरूण अवस्था के बच्चों को इतिहास पढाने के लिये लोककथा, लोकनाटय, स्फूर्तिगीत, समूहगीत, ग्रंथ, ललित कथाएं, शौर्यगीत आदि माध्यमों का भी उपयोग किया जा सकता है।
 
* गौरवशाली घटनाओं से प्रेरणा का इतिहास तो सभी आयु के बच्चों के लिए आवश्यक है। लेकिन पराभव का दीनता का इतिहास छोटी आयु में नहीं पढ़ाना चाहिए। जब बच्चा थोड़ा समझदार बन जाए तब ही उसे पराभव का, घराभेदियों का इतिहास भी सिखाना चाहिए। किसी भी प्रस्तुति से बच्चे में हीनता बोध नहीं होना चाहिए।
 
* गौरवशाली घटनाओं से प्रेरणा का इतिहास तो सभी आयु के बच्चों के लिए आवश्यक है। लेकिन पराभव का दीनता का इतिहास छोटी आयु में नहीं पढ़ाना चाहिए। जब बच्चा थोड़ा समझदार बन जाए तब ही उसे पराभव का, घराभेदियों का इतिहास भी सिखाना चाहिए। किसी भी प्रस्तुति से बच्चे में हीनता बोध नहीं होना चाहिए।
* पाश्चात्य समाजजीवनपर शासन का बहुत गहरा प्रभाव होता है। इसलिये वर्तमान में हमें इतिहास पढाया जाता है वह भारत का राजकीय इतिहास होता है। भूगोल पढाया जाता है वह भारत का राजकीय भूगोल होता है। अर्थशास्त्र पढाया जाता है वह राजकीय अर्थशास्त्र (पोलिटिकल ईकॉनॉमी) होता है। धार्मिक (धार्मिक) इतिहास लेखन में समाज जीवन के सब ही पहलुओं के इतिहास का समावेश होगा। राजकीय, कला, संस्कार, साहित्य, सामाजिक शास्त्र, भौतिक शास्त्र आदि सभी का समावेश हमारे इतिहास में होगा। धार्मिक (धार्मिक) जीवन में धर्म सर्वोपरि होता है। इसलिए धर्माचरण सिखानेवाला इतिहास हो।
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* पाश्चात्य समाजजीवनपर शासन का बहुत गहरा प्रभाव होता है। इसलिये वर्तमान में हमें इतिहास पढाया जाता है वह भारत का राजकीय इतिहास होता है। भूगोल पढाया जाता है वह भारत का राजकीय भूगोल होता है। अर्थशास्त्र पढाया जाता है वह राजकीय अर्थशास्त्र (पोलिटिकल ईकॉनॉमी) होता है। धार्मिक (धार्मिक) इतिहास लेखन में समाज जीवन के सब ही पहलुओं के इतिहास का समावेश होगा। राजकीय, कला, संस्कार, साहित्य, सामाजिक शास्त्र, भौतिक शास्त्र आदि सभी का समावेश हमारे इतिहास में होगा। धार्मिक (धार्मिक) जीवन में धर्म सर्वोपरि होता है। अतः धर्माचरण सिखानेवाला इतिहास हो।
    
== समारोप ==
 
== समारोप ==

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