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वेद, उपनिषद्‌, भगवद्गीता श्रुति ग्रन्थ हैं इसलिये वे उस समय भी प्रासंगिक थे, आज भी हैं और आगे भी रहेंगे । वे हमारे लिये प्रमाण ग्रन्थ हैं ।
 
वेद, उपनिषद्‌, भगवद्गीता श्रुति ग्रन्थ हैं इसलिये वे उस समय भी प्रासंगिक थे, आज भी हैं और आगे भी रहेंगे । वे हमारे लिये प्रमाण ग्रन्थ हैं ।
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'''प्रश्न २४  हमारे सारे शाख्रग्न्थ संस्कृत में लिखे गये हैं । आज हमें संस्कृत आती नहीं है । तब शास्त्रों में क्या लिखा है यह कैसे समझा जा सकता है ? संस्कृत पढ़ना तो कठिन लगता है । फिर क्या करें ?'''
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'''प्रश्न २४  हमारे सारे शास्त्रग्न्थ संस्कृत में लिखे गये हैं । आज हमें संस्कृत आती नहीं है । तब शास्त्रों में क्या लिखा है यह कैसे समझा जा सकता है ? संस्कृत पढ़ना तो कठिन लगता है । फिर क्या करें ?'''
    
हमें संस्कृत नहीं आती है यह हमारा दुर्दैव है । संस्कृत की हमने हरसम्भव अवमानना की है । हमें लगता है कि संस्कृत कठिन है परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है । भारत की सभी भाषाओं की जननी संस्कृत है इसलिये शब्दकोश की दृष्टि से हमारे लिये बहुत परिचित है । सीखने लगें तो बहुत जल्दी आ सकती है । संस्कृत सिखने में एक सात्त्विक आनन्द भी है । इसलिये छोटी आयु से उसे सिखाने की व्यवस्था करनी चाहिये ।
 
हमें संस्कृत नहीं आती है यह हमारा दुर्दैव है । संस्कृत की हमने हरसम्भव अवमानना की है । हमें लगता है कि संस्कृत कठिन है परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है । भारत की सभी भाषाओं की जननी संस्कृत है इसलिये शब्दकोश की दृष्टि से हमारे लिये बहुत परिचित है । सीखने लगें तो बहुत जल्दी आ सकती है । संस्कृत सिखने में एक सात्त्विक आनन्द भी है । इसलिये छोटी आयु से उसे सिखाने की व्यवस्था करनी चाहिये ।

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