− | २१. चरित्रनिर्माण की शिक्षा, परिवार सुदृढ़ीकरण की शिक्षा, मन को संयम में रखने की शिक्षा, शरीर को स्वस्थ और बलवान बनाने की शिक्षा का परीक्षा में उत्तीर्ण होने, अच्छे अंक मिलने और अथर्जिन के अच्छे अवसर मिलने से कोई सम्बन्ध नहीं होता । फिर भी यह अनिवार्य है । अत: इन सभी बातों का शिक्षा में समावेश करना, इन बातों की परीक्षा नहीं होना, इनसे अथर्जिन नहीं होना, फिर भी इनको विकास के मुख्य लक्षण मानना व्यक्ति और समाज को सुसंस्कृत बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम होगा । आज इसे अनौपचारिक शिक्षा कहा जाता है। करियर बनाने की दौड़ में इसकी कोई गणना नहीं है । इसे अधिक महत्त्वपूर्ण मानकर, अधिक अर्थपूर्ण बनाकर हमारे सर्व प्रकार के संसाधनों का विनियोग इसमें करने की आवश्यकता है। सूत्र यह है कि शिक्षा का सम्बन्ध अथर्जिन से नहीं अपितु was से जोड़ने के विविध तरीके हमने अपनाने चाहिये । ऐसी शिक्षा देने में मातापिता सक्षम हों इस दृष्टि से मातापिता की शिक्षा शुरू करनी चाहिये । परिवार शिक्षा को महत्त्व प्रदान करना चाहिये । हर बालक को अच्छा पुरुष, अच्छा पति, अच्छा गृहस्थ और अच्छा पिता तथा हर बालिका को अच्छी स्त्री, अच्छी पत्नी, अच्छी गृहिणी और अच्छी माता बनना सिखाने हेतु विद्यालय होने चाहिये । | + | २१. चरित्रनिर्माण की शिक्षा, परिवार सुदृढ़ीकरण की शिक्षा, मन को संयम में रखने की शिक्षा, शरीर को स्वस्थ और बलवान बनाने की शिक्षा का परीक्षा में उत्तीर्ण होने, अच्छे अंक मिलने और अर्थार्जन के अच्छे अवसर मिलने से कोई सम्बन्ध नहीं होता । फिर भी यह अनिवार्य है । अत: इन सभी बातों का शिक्षा में समावेश करना, इन बातों की परीक्षा नहीं होना, इनसे अर्थार्जन नहीं होना, फिर भी इनको विकास के मुख्य लक्षण मानना व्यक्ति और समाज को सुसंस्कृत बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम होगा । आज इसे अनौपचारिक शिक्षा कहा जाता है। करियर बनाने की दौड़ में इसकी कोई गणना नहीं है । इसे अधिक महत्त्वपूर्ण मानकर, अधिक अर्थपूर्ण बनाकर हमारे सर्व प्रकार के संसाधनों का विनियोग इसमें करने की आवश्यकता है। सूत्र यह है कि शिक्षा का सम्बन्ध अर्थार्जन से नहीं अपितु was से जोड़ने के विविध तरीके हमने अपनाने चाहिये । ऐसी शिक्षा देने में मातापिता सक्षम हों इस दृष्टि से मातापिता की शिक्षा शुरू करनी चाहिये । परिवार शिक्षा को महत्त्व प्रदान करना चाहिये । हर बालक को अच्छा पुरुष, अच्छा पति, अच्छा गृहस्थ और अच्छा पिता तथा हर बालिका को अच्छी स्त्री, अच्छी पत्नी, अच्छी गृहिणी और अच्छी माता बनना सिखाने हेतु विद्यालय होने चाहिये । |
− | शिक्षा का सम्बन्ध ज्ञानार्जन से जोड़ना और अथर्जिन से तोड़ना है तो अथर्जिन की एक अलग, स्वतन्त्र और अच्छी योजना बनानी होगी | अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र को इस बात का विचार करना पड़ेगा क्योंकि बिना अर्थ के ज्ञानार्जन भी सम्भव नहीं होता और केवल जीवन भी सम्भव नहीं होता । | + | शिक्षा का सम्बन्ध ज्ञानार्जन से जोड़ना और अर्थार्जन से तोड़ना है तो अर्थार्जन की एक अलग, स्वतन्त्र और अच्छी योजना बनानी होगी | अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र को इस बात का विचार करना पड़ेगा क्योंकि बिना अर्थ के ज्ञानार्जन भी सम्भव नहीं होता और केवल जीवन भी सम्भव नहीं होता । |