प्रथम ग्रन्थ में शिक्षा के जिन तात्विक आयामों की चर्चा की गई है उन्हीं के व्यावहारिक आयामों की चर्चा इस ग्रन्थ में की गई है । अतः दोनों ग्रन्थों को साथ साथ पढने की आवश्यकता रहेगी। साथ ही एक बात यह भी ध्यान में आती है कि व्यवहार और व्यवस्थाओं के अनेक आयाम ऐसे हैं जिनका वास्तव में शैक्षिक मूल्य होता है। अतः भौतिक दिखाई देनेवाली अनेक बातों को तत्व के प्रकाश में देखने से उनका स्वरूप और महत्व बदल जाता है । | प्रथम ग्रन्थ में शिक्षा के जिन तात्विक आयामों की चर्चा की गई है उन्हीं के व्यावहारिक आयामों की चर्चा इस ग्रन्थ में की गई है । अतः दोनों ग्रन्थों को साथ साथ पढने की आवश्यकता रहेगी। साथ ही एक बात यह भी ध्यान में आती है कि व्यवहार और व्यवस्थाओं के अनेक आयाम ऐसे हैं जिनका वास्तव में शैक्षिक मूल्य होता है। अतः भौतिक दिखाई देनेवाली अनेक बातों को तत्व के प्रकाश में देखने से उनका स्वरूप और महत्व बदल जाता है । |