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| # इसी प्रकार वर्तन साफ करने के लिये, कपडे धोने के लिये कम पानी का प्रयोग करने की कुशलता प्राप्त करनी चाहिये। | | # इसी प्रकार वर्तन साफ करने के लिये, कपडे धोने के लिये कम पानी का प्रयोग करने की कुशलता प्राप्त करनी चाहिये। |
| # डीटेर्जन्ट से कपडे और बर्तन साफ करने से अधिक पानी का प्रयोग करना पडता है। इससे बचने के | | # डीटेर्जन्ट से कपडे और बर्तन साफ करने से अधिक पानी का प्रयोग करना पडता है। इससे बचने के |
− | [[File:Capture20 .png|none|thumb|538x538px]] | + | [[File:Capture20 .png|thumb|538x538px]] |
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| लिये डिटर्जन्ट का प्रयोग बन्द कर उसके स्थान पर प्राकृतिक पदार्थों का प्रयोग करना चाहिये । बर्तन की सफाई के लिये मिट्टी या राख तथा कपड़ों की सफाई के लिये साबुन का प्रयोग करने से पानी की बचत भी होती है और प्रदूषण भी नहीं होता। | | लिये डिटर्जन्ट का प्रयोग बन्द कर उसके स्थान पर प्राकृतिक पदार्थों का प्रयोग करना चाहिये । बर्तन की सफाई के लिये मिट्टी या राख तथा कपड़ों की सफाई के लिये साबुन का प्रयोग करने से पानी की बचत भी होती है और प्रदूषण भी नहीं होता। |
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| <li> पीने का पानी पेड पौधों को मिल सके इस प्रकार ही फेंकना चाहिये । पीते समय बचाना नहीं यह तो पहली बात है परन्तु, बच गया तो वह या तो पक्षियों और पशुओं को पीने के लिये या तो बर्तन आदि धोने के लिये अथवा पेड पौधों के लिये काम में आना चाहिये। | | <li> पीने का पानी पेड पौधों को मिल सके इस प्रकार ही फेंकना चाहिये । पीते समय बचाना नहीं यह तो पहली बात है परन्तु, बच गया तो वह या तो पक्षियों और पशुओं को पीने के लिये या तो बर्तन आदि धोने के लिये अथवा पेड पौधों के लिये काम में आना चाहिये। |
| <li> जिनमें पानी भरा जाता है वे बर्तन खाली करते समय भी यह बातें ध्यान में रखना आवश्यक है। | | <li> जिनमें पानी भरा जाता है वे बर्तन खाली करते समय भी यह बातें ध्यान में रखना आवश्यक है। |
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| <li> भोजन के पात्र साफ करते समय प्रथम तो सारी जूठन धोकर वह पानी एक पात्र में इकट्ठा करना चाहिये । वह पानी गाय, बकरी, कुत्ते आदि पशुओं को पिलाना चाहिये । चावल, दाल आदि धोने के बाद उसके पानी का भी ऐसा ही उपयोग करना चाहिये । इससे पशुओं को अन्न के अच्छे अंश मिलते हैं और अन्न का सदुपयोग होता है। | | <li> भोजन के पात्र साफ करते समय प्रथम तो सारी जूठन धोकर वह पानी एक पात्र में इकट्ठा करना चाहिये । वह पानी गाय, बकरी, कुत्ते आदि पशुओं को पिलाना चाहिये । चावल, दाल आदि धोने के बाद उसके पानी का भी ऐसा ही उपयोग करना चाहिये । इससे पशुओं को अन्न के अच्छे अंश मिलते हैं और अन्न का सदुपयोग होता है। |
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| <li> बर्तन साफ किया हुआ पानी पेड पौधों को ही देना चाहिये । कपडे साफ करने के बाद का साबन वाला पानी खुले में रेत या मिट्टी पर या ये दोनों नहीं है तो पथ्थर पर गिराना चाहिये । रेत या मिट्टी पानी को सोख लेते हैं, पथ्थर पर गिरा पानी सूर्यप्रकाश और हवा से सूख जाता है। इससे जमीन की और वातावरण की नमी बनी रहती है और तापमान अप्राकृतिकरूप से नहीं बढता । | | <li> बर्तन साफ किया हुआ पानी पेड पौधों को ही देना चाहिये । कपडे साफ करने के बाद का साबन वाला पानी खुले में रेत या मिट्टी पर या ये दोनों नहीं है तो पथ्थर पर गिराना चाहिये । रेत या मिट्टी पानी को सोख लेते हैं, पथ्थर पर गिरा पानी सूर्यप्रकाश और हवा से सूख जाता है। इससे जमीन की और वातावरण की नमी बनी रहती है और तापमान अप्राकृतिकरूप से नहीं बढता । |
