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<li> वर्षा के पानी का संग्रह करने की व्यवस्था हर विद्यालय के लिये अनिवार्य है। विद्यालय से यह योजना विद्यार्थियों के घर तक पहुँचनी चाहिये ।
 
<li> वर्षा के पानी का संग्रह करने की व्यवस्था हर विद्यालय के लिये अनिवार्य है। विद्यालय से यह योजना विद्यार्थियों के घर तक पहुँचनी चाहिये ।
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<li> जिस प्रकार पानी को शुद्ध करने के बाद ही पीना चाहिये उस प्रकार शुद्ध पानी को अशुद्ध नहीं करने की सावधानी भी रखनी चाहिये ।
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<li> जिस प्रकार पानी को शुद्ध करने के बाद ही पीना चाहिये उस प्रकार शुद्ध पानी को अशुद्ध नहीं करने की सावधानी भी रखनी चाहिये ।<li> पानी का प्रयोग करना सीखना चाहिये यह जितना महत्त्वपूर्ण है उतना ही महत्त्वपूर्ण पानी का निष्कासन उचित पद्धति से करना भी सीखना है। उसकी भी क्रियात्मक शिक्षा आवश्यक है। कुछ इन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है।
 
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<li> पीने का पानी पेड पौधों को मिल सके इस प्रकार ही फेंकना चाहिये । पीते समय बचाना नहीं यह तो पहली बात है परन्तु, बच गया तो वह या तो पक्षियों और पशुओं को पीने के लिये या तो बर्तन आदि धोने के लिये अथवा पेड पौधों के लिये काम में आना चाहिये।
पानी का प्रयोग करना सीखना चाहिये यह जितना महत्त्वपूर्ण है उतना ही महत्त्वपूर्ण पानी का निष्कासन उचित पद्धति से करना भी सीखना है। उसकी भी क्रियात्मक शिक्षा आवश्यक है। कुछ इन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है।  
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<li> जिनमें पानी भरा जाता है वे बर्तन खाली करते समय भी यह बातें ध्यान में रखना आवश्यक है।
# पीने का पानी पेड पौधों को मिल सके इस प्रकार ही फेंकना चाहिये । पीते समय बचाना नहीं यह तो पहली बात है परन्तु, बच गया तो वह या तो पक्षियों और पशुओं को पीने के लिये या तो बर्तन आदि धोने के लिये अथवा पेड पौधों के लिये काम में आना चाहिये।  
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<li> भोजन के पात्र साफ करते समय प्रथम तो सारी जूठन धोकर वह पानी एक पात्र में इकट्ठा करना चाहिये । वह पानी गाय, बकरी, कुत्ते आदि पशुओं को पिलाना चाहिये । चावल, दाल आदि धोने के बाद उसके पानी का भी ऐसा ही उपयोग करना चाहिये । इससे पशुओं को अन्न के अच्छे अंश मिलते हैं और अन्न का सदुपयोग होता है।
# जिनमें पानी भरा जाता है वे बर्तन खाली करते समय भी यह बातें ध्यान में रखना आवश्यक है।  
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<li> बर्तन साफ किया हुआ पानी पेड पौधों को ही देना चाहिये । कपडे साफ करने के बाद का साबन वाला पानी खुले में रेत या मिट्टी पर या ये दोनों नहीं है तो पथ्थर पर गिराना चाहिये । रेत या मिट्टी पानी को सोख लेते हैं, पथ्थर पर गिरा पानी सूर्यप्रकाश और हवा से सूख जाता है। इससे जमीन की और वातावरण की नमी बनी रहती है और तापमान अप्राकृतिकरूप से नहीं बढता ।
# भोजन के पात्र साफ करते समय प्रथम तो सारी जूठन धोकर वह पानी एक पात्र में इकट्ठा करना चाहिये । वह पानी गाय, बकरी, कुत्ते आदि पशुओं को पिलाना चाहिये । चावल, दाल आदि धोने के बाद उसके पानी का भी ऐसा ही उपयोग करना चाहिये । इससे पशुओं को अन्न के अच्छे अंश मिलते हैं और अन्न का सदुपयोग होता है।  
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<li> पानी की निकासी की भूमिगत व्यवस्था पानी के शुद्धीकरण की दृष्टि से अत्यन्त घातक है यह बात आज किसी को समझ में आना बहुत कठिन है । हमारी सोच इतनी उपरी सतह की हो गई है, कि हमें ऊपरी स्वच्छता तो दिखाई देती । है परन्तु अन्दर की स्वच्छता का विचार भी नहीं आता। बाह्य और अभ्यन्तर स्वच्छता का विषय स्वतन्त्र रूप से विचार करने लायक है ।
# बर्तन साफ किया हुआ पानी पेड पौधों को ही देना चाहिये । कपडे साफ करने के बाद का साबन वाला पानी खुले में रेत या मिट्टी पर या ये दोनों नहीं है तो पथ्थर पर गिराना चाहिये । रेत या मिट्टी पानी को सोख लेते हैं, पथ्थर पर गिरा पानी सूर्यप्रकाश और हवा से सूख जाता है। इससे जमीन की और वातावरण की नमी बनी रहती है और तापमान अप्राकृतिकरूप से नहीं बढता ।  
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<li> पानी की निकासी के विषय में इतनी सावधानी रखनी चाहिये कि एक बंद भी बर्बाद न हो।
# पानी की निकासी की भूमिगत व्यवस्था पानी के शुद्धीकरण की दृष्टि से अत्यन्त घातक है यह बात आज किसी को समझ में आना बहुत कठिन है । हमारी सोच इतनी उपरी सतह की हो गई है, कि हमें ऊपरी स्वच्छता तो दिखाई देती । है परन्तु अन्दर की स्वच्छता का विचार भी नहीं आता। बाह्य और अभ्यन्तर स्वच्छता का विषय स्वतन्त्र रूप से विचार करने लायक है ।  
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# पानी की निकासी के विषय में इतनी सावधानी रखनी चाहिये कि एक बंद भी बर्बाद न हो।
      
== पानी को शुद्ध करने के प्राकृतिक उपाय ==
 
== पानी को शुद्ध करने के प्राकृतिक उपाय ==

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