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११. पानी का अमर्याद उपयोग करना, पानी का प्रदूषण करना, पानी बचाने की कोई व्यवस्था न करना, पानी के स्रोतों को अवरुद्ध करना आदि विनाशक गतिविधियों के पीछे कौनसी विचारधारा, कौनसी मनोवृत्ति और कौनसी प्रवृत्ति होती है इसका मूलगामी चिन्तन करना सिखाना चाहिये । पानी को लेकर हमारे छोटे से कार्य के परिणाम दूरगामी होते हैं यह समझने की आवश्यकता है।  
 
११. पानी का अमर्याद उपयोग करना, पानी का प्रदूषण करना, पानी बचाने की कोई व्यवस्था न करना, पानी के स्रोतों को अवरुद्ध करना आदि विनाशक गतिविधियों के पीछे कौनसी विचारधारा, कौनसी मनोवृत्ति और कौनसी प्रवृत्ति होती है इसका मूलगामी चिन्तन करना सिखाना चाहिये । पानी को लेकर हमारे छोटे से कार्य के परिणाम दूरगामी होते हैं यह समझने की आवश्यकता है।  
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ये सारी बातें शिक्षा का सार्थक अंग बनेंगी तभी विश्व कानून बनाये जाने के बाद भी नदियों को नहीं बचाया जा सकता है इसका कारण क्या है ? इस स्थिति को ठीक करने के लिये विद्यालय या विद्याक्षेत्र क्या कर सकता है इसका विचार होना चाहिये ।
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ये सारी बातें शिक्षा का सार्थक अंग बनेंगी तभी विश्व कानून बनाये जाने के बाद भी नदियों को नहीं बचाया जा सकता है इसका कारण क्या है ? इस स्थिति को ठीक करने के लिये विद्यालय या विद्याक्षेत्र क्या कर सकता है इसका विचार होना चाहिये ।
 
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तरह गूँधकर उसके पराठे बनाये जाते हैं ।
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उसमें बेसन मिलाकर पकौडे तले जाते हैं या गेहूँ चने आदि दो
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तीन प्रकार का आटा मिलाकर उसके छोटे छोटे गोले बनाकर,
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उन्हे भाँप पर पकाकर फिर छौँक कर बडे या बडियाँ बनाई
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जाती हैं। खिचडी में इसी प्रकार से आटा मिलाकर, उसे
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गूँधकर खाखरा या सूखी रोटी बनाई जाती है।
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४. दालभात मिक्स
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बचे हुए चावल और दाल अच्छी तरह मिलाकर
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छौंककर गरम किया जाता है।
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इसी प्रकार चावल या खिचडी भी मसाला डालकर
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छौँकी जाती है।
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५. दाल पापडी
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बची हुई दाल को छौँककर उसे पानी डालकर पतली
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बनाकर उसमें मसालेदार आटे की रोटी बेलकर उसके छोटे
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छोटे टुकडे डालकर उबाले जाते हैं और उस पर छौंक
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लगाई जाती है।
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६. कटलेस
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बचे हुए दाल, चावल, सब्जी, चूरा बनाई हुई रोटी
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आदि को मिलाकर, मसलकर उसमें आवश्यकता के अनुसार
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सूजी या मोटा आटा मिलाकर छोटी छोटी कटलेस सेंकी या
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तली जाती हैं।
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७. भेल
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दीपावली, जन्माष्टमी, आदि त्योहारों पर जब विविध
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प्रकार के व्यंजन थोडे थोडे बचे हुए होते हैं तब सबको
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भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
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मिलाकर खट्टी मीट्टी चटनी के साथ खाया जाता है।
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८. सखडी
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जितने भी पदार्थ भोजन में बने हैं उन सबको अच्छी
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तरह मिलाकर नमक मिर्च तेल डालकर खाया जाता है।
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९. रात की बची हुई रोटी
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बासी रोटी और दही बहुत लोगों को बहुत अच्छा
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लगता है। इसलिये सुबह खाने के लिये रात्रि में बनाकर
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बासी बनाकर खाई जाती है।
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ये सारे जंकफूड के नमूने हैं क्यों कि ये बासी और
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बचे हुए पदार्थों से ही बनते हैं। आयुर्वेद इन्हें खाने के लिये
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स्पष्ट मना करता है क्यों कि स्वास्थ्यकारक आहार की
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परिभाषा में इसका स्थान नहीं है।
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फिर भी प्रत्येक घर में ये प्रतिष्ठा प्राप्त हैं। इसका एक
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कारण यह है कि खाने वाले को ये अत्यन्त रुचिकर लगते
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हैं। इस प्रकार से ही उसका रुपान्तरण होता है। दूसरा
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कारण यह है कि बचे हुए पदार्थों को फैंकना गृहिणी को
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अच्छा नहीं लगता है। आर्थिक रुप से भी वह परवडता
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नहीं है। अतः बचे हुए अन्न का उपयोग करने में गृहिणी
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अपना कौशल दिखाती है।
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सम्पूर्ण भारत में घर घर में जंकफूड का प्रचलन है।
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भारत की गृहिणियाँ भाँति भाँति के जंक व्यंजन बनाने में
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माहिर होती हैं। घर के सदस्य भी उन्हे चाव से खाते हैं ।
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परन्तु ये पदार्थ बासी हैं और अनारोग्यकर हैं यह बात
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हमेशा ध्यान में रखना आवश्यक है ।
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अन्न विचार
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अन्न सभी प्राणियों का जीवन
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अन्न ब्रह्म है ।
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अन्न की निन्‍दा न करें ।
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अन्न को पवित्र मानें ।
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अन्न को देवता मानें ।
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अन्न का सम्मान करें ।
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अन्न का प्रभाव पाँचों कोशों पर
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अन्न से शरीर आरोग्यवान होता है ।
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अन्न से प्राणों का पोषण होता है ।
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जैसा अन्न वैसा मन ।
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अन्न से बुद्धि का विकास होता है ।
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अन्न से चित्तशुद्धि होती है ।
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इस बात को समझ कर भोजन करें ।
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पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
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भोजनयज्ञ
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भोजन भोग नहीं है ।
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भोजन विलास नहीं है ।
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भोजन यज्ञ है ।
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भोजन जठरान्नि में दी हुई आहुति है ।
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भोजन से पुष्ट शरीर धर्माचरण का साधन है ।
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भोजन पर सबका अधिकार
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स्मरण रहे
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जीवनरक्षा हेतु भोजन आवश्यक है ।
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सभी प्राणियों को जीना होता है,
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अतः सभी प्राणियों के भोजन प्राप्त करने के
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अधिकार को मान्य करें ।
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स्मरण रहे
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भगवान भूखा जगाते हैं, भूखा सोने नहीं देते ।
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भगवान ने दाँत दिये हैं तो चबेना देंगे ही ।
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हम भगवान का निमित्त बनें और भूखों को
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भोजन देकर उन्हें सन्तुष्ट करें ।
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हितभुकू, मितभुक्‌, कऋतभुक्‌
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हितभुक्‌ : शरीर को अनुकूल ऐसा भोजन करें
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प्रतिकूल भोजन का त्याग करें ।
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मितभुक्‌ : भूख से जरा कम खायें । दूँस ga
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कर न खायें । स्मरण रहे पेट का आधा हिस्सा
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भोजन से भरें, एक चौथाई हिस्सा पानी से भरें और
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एक चौथाई हिस्सा वायु के लिये खाली छोडें ।
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ऋऋतभुक्‌ : नीतिपूर्वक प्राप्त किया हुआ अन्न
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ही सेवन करें । लूटकर, चोरीकर, छीनकर, किसीको
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दुःख पहुँचा कर,कपटपूर्वक प्राप्त किया हुआ भोजन
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a at | fern, frp, ऋतभुक्‌ व्यक्ति ही पूर्ण
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स्वस्थ रहता है ।
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93
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LVN DAADAAA
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८ ७
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LAAAA
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Y कि फेक फेक फेर
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टॉप
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भोजन और संस्कार
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पेटू की तरह भोजन न करें ।
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अपवित्र और अस्वच्छ परिवेश में भोजन न
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करें ।
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अन्न का अपव्यय न करें ।
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हाथ और थाली गंदी कर, अन्न को इधरउधर
  −
 