− | <li> पानी की निकासी की भूमिगत व्यवस्था पानी के शुद्धीकरण की दृष्टि से अत्यन्त घातक है यह बात आज किसी को समझ में आना बहुत कठिन है । हमारी सोच इतनी उपरी सतह की हो गई है, कि हमें ऊपरी स्वच्छता तो दिखाई देती । है परन्तु अन्दर की स्वच्छता का विचार भी नहीं आता। बाह्य और अभ्यन्तर स्वच्छता का विषय स्वतन्त्र रूप से विचार करने लायक है । | + | |
| + | <li> पानी की निकासी की भूमिगत व्यवस्था पानी के शुद्धीकरण की दृष्टि से अत्यन्त घातक है यह बात आज किसी को समझ में आना बहुत कठिन है । हमारी सोच इतनी उपरी सतह की हो गई है, कि हमें ऊपरी स्वच्छता तो दिखाई देती । है परन्तु अन्दर की स्वच्छता का विचार भी नहीं आता। बाह्य और अभ्यन्तर स्वच्छता का विषय स्वतन्त्र रूप से विचार करने लायक है। |
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| <li> पानी की निकासी के विषय में इतनी सावधानी रखनी चाहिये कि एक बंद भी बर्बाद न हो। | | <li> पानी की निकासी के विषय में इतनी सावधानी रखनी चाहिये कि एक बंद भी बर्बाद न हो। |
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| + | <li> |
| == पानी को शुद्ध करने के प्राकृतिक उपाय == | | == पानी को शुद्ध करने के प्राकृतिक उपाय == |
| # मोटे खादी के कपडे से पानी को छानना चाहिये । यह कपडा और पानी भरने का पात्र स्वच्छ ही हो यह पहले ही सुनिश्चित करना चाहिये । | | # मोटे खादी के कपडे से पानी को छानना चाहिये । यह कपडा और पानी भरने का पात्र स्वच्छ ही हो यह पहले ही सुनिश्चित करना चाहिये । |
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| # कूलर और फ्रीज का पानी पीना । यह प्राकृतिक सीमा से अधिक ठण्डा पानी स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है। यह अज्ञान इतना बढ़ गया है कि अब रेलवे स्थानक जैसी जगहों पर भी कूलर का ठण्डा पानी मिलता है । कूलर और फ्रीज पर्यावरण के लिये तो घातक हैं ही। | | # कूलर और फ्रीज का पानी पीना । यह प्राकृतिक सीमा से अधिक ठण्डा पानी स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है। यह अज्ञान इतना बढ़ गया है कि अब रेलवे स्थानक जैसी जगहों पर भी कूलर का ठण्डा पानी मिलता है । कूलर और फ्रीज पर्यावरण के लिये तो घातक हैं ही। |
| # यंत्रों से शुद्ध किया हुआ पानी पीना । यह भी स्वास्थ्य के लिये घातक है ही। | | # यंत्रों से शुद्ध किया हुआ पानी पीना । यह भी स्वास्थ्य के लिये घातक है ही। |
− | # प्लास्टीक की बोतल का पानी पीना । बोतल सीधी मुँह को लगाकर पानी पीने की आदत असंस्कारिता की निशानी है। प्लास्टिक भी हानिकारक, उसका 'शुद्ध' पानी भी हानिकारक और मुँह लगाकर पीने की पद्धति भी हानिकारक । | + | # प्लास्टीक की बोतल का पानी पीना । बोतल सीधी मुँह को लगाकर पानी पीने की आदत असंस्कारिता की निशानी है। प्लास्टिक भी हानिकारक, उसका 'शुद्ध' पानी भी हानिकारक और मुँह लगाकर पीने की पद्धति भी हानिकारक। |
| # मिनरल वॉटर की बिमारी इतनी फैली हुई है कि लोग मटके का पानी नहीं पिते, स्थानकों पर की हुई पानी की व्यवस्था से प्राप्त पानी नहीं पीते, यात्रा में घर से पानी साथ में नहीं ले जाते । इन सब अच्छी बातों को छोडकर पन्द्रह से बीस रूपये का एक लीटर पानी खरीदने वाली प्रजा असंस्कारी और दरिद्र बन जाने की पूरी सम्भावना है। विद्यालय में सिखाने लायक यह महत्त्वपूर्ण विषय है। | | # मिनरल वॉटर की बिमारी इतनी फैली हुई है कि लोग मटके का पानी नहीं पिते, स्थानकों पर की हुई पानी की व्यवस्था से प्राप्त पानी नहीं पीते, यात्रा में घर से पानी साथ में नहीं ले जाते । इन सब अच्छी बातों को छोडकर पन्द्रह से बीस रूपये का एक लीटर पानी खरीदने वाली प्रजा असंस्कारी और दरिद्र बन जाने की पूरी सम्भावना है। विद्यालय में सिखाने लायक यह महत्त्वपूर्ण विषय है। |
