Changes

Jump to navigation Jump to search
Line 94: Line 94:  
१८. कुटुम्ब में शिशु का जन्म होता है और नई पीढी का प्रारम्भ होता है। इस शिशु को चरित्रवान, कर्तृत्ववान और ज्ञानवान बनाकर कुटुम्ब समाज को एक सुयोग्य नागरिक प्रदान करता है । कुटुम्ब की यह श्रेष्ठ समाजसेवा है। समाज के लिये अत्यन्त मूल्यवान यह कार्य कुटुम्ब के अलावा और कहीं नहीं हो सकता।  
 
१८. कुटुम्ब में शिशु का जन्म होता है और नई पीढी का प्रारम्भ होता है। इस शिशु को चरित्रवान, कर्तृत्ववान और ज्ञानवान बनाकर कुटुम्ब समाज को एक सुयोग्य नागरिक प्रदान करता है । कुटुम्ब की यह श्रेष्ठ समाजसेवा है। समाज के लिये अत्यन्त मूल्यवान यह कार्य कुटुम्ब के अलावा और कहीं नहीं हो सकता।  
   −
१९. कुटुम्ब में ब्रह्मचर्य, गृहस्थ और वानप्रस्थ ये तीनों आश्रमों के सदस्य साथ साथ रहते हैं। तीन, और
+
१९. कुटुम्ब में ब्रह्मचर्य, गृहस्थ और वानप्रस्थ ये तीनों आश्रमों के सदस्य साथ साथ रहते हैं। तीन, और कहीं कहीं चार पीढियाँ साथ साथ रहती हैं । जीवन के सर्व प्रकार के अनुभव कुटुम्ब में होते हैं। सर्व प्रकार की आयु के सदस्यों के साथ व्यवहार करने की शिक्षा कुटुम्ब में मिलती है।
 +
 
 +
२०. कुटुम्ब जीवन भारतीय जीवनव्यवस्था की अमूल्य निधि है। उसकी प्रतिष्ठा करना भारत के लिये परम आवश्यक है। उसकी प्रतिष्टा करने से भारत का तो अभ्युदय होगा ही, अनेक प्रकार के मानसिक और सांस्कृतिक संकटों से ग्रस्त विश्व के लिये भी वह पथप्रदर्शक बनेगा।
    
==References==
 
==References==
1,815

edits

Navigation menu