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गिरा कर, मुँह से आवाज करते हुए, बडे बडे कौर
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मुँह में दूँसते हुए भोजन न करें ।
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शिष्ट और सभ्य तरीके से भोजन करें ।
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  −
भोजन केवल पेट भरने के लिये नहीं होता,
  −
 
  −
भोजन मन की शिक्षा के लिये भी होता है ।
  −
 
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खिलाकर खायें
  −
 
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अपने स्वयं के धन से खरीद किये हुए, अपने
  −
 
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स्वयं के श्रम से पैदा किये हुए अथवा प्रकृति की
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कृपा से प्राप्त भोजन पर भूखों का अधिकार मानें
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और
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अपने अन्न में से अधिकतम जितने लोगों को
  −
 
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और प्राणियों को दे सकते हैं दें और बाद में जिसे
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आप अपना मानते हैं उस अन्न का उपभोग करें ।
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सात्त्विक आहार
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जिससे अधिकतम रस बनता है,
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जो स्निग्ध है, घर्षण कम करता है,
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जो स्थिरता प्रदान करता है,
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जो मन को प्रसन्न बनाता है,
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वह आहार सात्त्विक होता है ।सात्त्तिक आहार
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का सेवन करने से आयु, बल बुद्धि, वीर्य, सुख और
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प्रसन्नता में वृद्धि होती है ।
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राजस आहार
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तीखा, चरपरा, खट्टा, खारा, बहुत गरम,
  −
 
  −
रूखा, आँखों में, नाक में पानी लाने वाला आहार
  −
 
  −
राजस है ।
  −
 
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राजस आहार से दुःख, शोक और अस्वास्थ्य
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बढ़ता है ।
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तामस आहार
  −
 
  −
बासी, बिगडा हुआ, अपवित्र, जूठा, निषिद्ध
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आहार तामस है ।
  −
 
  −
तामस आहार से जडता, मूढ़ता, आलस्य और
  −
 
  −
Ware sed हैं ।
  −
 
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बाजार का अन्न न खायें
  −
 
  −
बाजार का अन्न किसी ने प्रेम से बनाया हुआ
  −
 
  −
नहीं होता है ।
  −
 
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वह पैसा कमाने हेतु बनाया होता है ।
  −
 
  −
बाजार का अन्न ताजा और शुद्ध होने की
  −
 
  −
निश्चितता नहीं होती ।
  −
 
  −
बाजार का अन्न पवित्र होने की सम्भावना
  −
 
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नहीं होती ।
  −
 
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बाजार का अन्न संस्कारवान व्यक्ति द्वारा बना
  −
 
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होने की निश्चितता नहीं होती ।
  −
 
  −
इसलिये बाजार का अन्न खाने से असंस्कारिता
  −
 
  −
और तामसी वृत्ति बढ़ने की सम्भावना होती है ।
  −
 
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उससे बचना ही अच्छा है ।
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भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
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भोजन बनाना श्रेष्ठ कार्य है ।
  −
 
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भोजन से चरित्र निर्माण होता है ।
  −
 
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भोजन से सुदूढ सम्बन्ध स्थापित होते हैं ।
  −
 
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भोजन से शरीर पुष्ट बनता है ।
  −
 
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भोजन बनाने से उत्तम और श्रेष्ठ बातों के लिये
  −
 
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निमित्त बना जा सकता है ।
  −
 
  −
इसलिये भोजन बनाना श्रेष्ठ कार्य है ।
  −
 
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अन्न का दान होता है, विक्रय नहीं
  −
 
  −
अन्न जीवनधारक है ।
  −
 
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अन्न प्रकृति का दान है ।
  −
 
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अन्न को प्रकृति ने सबके लिये बनाया है ।
  −
 
  −
इसलिये उसका मूल्य पैसे से नहीं होता है ।
  −
 
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उसका दान ही होता है ।
  −
 
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हम अन्नदान इतना अधिक करें कि उसका
  −
 
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विक्रय बन्द हो जाय ।
  −
 
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अन्न का अपमान न करें
  −
 
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अन्न को कूडेदान में न फेंके ।
  −
 
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अन्न को गटर में न बहायें ।
  −
 
  −
अन्न को पैरों तले न कुचलें ।
  −
 
  −
अन्न को झाड़ू से न बुहारें ।
  −
 
  −
अन्न को गंदी चीजों के साथ न मिलायें ।
  −
 
  −
अन्न देवता है ।
  −
 
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अन्न पत्रित्र है ।
  −
 
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अन्न का अपमान नहीं करना सुसंस्कृत मनुष्य
  −
 
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का लक्षण है ।
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श्9्ढ
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पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
  −
 
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शुद्ध भोजन करें
  −
 
  −
भोजन बनाने में प्रयुक्त सामग्री शुद्ध है कि नहीं
  −
 
  −
यह परख लें ।
  −
 
  −
भोजन बनाने में प्रयुक्त पात्र और इंधन शुद्ध हैं
  −
 
  −
कि नहीं यह देख लें ।
  −
 
  −
भोजन बनाने वाले व्यक्ति की भावना शुद्ध है
  −
 
  −
कि नहीं यह जान लें ।
  −
 
  −
भोजन बनाने हेतु सारी सामग्री नीतिपूर्वक
  −
 
  −
अर्जित किये हुए धन से खरीदी गई है कि नहीं
  −
 
  −
उसका विचार करें ।
  −
 
  −
इन बातों के होने पर ही भोजन शुद्ध कहा
  −
 
  −
जायेगा ।
  −
 
  −
स्मरण रहे
  −
 
  −
आहारशुद्धौ सत्त्वशुद्धिः ।
  −
 
  −
शुद्ध आहार से ही हमारा व्यक्तित्व शुद्ध
  −
 
  −
बनेगा ।
  −
 
  −
भोज्येषु माता
  −
 
  −
भोजन बनाने वाला माता समान है
  −
 
  −
क्योंकि
  −
 
  −
माता जीवन देती है ।
  −
 
  −
माता जीवन की रक्षा करती है ।
  −
 
  −
माता जीवन का पोषण करती है ।
  −
 
  −
माता जीवन का संस्करण करती है ।
  −
 
  −
माता जीवन को सार्थक बनाना सिखाती है ।
  −
 
  −
इसलिये भोजन बनाने वाले ने मातृत्वभाव
  −
 
  −
धारण करना चाहिये ।
  −
 
  −
Rok
  −
 
  −
भोजन ठीक समय पर करें
  −
 
  −
जठरान्नि प्रदीप्त होने पर भोजन करने से ही
  −
 
  −
अन्न का पाचन ठीक होता है ।
  −
 
  −
सूर्य के ऊपर आने के साथ जठराग्नि प्रदीप
  −
 
  −
होता है ।
  −
 
  −
इसलिये भोजन का समय सूर्य की गति के
  −
 
  −
अनुकूल रखें ।
  −
 
  −
दिन का भोज मध्याह्न से पूर्व करें ।
  −
 
  −
सायंकाल का भोजन सूर्यास्त से पूर्व करें ।
  −
 
  −
प्रातःकाल का अल्पाहार सूर्याद्य के बाद दो
  −
 
  −
घडी बीतने पर करें । हल्का आहार लें ।
  −
 
  −
रात्रि भोजन टालें ।
  −
 
  −
देर रात्रि में भोजन कभी भी न करें ।
  −
 
  −
यह कालभोजन होता है ।
  −
 
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स्मरण रहे
  −
 
  −
प्रकृति के नियमों का पालन न करने से हमारा
  −
 
  −
ही नुकसान होता है, प्रकृति का नहीं ।
  −
 
  −
साथ साथ भोजन करें
  −
 
  −
साथ बैठकर भोजन करने से स्नेह बढता है ।
  −
 
  −
साथ बैठखर भोजन करने से सम्बन्ध सुदृढ़
  −
 
  −
बनते हैं ।
  −
 
  −
साथ बैठकर भोजन करने से समझ बढती है ।
  −
 
  −
साथ बैठकर भोजन करने से समस्‍यायें पैदा
  −
 
  −
नहीं होतीं । हुई हों तो दूर हो जाती हैं ।
  −
 
  −
साथ बैठकर भोजन करने से एकात्मता बढती
  −
 
  −
है।
  −
 
  −
इसलिये सौ काम छोड़कर परिवार के सदस्यों
  −
 
  −
को साथ बैठकर भोजन करने की अनुकूलता बनानी
  −
 
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चाहिये ।
  −
 
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  −
 
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9. विद्यालय में पानी की व्यवस्था क्यों होनी
  −
 