| # विद्यालय के समारोहों में मंच पर जब प्लास्टीक की 'मिनरल वॉटर' की बोतलें दिखाई देती है तब वह व्यापक विचार का और संस्कारयुक्त सोच का अभाव ही दर्शाती है। | | # विद्यालय के समारोहों में मंच पर जब प्लास्टीक की 'मिनरल वॉटर' की बोतलें दिखाई देती है तब वह व्यापक विचार का और संस्कारयुक्त सोच का अभाव ही दर्शाती है। |
− | # साथ में पानी की बोतल रखना और जब मन करे तब बोतल मुँह को लगाकर पानी पीना प्रचलन में आ गया है । तर्क यह दिया जाता है कि पानी स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है और प्यास लगे तब पानी पीना ही चाहिये । परन्तु कक्षा चल रही हो या कार्यक्रम, वार्तालाप चल रहा हो या बैठक, मन चाहे तब पानी पीना असभ्यता का ही लक्षण है । साधारण रूप से कोई कक्षा कोई बैठक, कोई कार्यक्रम बिना विराम के दो घण्टे से अधिक चलता नहीं है । इतना समय बिना पानी के रहना असम्भव नहीं है। इतना संयम करना शरीरस्वास्थ्य के लिये हानिकारक नहीं है और मनोस्वास्थ्य के लिये लाभकारी है। बच्चों और बड़ों में बढती हुई इस आदत को जल्दी ही ठीक करने की आवश्यकता है। | + | # साथ में पानी की बोतल रखना और जब मन करे तब बोतल मुँह को लगाकर पानी पीना प्रचलन में आ गया है । तर्क यह दिया जाता है कि पानी स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है और प्यास लगे तब पानी पीना ही चाहिये । परन्तु कक्षा चल रही हो या कार्यक्रम, वार्तालाप चल रहा हो या बैठक, मन चाहे तब पानी पीना असभ्यता का ही लक्षण है। साधारण रूप से कोई कक्षा कोई बैठक, कोई कार्यक्रम बिना विराम के दो घण्टे से अधिक चलता नहीं है । इतना समय बिना पानी के रहना असम्भव नहीं है। इतना संयम करना शरीरस्वास्थ्य के लिये हानिकारक नहीं है और मनोस्वास्थ्य के लिये लाभकारी है। बच्चों और बड़ों में बढती हुई इस आदत को जल्दी ही ठीक करने की आवश्यकता है। |
| # यही आदत बिना किसी प्रयोजन के बोतल का पानी फेंक देने की है। केवल मजे मजे में पानी गिराना पैसे बर्बाद करना ही है। इस आदत को भी ठीक करना चाहिये। | | # यही आदत बिना किसी प्रयोजन के बोतल का पानी फेंक देने की है। केवल मजे मजे में पानी गिराना पैसे बर्बाद करना ही है। इस आदत को भी ठीक करना चाहिये। |
| # पैसा खर्च करके खरीदे हुए पानी को एक क्षण में फैंक देने का प्रचलन भी बहुत बढ़ रहा है। पानी की बर्बादी के साथ साथ यह पैसे की भी बर्बादी है। बुद्धि हीनता के साथ साथ यह असंस्कारिता की भी निशानी है। | | # पैसा खर्च करके खरीदे हुए पानी को एक क्षण में फैंक देने का प्रचलन भी बहुत बढ़ रहा है। पानी की बर्बादी के साथ साथ यह पैसे की भी बर्बादी है। बुद्धि हीनता के साथ साथ यह असंस्कारिता की भी निशानी है। |
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| # पानी की बहुत बर्बादी होती है । इसे ठीक करने की क्रियात्मक शिक्षा विद्यालय में ही देने की आवश्यकता है। | | # पानी की बहुत बर्बादी होती है । इसे ठीक करने की क्रियात्मक शिक्षा विद्यालय में ही देने की आवश्यकता है। |
| # पानी के सम्बन्ध में भावात्मक शिक्षा | | # पानी के सम्बन्ध में भावात्मक शिक्षा |
− | # क्रियात्मक शिक्षा के साथ ही भावात्मक शिक्षा भी देनी चाहिये । भावात्मक शिक्षा से क्रिया के साथ श्रद्धा जुडती है और निष्ठा बनती है। कुछ इन बातों पर विचार किया जा सकता है... | + | # क्रियात्मक शिक्षा के साथ ही भावात्मक शिक्षा भी देनी चाहिये । भावात्मक शिक्षा से क्रिया के साथ श्रद्धा जुडती है और निष्ठा बनती है। कुछ इन बातों पर विचार किया जा सकता है: |
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| # पानी को पवित्र मानना सिखाना चाहिये । पवित्रता केवल शुद्धता नहीं है। शुद्धता के साथ जब सात्त्विकता जुडती है तब पवित्रता बनती है । | | # पानी को पवित्र मानना सिखाना चाहिये । पवित्रता केवल शुद्धता नहीं है। शुद्धता के साथ जब सात्त्विकता जुडती है तब पवित्रता बनती है । |