कहा ही है{{Citation needed}} , <blockquote>शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम् ।</blockquote>धर्म के आचरण का प्रमुख साधन शरीर है । इस कथन के तत्व को समझाने की आवश्यकता नहीं है । इसलिए हम जो जो भी रचना, व्यवस्था, क्रिया, प्रक्रिया आदि सब करते हैं, वे शरीर स्वास्थ्य के अनुकूल होनी चाहिए । | कहा ही है{{Citation needed}} , <blockquote>शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम् ।</blockquote>धर्म के आचरण का प्रमुख साधन शरीर है । इस कथन के तत्व को समझाने की आवश्यकता नहीं है । इसलिए हम जो जो भी रचना, व्यवस्था, क्रिया, प्रक्रिया आदि सब करते हैं, वे शरीर स्वास्थ्य के अनुकूल होनी चाहिए । |