  −
चाहिये ?
  −
 
  −
२.. पानी की व्यवस्था में सुविधा की दृष्टि से कया
  −
 
  −
क्या उपाय करने चाहिये ?
  −
 
  −
३... पानी का शुद्धीकरण कैसे हो ?
  −
 
  −
४. पानी ठण्डा करने की अच्छी व्यवस्था क्‍या हो
  −
 
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सकती है ?
  −
 
  −
५... पानी के पात्र कैसे होने चाहिये ?
  −
 
  −
६... आजकल छात्र एवं आचार्य घर से पानी लेकर
  −
 
  −
आते हैं । यह व्यवस्था कितनी उचित है ?
  −
 
  −
9. विद्यालय में पानी कहां रखना चाहिये ?
  −
 
  −
८... पानी का दुर्व्यय एवं अपव्यय रोकने के लिये हम
  −
 
  −
क्या क्‍या कर सकते हैं ?
  −
 
  −
९... पानी की निकासी की व्यवस्था कैसी हो ?
  −
 
  −
१०. पानी का प्रदूषण रोकने के लिये क्या क्या कर
  −
 
  −
सकते हैं ?
  −
 
  −
११, पानी का आर्थिक पक्ष क्‍या है ?
  −
 
  −
प्रश्नावली से ura उत्तर
  −
 
  −
इस प्रश्नचावली में कुल १० प्रश्न थे । ८ शिक्षक, २
  −
 
  −
प्रधानाचार्य और २४ अभिभावकों ने इन प्रश्नों से सम्बन्धित
  −
 
  −
अपने मत व्यक्त किये हैं ।
  −
 
  −
g. पाँच घण्टे की विद्यालय अवधि में पीने के पानी की
  −
 
  −
व्यवस्था होनी ही चाहिए । छात्रों को भोजनोपरान्त पीने
  −
 
  −
का पानी चाहिए । इसलिए विद्यालय में पीने के पानी
  −
 
  −
की व्यवस्था होना अनिवार्य है । यह मत सबका था ।
  −
 
  −
अच्छी व्यवस्था के सन्दर्भ में, मटके को टोटी लगाना,
  −
 
  −
मटके छाया में रखना, सुविधाजनक स्थान पर रखना,
  −
 
  −
पीने के पानी की व्यवस्था एक ही स्थान पर न कर
  −
 
  −
अलग-अलग स्थानों पर करना, पीते समय गिरा हुआ
  −
 
  −
पानी बहकर पौधों में जायें ऐसी व्यवस्था बनाना आदि
  −
 
  −
बातों में तो सर्वानुमति थी, किन्तु पानी पीकर गिलास
  −
 
  −
धो कर रखना किसी ने नहीं सुझाया इसका आश्चर्य है ।
  −
 
  −
विद्यालय में पानी की व्यवस्था
  −
 
  −
१७६
  −
 
  −
भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
  −
 
  −
क्योंकि यह एक आवश्यक संस्कार है ।
  −
 
  −
जल शुद्धिकरण हेतु पानी में फिटकरी डालना, पानी
  −
 
  −
छानकर उसमें खस डालना, पानी में क्लोरिन की
  −
 
  −
गोलियाँ डालना आदि सुझाव प्राप्त हुए । कुछ लोगों ने
  −
 
  −
पीने का पानी उबालकर रखना, आर.ओ. प्लान्ट
  −
 
  −
लगाकर पानी को शुद्ध करना जैसे सुझाव भी दिये ।
  −
 
  −
वर्षा का पानी उचित प्रकार से उचित स्थान पर जमा
  −
 
  −
करना । पीने के लिए वर्षभर इसी पानी का उपयोग
  −
 
  −
करने जैसी अच्छी बातें भी कही ।
  −
 
  −
पानी ठंडा रखने के लिए मिट्टी के पात्र ही सर्वात्तिम हैं,
  −
 
  −
इस बात का भी सबने आग्रह किया । पानी के पात्र
  −
 
  −
की रोज सफाई करना, उसे हर समय ढककर रखना
  −
 
  −
जैसी सभी बातों की अनिवार्यता भी बताई । पानी की
  −
 
  −
टंकी की सफाई भी प्रति मास होनी चाहिए ।
  −
 
  −
आजकल आचार्य और छात्र पीने का पानी घर से साथ
  −
 
  −
लेकर आते हैं, जो सर्वथा गलत है ।
  −
 
  −
पानी के आर्थिक पक्ष पर सभी मौन रहे ।
  −
 
  −
पानी का अपव्यय रोकने के लिए, जितना चाहिए
  −
 
  −
उतना ही पानी लेना । यह संस्कार दृढ़ करना चाहिए ।
  −
 
  −
जो पानी बह गया वह पौधों व वृक्षों में ही जाना
  −
 
  −
चाहिए । आदि सुझाव बताये ।
  −
 
  −
अभिमत :
  −
 
  −
अन्य प्रश्नावलियों से प्राप्त उत्तरों की तुलना में इस
  −
 
  −
विद्यालय से प्राप्त उत्तर सही एवं भारतीय दृष्टि की पहचान
  −
 
  −
बताने वाले थे । इसका कारण यह था कि इस विद्यालय में
  −
 
  −
समग्र विकास अभ्यासक्रमानुसार शिक्षण होता है । जब शिक्षा
  −
 
  −
से सही दृष्टि मिलती है तो व्यवहार भी तदूनुसार सही ही होता
  −
 
  −
है। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह कि इस प्रश्नावली में
  −
 
  −
अभिभावकों की सहभागिता अधिक रही । उनमें से कुछ
  −
 
  −
अभिभावक कम पढ़े लिखे भी थे, फिर भी अनेक उत्तर
  −
 
  −
एकदम सटीक थे । यह आश्चर्य की बात थी । अल्पशिक्षित
  −
 
  −
व्यक्ति भी अच्छा व्यवहार कर सकता है बात को उन्होंने
  −
 
  −
सत्यसिद्ध किया ।
  −
 
  −
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  −
 
  −
पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
  −
 
  −
आज हर कोई कार्यालय में, व्याख्यान में, सिनेमामें ... यह व्यवहार अत्यन्त सहज हो गया है ।
  −
 
  −
जाते समय पानी की बोटल साथ लेकर जाता है । परन्तु यहाँ. प्यासे को पानी पिलाने के भाव ही अब उत्पन्न नहीं होता ।
  −
 
  −
सब लोगों ने मटके के पानी का उपयोग ही सबके लिए श्रेष्ठ एक विद्यालय की ट्रिप रेल से जा रही थी । उसमें ५०
  −
 
  −
बताया है । प्लास्टिक बोतल में रखा पानी प्रदूषित हो जाता... विद्यार्थी थे । प्रत्येक विद्यार्थी को ५-५- बोतल दी गईं थी ।
  −
 
