६५. इसको ध्यान में रखते हुए धार्मिक और ज्ञानधारा के विभिन्न विषयों को लेकर तुलनात्मक अध्ययन की एक योजना बनाने की आवश्यकता है । इस अध्ययन को भी अनुभूति प्रामाण्य और धर्मप्रामाण्य के आधार लेकर ही चलाना चाहिये । पश्चिमी ज्ञानधारा से प्रेरित होकर जीवन की जो व्यवस्थायें बनी हैं और बन रही हैं, जो व्यवहार विकसित हो रहा है, जो वृत्तियाँ पनप रही हैं वे कितनी अकल्याणकारी हैं यह तथ्यों के साथ बताना होगा । ऐसे तुलनात्मक अध्ययन से ही भारत और पश्चिम दोनों को पता चलेगा कि धार्मिक ज्ञानधारा विश्व के लिये वास्तव में कितनी कल्याणकारी है । | ६५. इसको ध्यान में रखते हुए धार्मिक और ज्ञानधारा के विभिन्न विषयों को लेकर तुलनात्मक अध्ययन की एक योजना बनाने की आवश्यकता है । इस अध्ययन को भी अनुभूति प्रामाण्य और धर्मप्रामाण्य के आधार लेकर ही चलाना चाहिये । पश्चिमी ज्ञानधारा से प्रेरित होकर जीवन की जो व्यवस्थायें बनी हैं और बन रही हैं, जो व्यवहार विकसित हो रहा है, जो वृत्तियाँ पनप रही हैं वे कितनी अकल्याणकारी हैं यह तथ्यों के साथ बताना होगा । ऐसे तुलनात्मक अध्ययन से ही भारत और पश्चिम दोनों को पता चलेगा कि धार्मिक ज्ञानधारा विश्व के लिये वास्तव में कितनी कल्याणकारी है । |