  −
है । ऐसा उनका मत था । हिसाब लगाये तो ५ » ५० » २० - ५००० रु, केवल पानी
  −
 
  −
जैसे घर में पानी की व्यवस्था करना घर के लोगों का... का खर्च था । फिर आवश्यकता, स्वतन्त्रता का अधिकार,
  −
 
  −
दायित्व होता है, वैसे ही विद्यालय में पानी की व्यवस्था करना... अपव्यय, आर्थिकपक्ष आदि बिन्दुओं का विचार ही नहीं
  −
 
  −
विद्यालय का दायित्व होता है इस सीधी सादी बात को हम. किया जाता । हमें इसका विचार करना चाहिए ।
  −
 
  −
भूल रहे हैं । विद्यालय में पानी भरना, उसकी स्वच्छता रखना ईश्वर हमें पर्याप्त जल निःशुल्क देता है, परन्तु हम लोग
  −
 
  −
यह हमारा काम है, आज के चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों को इसका... उसका व्यवसाय करते हैं, आर्थिक लाभ करमा रहे हैं । हमें
  −
 
  −
भान ही नहीं है । उधर अभिभावक भी वॉटर बोतल देकर, ... कुछ तो विचार करना चाहिए ।
  −
 
  −
अपने बालक की सुरक्षा का ध्यान हमें ही रखना है ऐसा मानता x
  −
 
  −
है और उसमें धन्यता अनुभव करता है । प्लास्टिक बोतल का विद्यालय में पानी की व्यवस्था
  −
 
  −
उपयोग हानिकर है इसे वे भूल जाते हैं । जल से जुड़े संस्कार पानी का विषय भी कोई विषय है ऐसा ही कोई भी
  −
 
  −
जो उसे विद्यालय से मिलने चाहिए उनसे वह वंचित रह जाता... कहेगा । परन्तु विचार करने लगते हैं तब कई बिन्दु सामने
  −
 
  −
है । जैसे कि समूह में कैसा व्यवहार करना, अपने से अधिक... आते हैं ...
  −
 
  −
प्यासे मित्र को पहले पानी पीने देना, व्यर्थ बहने वाले पानी... १. . विद्यालय में पानी की व्यवस्था होती ही है परन्तु उसके
  −
 
  −
का कैसे उपयोग करना आदि । प्रकार अलग अलग होते हैं ।
  −
 
  −
२... कई स्थानों पर टंकी होती है और उसे नल लगे होते
  −
 
  −
पानी का आर्थिक पक्ष हैं । पानी की टंकी या तो सिमेन्ट की होती है अथवा
  −
 
  −
पानी के आर्थिक पक्ष को देखें तो ईश्वर ने हमारे लिए प्लास्टिक की । टंकी में से पानी लाने वाली नलिकायें
  −
 
  −
विपुल मात्रा में जल की व्यवस्था की है । जल पर सबका भी या तो प्लास्टिक की होती हैं या सिमेन्ट की । नल
  −
 
  −
समान अधिकार है । किसी ने भी पानी माँगा तो उसे सेवाभाव स्टील के, लोहे के अथवा प्लास्टिक के । पानी पीने
  −
 
  −
से पानी पिलाना यह भारतीय दृष्टि है । परन्तु पाश्चात्य विचारों के प्याले अधिकांश प्लास्टिक के और कभी कभी
  −
 
  −
के प्रभाव में आकर हमने पानी को भी बिकाऊ बना दिया । स्टील के होते हैं ।
  −
 
  −
बड़ी-बड़ी व्यावसायिक कम्पनियों के मनमोहक विज्ञापनों के... ३... अनेक विद्यालयों में पानी शुद्धीकरण के यन्त्र लगाए
  −
 
  −
सहारे धडछ्ठे से पानी बिक रहा है । परिणाम स्वरूप सेवाभाव जाते हैं । कई स्थानों पर मिट्टी के मटके होते हैं । कई
  −
 
  −
से चलने वाले जलमंदिर बन्द हो रहे हैं । स्थानों पर बाजार में जो मिनरल पानी मिलता है वह
  −
 
  −
तरह तरह के वाटर बेग्ज, उनके आकर्षक रंग व लाया जाता है । छात्रों को शुद्ध पानी मिले ऐसा आग्रह
  −
 
  −
आकार पर मोहित हो अभिभावक अपने पुत्र के नाम पर विद्यालय का और अभिभावकों का होता है ।
  −
 
  −
कितना पैसा व्यर्थ में लुटा देते हैं । आर ओ प्लान्ट के बिना... ४... अनेक विद्यालयों में छात्र घर से पानी लेकर आते हैं ।
  −
 
  −
जल शुद्ध हो ही नहीं सकता इस विचार के कारण कितना वे ऐसा करें इसका आग्रह विद्यालय और अभिभावक
  −
 
  −
अनावश्यक धन खर्च होता है इसका अभिभावकों को भान दोनों का होता है । विद्यालय कभी कभी विचार करता
  −
 
  −
ही नहीं है । मेरा खरीदा हुआ पानी, इसलिए उस पर केवल है कि छात्र यदि घर से पानी लाते हैं तो विद्यालय का
  −
 
  −
मेरा अधिकार, मैं जैसा चाहूँगा, वैसा उसका उपयोग करूँगा बोज कम होगा । अभिभावकों को कभी कभी
  −
 
  −
१७७
  −
 
  −
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  −
 
  −
4,
  −
 
  −
६.
  −
 
  −
विद्यालय की व्यवस्था पर सन्देह होता
  −
 
  −
है। वहाँ शुद्ध पानी मिलेगा कि नहीं इसकी आशंका
  −
 
  −
रहती है । इसलिए वे घर से ही पानी भेजते हैं ।
  −
 
  −
विद्यालय में भीड़ होने के कारण भी अपना पानी
  −
 
  −
अलग रखने की आवश्यकता उन्हें लगती है । घर से
  −
 
  −
विद्यालय की दूरी भी होती है और रास्ते में पानी की
  −
 
  −
आवश्यकता होती है इसलिए भी अभिभावक पानी घर
  −
 
  −
से देते हैं ।
  −
 
  −
अब इसमें शैक्षिक दृष्टि से विचारणीय बातें कौनसी
  −
 
  −
हैं सपहली बात तो यह है कि विद्यालय में पानी की
  −
 
  −
व्यवस्था है और वह अच्छी है इस बात पर
  −
 
  −
अभिभावकों का विश्वास बनना चाहिये । इसके आधार
  −
 
  −
पर ही आगे की बातें सम्भव हो सकती हैं ।
  −
 
  −
आजकल जो बात सर्वाधिक प्रचलन में है वह है
  −
 
  −
प्लास्टिक का प्रयोग । टंकी, बोतल, नलिका और
  −
 
  −
नल, प्याले आदि सबकुछ प्लास्टिक का ही बना होता
  −
 
  −
है। भौतिक विज्ञान स्पष्ट कहता है कि प्लास्टिक
  −
 
  −
पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक है ।
  −
 
  −
इसलिए विद्यालय का यह कर्तव्य है कि प्लास्टिक का
  −
 
  −
प्रयोग न करे और उसके निषेध के लिए छात्रों की
  −
 
  −
सिद्धता बनाए और अभिभावकों का प्रबोधन करे ।
  −
 
  −
विद्यालय के शिक्षाक्रम का यह एक महत्त्वपूर्ण अंग
  −
 
  −
होना चाहिये | faa के संकट मनुष्य की अनुचित
  −
 
  −
मन:स्थिति और उससे प्रेरित होने वाले अनुचित
  −
 
  −
व्यवहार के कारण ही तो निर्माण होते हैं । मन और
  −
 
  −
व्यवहार ठीक करने का प्रमुख अथवा कहो कि एकमेव
  −
 
  −
केन्द्र ही तो विद्यालय है । वहाँ भी यदि प्लास्टिक का
  −
 
  −
प्रयोग किया जाय तो इससे बढ़कर पाप कौनसा होगा ।
  −
 
  −
इस सन्दर्भ में सुभाषित देखें
  −
 
  −
अन्यक्षेत्रे कृतं पापं तीर्थक्षेत्रे विनश्यति ।
  −
 
  −
तीर्थक्षेत्रे कृत पाप॑ वज़लेपो भविष्यति ।॥।
  −
 
  −
अर्थात अन्य स्थानों पर किया गया पाप तीर्थक्षेत्र में
  −
 
  −
धुल जाता है परन्तु तीर्थक्षेत्र में किया हुआ पाप
  −
 
  −
वज़लेप बन जाता है ।
  −
 
  −
विद्यालय ज्ञान के क्षेत्र में तीर्थक्षेत्र ही तो है । अतः
  −
 
  −
१७८
  −
 
  −
भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
  −
 
  −
विद्यालय ने इसे अपना कर्तव्य समझना चाहिये ।
  −
 
  −
एक ओर प्लास्टीक का आतंक है तो दूसरी ओर
  −
 
  −
शुद्धीकरण का भूत बुद्धि पर सवार हो गया है । हम
  −
 
  −
कहते हैं कि आज का जमाना वैज्ञानिकता का है ।
  −
 
  −
परन्तु पानी के शुद्धीकरण के लिए जो यंत्र लगाए जाते
  −
 
  −
हैं और जो प्रक्रिया अपनाई जाती है वह विज्ञापनों ने
  −
 
  −
रची हुई मायाजाल है । विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाओं
  −
 
  −
से 'शुद्ध' हुआ पानी शरीर के लिए उपयोगी क्षारों को
  −
 
  −
भी गँवा चुका होता है । अभ्यस्त लोगों को स्वाद से
  −
 
  −
भी इसका पता चल जाता है। हमारे बड़े बड़े
  −
 
  −
कार्यक्रमों में और घरों में शुद्ध पानी के नाम पर मिनरल
  −
 
  −
पानी और प्लास्टिक के पात्र प्रयोग में लाये जाते हैं
  −
 
  −
वह हमारी बुद्धि कितनी विपरीत हो गई है और
  −
 
  −
अआतार्किक तर्कों से ग्रस्त हो गई है इसका ही द्योतक
  −
 
  −
है। विद्यालयों ने इस संकट के ज्ञानात्मक और
  −
 
  −
भावनात्मक उपाय करने चाहिए । इस दृष्टि से तो प्रथम
  −
 
  −
इन दोनों बातों का प्रयोग बन्द करना चाहिये ।
  −
 
  −
भौतिक विज्ञान के प्रयोगों ने यह सिद्ध किया है कि
  −
 
  −
मिट्टी के पात्र पानी के शुद्धिकारण के लिए बहुत
  −
 
  −
लाभकारी हैं । तांबे के पात्र भी उतने ही लाभकारी
  −
 
  −
हैं । पीने के पानी के लिए गर्मी के दिनों में मिट्टी के
  −
 
  −
और ठंड के दिनों में तांबे के पात्र सर्वाधिक उपयुक्त
  −
 
  −
होते हैं । शुद्धीकरण के कृत्रिम उपायों में पैसा खर्च
  −
 
  −
करने के स्थान पर मिट्टी और तांबे के पात्रों का प्रयोग
  −
 
  −
करना दूरगामी और तात्कालिक दोनों दृष्टि से अधिक
  −
 
  −
समुचित है । टंकियों में भरे पानी को शुद्ध करने के
  −
 
  −
लिए भी रसायनों का प्रयोग करने के स्थान पर
  −
 
  −
सहजन और निर्मली के बीज और फिटकरी जैसे
  −
 
  −
पदार्थों का प्रयोग अधिक लाभकारी होते हैं । छात्रों
  −
 
  −
को कूलर और शीतागार का पानी भी नहीं पिलाना
  −
 
  −
चाहिये ।
  −
 
  −
पानी के सम्यक उपयोग का ज्ञान भी देने की
  −
 
  −
आवश्यकता है । पानी निकासी की व्यवस्था भी
  −
 
  −
गम्भीरतापूर्वक करनी चाहिये । इसकी चर्चा भी
  −
 
  −
स्वतन्त्र रूप से अन्यत्र की गई है ।
  −
 
  −
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  −
 
  −
पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
  −
 
  −
विद्यालय में केवल पानी की व्यवस्था करना ही
  −
 
  −
पर्याप्त नहीं है, पानी के प्रयोग की शिक्षा देना भी अत्यन्त
  −
 
  −
आवश्यक है । छोटी आयु से ही पानी के विषय में शिक्षा
  −
 
  −
नहीं देने का परिणाम इतना भीषण हो रहा है कि लोग अब
  −
 
  −
कह रहे हैं कि तीसरा विश्वयुद्ध पानी को लेकर होगा ।
  −
 
  −
इसका अर्थ यह है कि वैश्विक स्तर पर पानी का संकट बढ
  −
 
  −
गया है । इस वैश्विक संकट को विद्यालयीन शिक्षा के साथ
  −
 
  −
जोडकर समस्या के हल का विचार करना चाहिये ।
  −
 
  −
शिक्षा योजना के बिन्दु
  −
 
  −
पानी के सम्बन्ध में शिक्षा की योजना करते समय इन
  −
 
  −
बिन्दुओं को ध्यान में लेना आवश्यक है ।
  −
 
  −
g. पानी विषयक शिक्षा छोटी से लेकर बड़ी कक्षाओं
  −
 
  −
तक देने की आवश्यकता है ।
  −
 
  −
पानी जीवनधारणा के लिये अनिवार्य रूप से
  −
 
  −
आवश्यक है । पानी के बिना जीवन सम्भव नहीं ।
  −
 
  −
पानी का एक नाम ही जीवन है ।
  −
 
  −
पानी पंचमहाभूतों में एक है । वह सर्वव्यापी है ।
  −
 
  −
सृष्टि के हर पदार्थ में पानी होता है । पानी के कारण
  −
 
  −
ही पदार्थ का संधारण होता है ।
  −
 
  −
भौतिक विज्ञान कहता है कि पानी स्वयं ead
  −
 
  −
है, उसका अपना कोई स्वाद नहीं है, परन्तु यह भी
  −
 
  −
सत्य है कि पानी के कारण ही किसी भी पदार्थ को
  −
 
  −
स्वाद प्राप्त होता है ।
  −
 
  −
पानी पंचमहाभूतों में एक महाभूत है । पंचमहाभूतों के
  −
 
  −
सूक्ष्म स्वरूप को तन्मात्रा कहते हैं। पानी की
  −
 
  −
wit रस है। रस का अनुभव करने वाली
  −
 
  −
ज्ञानेन्द्र जीभ है । वह रस का अनुभव करती है
  −
 
  −
इसलिये उसे रसना कहते हैं। रसना स्वाद का
  −
 
  −
अनुभव करती है । हम सब जानते हैं कि जीभ के
  −
 
  −
बिना हम सृष्टि में जो रस अर्थात्‌ स्वाद है उसका
  −
 
  −
अनुभव नहीं कर सकते ।
  −
 
  −
पानी पतित्र है । पानी देवता है । वेदों में जलदेवता
  −
 
  −
पानी के विषय में शिक्षा
  −
 
  −
R98
  −
 
  −
को ही वरुण देवता कहा है । पदार्थों का संधारण
  −
 
  −
करने का, प्राणियों और वनस्पति का जीवन सम्भव
  −
 
  −
बनाने का महत्त्वपूर्ण कार्य पानी करता है इसीलिये
  −
 
  −
वह पवित्र है । हम देवता की पूजा करते हैं, उन्हें
  −
 
  −
आदर देते हैं और सन्तुष्ट भी करते हैं । पानी का
  −
 
  −
आदर करना और उसकी पवित्रता की रक्षा करना
  −
 
  −
हमारा धर्म है । इसीकी शिक्षा छोटे बडे सबको
  −
 
  −
मिलनी चाहिये ।
  −
 
  −
सभी विषयों की शिक्षा की तरह पानी विषयक शिक्षा
  −
 
  −
भी ज्ञान, भावना और क्रिया के रूप में देनी चाहिये ।
  −
 
  −
स्वाभाविक रूप से ही प्रथम क्रियात्मक, दूसरे क्रम में
  −
 
  −
भावात्मक और बाद में ज्ञानात्मक शिक्षा देनी चाहिये ।
  −
 
  −
पानी के सम्बन्ध में क्रियात्मक शिक्षा
  −
 
  −
g. पानी को हमेशा शुद्ध रखे, अशुद्ध न करें, शुद्ध पानी
  −
 
  −
ही पियें ।
  −
 
  −
खडे खडे, लेटे लेटे पानी न पियें । हमेशा बैठकर ही
  −
 
  −
पियें ।
  −
 
  −
पानी जल्दबाजी में न पियें, धीरे धीरे एक एक घूंट
  −
 
  −
लेकर ही पियें ।
  −
 
  −
प्लास्टिक की बोतलों में भरा हुआ, यंत्रों और
  −
 
  −
रसायनों से शुद्ध किया हुआ पानी वास्तव में शुद्ध
  −
 
  −
नहीं होता । उसे शुद्ध मानना और कहना हमारी
  −
 
  −
वैज्ञानिक अंधश्रद्धा ही है। tar agg ot
  −
 
  −
अप्राकृतिक बीमारियों को जन्म देता है ।
  −
 
  −
भोजन के प्रारम्भ में और भोजन के तुरन्त बाद पानी
  −
 
  −
न पियें । मुँह साफ करने के लिये एकाध ye ही
  −
 
  −
पियें ।
  −
 
  −
दिनभर में पर्याप्त पानी पीना चाहिये, न बहुत अधिक,
  −
 
  −
न बहुत कम ।
  −
 
  −
पीने के साथ साथ पानी भोजन बनाने के, स्थान और
  −
 
  −
वस्तुओं को साफ करने के, पेड पौधों का पोषण
  −
 
  −
करने के काम में भी आता है । उन बातों का भी
  −
 
  −
............. page-196 .............
  −
 
  −
é.
  −
 
  −
Ro.
  −
 
  −
8.
  −
 
  −
x.
  −
 
  −
2.
  −
 
  −
RY.
  −
 
  −
सम्यक विचार करना आवश्यक है ।
  −
 
  −
भोजन बनाने के लिये हमेशा शुद्ध और पवित्र पानी
  −
 
  −
का ही प्रयोग करना चाहिये । ताँबे या पीतल के पात्र
  −
 
  −
में भरे पानी का प्रयोग करें । स्टील, प्लास्टिक,
  −
 
  −
एल्युमिनियम या अन्य पदार्थों से बने पात्रों में भरे
  −
 
  −
पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिये । चाँदी और
  −
 
  −
सुवर्ण तो अति उत्तम हैं ही परन्तु हम व्यवहार में
  −
 
  −
सामान्य रूप से इन पात्रों का प्रयोग नहीं करते ।
  −
 
  −
सिमेन्ट से बनी टॉँकियों में भरा पानी भी उतना अधिक
  −
 
  −
शुद्ध नहीं होता है, सिमेन्ट के ऊपर यदि चूने से पुताई की
  −
 
  −
जायतो वह अच्छा है, लाभदायी है । प्लास्टिक की टँंकियाँ
  −
 
  −
किसी भी तरह लाभदायी नहीं हैं ।
  −
 
  −
पानी का उपयोग पेड पौधों और प्राणियों के लिये
  −
 
  −
होता है । विद्यार्थियों को इसके क्रियात्मक संस्कार
  −
 
  −
मिलने चाहिये । इस दृष्टि से विद्यालय में पक्षी पानी
  −
 
  −
पी सके ऐसे पात्र टाँगने चाहिये । विद्यार्थी इन पात्रों
  −
 
  −
को साफ करें और उन्हें पानी से भरें ऐसी योजना
  −
 
  −
करना चाहिये । यह व्यवस्था हर विद्यार्थी के घर तक
  −
 
  −
पहुँचे यह देखना चाहिये । साथ ही पशुओं को पानी
  −
 
  −
पीने की व्यवस्था भी करनी चाहिये । रास्ते पर आते
  −
 
  −
जाते पशु इससे पानी पी सकें ऐसी जगह पर यह
  −
 
  −
व्यवस्था होनी चाहिये । इसकी स्वच्छता भी विद्यार्थी
  −
 
  −
ही करें यह देखना चाहिये ।
  −
 
  −
मनुष्यों को पानी पिलाने की व्यवस्था भी होना
  −
 
  −
आवश्यक है । इस दृष्टि से प्याऊ की व्यवस्था की
  −
 
  −
जा सकती है । इस प्याऊ की व्यवस्था का संचालन
  −
 
  −
विद्यार्थियों को करना चाहिये ।
  −
 
  −
हाथ पैर धोने या नहाने के लिये हम कितने कम पानी
  −
 
  −
का प्रयोग कर सकते हैं यह सिखाने की आवश्यकता
  −
 
  −
है । अधिक पानी का प्रयोग करना बुद्धिमानी नहीं है ।
  −
 
  −
इसी प्रकार वर्तन साफ करने के लिये, कपडे धोने के
  −
 
  −
लिये कम पानी का प्रयोग करने की कुशलता प्राप्त
  −
 
  −
करनी चाहिये ।
  −
 
  −
डीटे्जन्ट से कपडे और बर्तन साफ करने से अधिक
  −
 
  −
पानी का प्रयोग करना पडता है । इससे बचने के
  −
 
  −
१८०
  −
 
  −
भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
  −
 
  −
जल साक्षरता
  −
 
  −
बूँदबूँद पानी को आज हम बचाएँगे ।
  −
 
  −
हरीभरी वसुंधरा फिर से हम बसाएँगे ।।धृ।।
  −
 
  −
कोसों दूर बहनें जातीं, घर से पानी के लिये
  −
 
  −
उन बहनों की सेवा करने गाँव में पानी लाएँगे
  −
 
  −
उन बहनों की सेवा करने बावड़ियाँ बँधवाएँगे ।।१।।
  −
 
  −
मिट्ते जाते तालाबोंसे जलस्तर नीचे जाता है
  −
 
  −
नये-नये तालाब बनाकर, जलस्तर ऊपर लाएँगे 1२11
  −
 
  −
अब ना कोई प्यासा होगा पानी के अभावमें
  −
 
  −
चर अचर की तृषा शांतिका संबल हम जगाएँगे || ३।।
  −
 
  −
समझ नहीं है जिसको नलसे बहते रहते पानी की
  −
 
  −
उन लोगों को समझाकर जलसाक्षसता लाएंगे ।1४।।
  −
 
  −
लिये डिटर्जन्ट का प्रयोग बन्द कर उसके स्थान पर
  −
 
  −
प्राकृतिक पदार्थों का प्रयोग करना चाहिये । बर्तन की
  −
 
  −
सफाई के लिये मिट्टी या राख तथा कपड़ों की सफाई
  −
 
  −
के लिये साबुन का प्रयोग करने से पानी की बचत भी
  −
 
  −
होती है और प्रदूषण भी नहीं होता ।
  −
 
  −
पीने के लिये प्यालें में उतना ही पानी लेना चाहिये
  −
 
  −
जितना कि पीना है । प्याला भरकर लेना, थोडा पीना
  −
 
  −
और बचा हुआ फेंक देना कम बुद्धि का लक्षण है ।
  −
 
  −
पानी का बहुत अधिक अपव्यय होता है शौचालयों
  −
 
  −
में । फ्लश की व्यवस्था वाले शौचालय पानी के
  −
 
  −
प्रयोग की दृष्टि से अनुकूल नहीं है । उनके पर्याय
  −
 
  −
खोजने चाहिये ।
  −
 
  −
आवश्यकता से अधिक पानी का संग्रह करना और
  −
 
  −
बाद में फैंक देना भी उचित नहीं है । इससे पानी का
  −
 
  −
बहुत अपव्यय होता है ।
  −
 
  −
विद्यालय में पानी के संग्रह की योजना बहुत
  −
 
  −
सोचविचार कर बनानी चाहिये ।
  −
 
  −
वर्षा के पानी का संग्रह करने की व्यवस्था हर
  −
 
  −
विद्यालय के लिये अनिवार्य है । विद्यालय से यह
  −
 
  −
योजना विद्यार्थियों के घर तक पहुँचनी चाहिये ।
  −
 
  −
a4.
  −
 
  −
&&.
  −
 
  −
Ru.
  −
 
  −
RC.
  −
 
  −
88.
  −
 
  −
............. page-197 .............
  −
 
  −
पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
  −
 
  −
२०. जिस प्रकार पानी को शुद्ध करने के बाद ही पीना
  −
 
  −
चाहिये उस प्रकार शुद्ध पानी को अशुद्ध नहीं करने
  −
 
  −
की सावधानी भी रखनी चाहिये ।
  −
 
  −
पानी का प्रयोग करना सीखना चाहिये यह जितना
  −
 
  −
महत्त्वपूर्ण है उतना ही महत्त्वपूर्ण पानी का निष्कासन उचित
  −
 
  −
पद्धति से करना भी सीखना है । उसकी भी क्रियात्मक
  −
 
  −
शिक्षा आवश्यक है। कुछ इन बातों पर ध्यान देना
  −
 
  −
आवश्यक है ।
  −
 
  −
श्,
  −
 
  −
पीने का पानी पेड पौधों को मिल सके इस प्रकार ही
  −
 
  −
फेंकना चाहिये । पीते समय बचाना नहीं यह तो
  −
 
  −
पहली बात है परन्तु, बच गया तो वह या तो पक्षियों
  −
 
  −
और पशुओं को पीने के लिये या तो बर्तन आदि
  −
 
  −
धोने के लिये अथवा पेड पौधों के लिये काम में
  −
 
  −
आना चाहिये ।
  −
 
  −
जिनमें पानी भरा जाता है वे बर्तन खाली करते समय
  −
 
  −
भी यह बातें ध्यान में रखना आवश्यक है ।
  −
 
  −
भोजन के पात्र साफ करते समय प्रथम तो सारी जूठन
  −
 
  −
धोकर वह पानी एक पात्र में इकट्ठा करना चाहिये ।
  −
 
  −
वह पानी गाय, बकरी, कुत्ते आदि पशुओं को
  −
 
  −
पिलाना चाहिये । चावल, दाल आदि धोने के बाद
  −
 
  −
उसके पानी का भी ऐसा ही उपयोग करना चाहिये ।
  −
 
  −
इससे पशुओं को अन्न के अच्छे अंश मिलते हैं और
  −
 
  −
अन्न का सदुपयोग होता है ।
  −
 
  −
बर्तन साफ किया हुआ पानी पेड पौधों को ही देना
  −
 
  −
चाहिये । कपडे साफ करने के बाद का साबुन वाला
  −
 
  −
पानी खुले में रेत या मिट्टी पर या ये दोनों नहीं है तो
  −
 
  −
पथ्थर पर गिराना चाहिये । रेत या मिट्टी पानी को
  −
 
  −
are लेते हैं, पथ्थर पर गिरा पानी सूर्यप्रकाश और
  −
 
  −
हवा से सूख जाता है। इससे जमीन की और
  −
 
  −
वातावरण की नमी बनी रहती है और तापमान
  −
 
  −
अप्राकृतिकरूप से नहीं बढता ।
  −
 
  −
पानी की निकासी की भूमिगत व्यवस्था पानी के
  −
 
  −
शुद्धीकरण की दृष्टि से अत्यन्त घातक है यह बात
  −
 
  −
आज किसी को समझ में आना बहुत कठिन है ।
  −
 
  −
हमारी सोच इतनी उपरी सतह की हो गई है, कि हमें
  −
 
  −
श्८्१
  −
 
  −
ऊपरी स्वच्छता तो दिखाई देती
  −
 
  −
है परन्तु अन्दर की स्वच्छता का विचार भी नहीं
  −
 
  −
ad | Ta ah अभ्यन्तर स्वच्छता का विषय
  −
 
  −
स्वतन्त्र रूप से विचार करने लायक है ।
  −
 
  −
पानी की निकासी के विषय में इतनी सावधानी रखनी
  −
 
  −
चाहिये कि एक बूंद भी बर्बाद न हो ।
  −
 
  −
पानी को शुद्ध करने के प्राकृतिक उपाय
  −
 
  −
श्,
  −
 
  −
मोटे खादी के कपडे से पानी को छानना चाहिये ।
  −
 
  −
यह कपडा और पानी भरने का पात्र स्वच्छ ही हो
  −
 
  −
यह पहले ही सुनिश्चित करना चाहिये ।
  −
 
  −
पानी में यदि अशुद्धि धुलमिल गई हो तो उसमें
  −
 
  −
फिटकरी घुमाना चाहिये । उससे अशुद्धि नीचे बैठ
  −
 
  −
जाती है । उसके बाद पानी को छानना चाहिये ।
  −
 
  −
मिट्टी, रेत और कंकड पथ्थर से गुजरा हुआ पानी
  −
 
  −
कचरा रहित हो जाता है । ऐसी व्यवस्था बनानी
  −
 
  −
चाहिये । ऐसे पानी को छान लेना चाहिये ।
  −
 
  −
मिट्टी का और ताँबे का पात्र पानी को निर्जन्तुक
  −
 
  −
बनाता है ।
  −
 
  −
पानी यदि क्षारों के कारण भारी हुआ हो तो उसे
  −
 
  −
उबालकर SS HT चाहिये और बाद में छान लेना
  −
 
  −
चाहिये ।
  −
 
  −
पानी भरा रहता है ऐसी टँकियों में सहजन या निर्मली
  −
 
  −
के बीज तथा चूने का पथ्थर पानी की मात्रा के
  −
 
  −
अनुपात में डालना चाहिये ये पानी को कचरारहित
  −
 
  −
और जन्तुरहित बनाते हैं ।
  −
 
  −
हवा और सूर्यप्रकाश पानी के लिये प्राकृतिक
  −
 
  −
शुद्धीकारक हैं । इनका सम्पर्क नित्य रहना चाहिये ।
  −
 
  −
पानी कहीं पर भी रुका न रहे इस ओर ध्यान देना
  −
 
  −
चाहिये । इसी प्रकार एक ही पात्र में पानी तीन चार
  −
 
  −
दिन भरा रहे ऐसा भी नहीं होना चाहिये ।
  −
 
  −
कारखानों के रसायनों से जब नदियों का पानी अशुद्द
  −
 
  −
होता है तब उसे शुद्ध करने का कोई प्राकृतिक उपाय
  −
 
  −
नहीं है । उसे रसायनों से ही शुद्ध करना पडता हैं ।
  −
 
  −
रसायनों से शुद्ध किया हुआ पानी वास्तव में शुद्ध
  −
 
  −
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  −
 
  −
Ro.
  −
 
  −
8.
  −
 
  −
नहीं होता, शुद्ध दिखाई देता है।
  −
 
  −
यांत्रिक मानको से उसे शुद्ध सिद्ध किया जा सकता
  −
 
  −
है। जहाँ यांत्रिक मानक ही स्वीकार्य है वहाँ ऐसे
  −
 
  −
पानी को अशुद्ध बताना अपराध होता है, परन्तु यह
  −
 
  −
अप्राकृतिक शुद्धि शरीर में और पर्यावरण में
  −
 
  −
अप्राकृतिक बिमारियाँ लाती है । प्राकृतिक और
  −
 
  −
अप्राकृतिक तत्त्व को समझने की आवश्यकता है ।
  −
 
  −
इसी प्रकार यंत्रों से जो शुद्धि होती है वह भी
  −
 
  −
अप्राकृतिक है ।
  −
 
  −
सार्वजनिक स्थानों पर जो पानी होता है उसे भी
  −
 
  −
अशुद्ध होने से बचाना चाहिये ।
  −
 
  −
पानी को लेकर अनुचित आदतें इस प्रकार हैं ।
  −
 
  −
उन्हें दूर करने की आवश्यकता है ।
  −
 
  −
श्,
  −
 
  −
खडे खडे पानी पीना । यह आदत सार्वत्रिक दिखाई
  −
 
  −
देती है । यह स्वास्थ्य के लिये जरा भी उचित नहीं
  −
 
  −
है। पानी पीने वाले ने इस आदत का त्याग करना
  −
 
  −
चाहिये और पानी पिलाने वाले पीने वाले बैठकर पी
  −
 
  −
सकें ऐसी व्यवस्था करनी चाहिये ।
  −
 
  −
कूलर और फ्रीज का पानी पीना । यह प्राकृतिक
  −
 
  −
सीमा से अधिक ठण्डा पानी स्वास्थ्य के लिये
  −
 
  −
हानिकारक है । यह अज्ञान इतना बढ गया है कि
  −
 
  −
अब रेलवे स्थानक जैसी जगहों पर भीं कूलर का
  −
 
  −
ठण्डा पानी मिलता है । कूलर और फ्रीज पर्यावरण के
  −
 
  −
लिये तो घातक हैं ही ।
  −
 
  −
यंत्रों से शुद्ध किया हुआ पानी पीना । यह भी
  −
 
  −
स्वास्थ्य के लिये घातक है ही ।
  −
 
  −
प्लास्टीक की बोतल का पानी पीना । बोतल सीधी
  −
 
  −
मुँह को लगाकर पानी पीने की आदत असंस्कारिता
  −
 
  −
की निशानी है । प्लास्टिक भी हानिकारक, उसका
  −
 
  −
“शुद्ध' पानी भी हानिकारक और मुँह लगाकर पीने
  −
 
  −
की पद्धति भी हानिकारक ।
  −
 
  −
मिनरल वॉटर की बिमारी इतनी फैली हुई है कि लोग
  −
 
  −
मटके का पानी नहीं पिते, स्थानकों पर की हुई पानी
  −
 
  −
की व्यवस्था से प्राप्त पानी नहीं पीते, यात्रा में घर से
  −
 
  −
822
  −
 
  −
Ro.
  −
 
  −
भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
  −
 
  −
पानी साथ में नहीं ले जाते । इन सब अच्छी बातों
  −
 
  −
को छोडकर पन्द्रह से बीस रूपये का एक लीटर पानी
  −
 
  −
खरीदने वाली प्रजा असंस्कारी और दरिद्र बन जाने
  −
 
  −
की पूरी सम्भावना है । विद्यालय में सिखाने लायक
  −
 
  −
यह महत्त्वपूर्ण विषय है ।
  −
 
  −
विद्यालय के समारोहों में मंच पर जब प्लास्टीक की
  −
 
  −
“मिनरल वॉटर' की बोतलें दिखाई देती है तब वह
  −
 
  −
व्यापक विचार का और संस्कारयुक्त सोच का अभाव
  −
 
  −
ही दर्शाती है ।
  −
 
  −
साथ में पानी की बोतल रखना और जब मन करे तब
  −
 
  −
बोतल मुँह को लगाकर पानी पीना प्रचलन में आ गया
  −
 
  −
है । तर्क यह दिया जाता है कि पानी स्वास्थ्य के लिये
  −
 
  −
आवश्यक है और प्यास लगे तब पानी पीना ही
  −
 
  −
चाहिये । परन्तु कक्षा चल रही हो या कार्यक्रम,
  −
 
  −
वार्तालाप चल रहा हो या बैठक, मन चाहे तब पानी
  −
 
  −
पीना असभ्यता का ही लक्षण है । साधारण रूप से कोई
  −
 
  −
कक्षा कोई बैठक, कोई कार्यक्रम बिना विराम के दो
  −
 
  −
घण्टे से अधिक चलता नहीं है । इतना समय बिना पानी
  −
 
  −
के रहना असम्भव नहीं है। इतना संयम करना
  −
 
  −
शरीरस्वास्थ्य के लिये हानिकारक नहीं है और
  −
 
  −
मनोस्वास्थ्य के लिये लाभकारी है । बच्चों और बडों
  −
 
  −
में बढती हुई इस आदत को जल्‍दी ही ठीक करने की
  −
 
  −
आवश्यकता है ।
  −
 
  −
यही आदत बिना किसी प्रयोजन के बोतल का पानी
  −
 
  −
फेंक देने की है । केवल मजे मजे में पानी गिराना पैसे
  −
 
  −
बर्बाद करना ही है । इस आदृत को भी ठीक करना
  −
 
  −
चाहिये ।
  −
 
  −
पैसा खर्च करके खरीदे हुए पानी को एक क्षण में
  −
 
  −
फैंक देने का प्रचलन भी बहुत बढ रहा है । पानी की
  −
 
  −
बर्बादी के साथ साथ यह पैसे की भी बर्बादी है ।
  −
 
  −
बुद्धि हीनता के साथ साथ यह असंस्कारिता की भी
  −
 
  −
निशानी है ।
  −
 
  −
बडे बडे समारोहों में पीने का पानी और हाथ धोने
  −
 
  −
का पानी एक साथ रखा भी जाता है और गिराया भी
  −
 
  −
जाता है । ऐसे स्थानों पर गन्दगी हो जाती है और
  −
 
  −
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  −
 
  −
पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
  −
 
  −
पानी की बहुत बर्बादी होती है । इसे ठीक करने की
  −
 
  −
क्रियात्मक शिक्षा विद्यालय में ही देने की
  −
 
  −
आवश्यकता है ।
  −
 
  −
पानी के सम्बन्ध में भावात्मक शिक्षा
  −
 
  −
क्रियात्मक शिक्षा के साथ ही भावात्मक शिक्षा भी
  −
 
  −
देनी चाहिये । भावात्मक शिक्षा से क्रिया के साथ श्रद्धा
  −
 
  −
जुडती है और निष्ठा बनती है । कुछ इन बातों पर विचार
  −
 
  −
किया जा सकता है
  −
 
  −
श्,
  −
 
  −
पानी को पवित्र मानना सिखाना चाहिये । पवित्रता
  −
 
  −
केवल शुद्धता नहीं है। शुद्धता के साथ जब
  −
 
  −
सात्त्विकता जुडती है तब पवित्रता बनती है ।
  −
 
  −
पवित्र पदार्थ या स्थान के साथ आदरयुक्त व्यवहार
  −
 
  −
होता है। पवित्रता की रक्षा करने के लिये हम
  −
 
  −
अपवित्र शरीर और मन से उसके पास नहीं जाते हैं ।
  −
 
  −
उदाहरण के लिये घर में जहाँ पीने का पानी रखा
  −
 
  −
जाता है वहाँ कोई जूते पहनकर या बिना स्नान किये
  −
 
  −
नहीं जाता है । यह दीर्घकाल की परम्परा है। हम
  −
 
  −
विद्यालय में भी ऐसी व्यवस्था कर सकते हैं ।
  −
 
  −
जहाँ पीने का पानी रखा होता है वहाँ सायंकाल
  −
 
  −
संध्या के समय दीपक जलाया जाता है । इससे
  −
 
  −
पर्यावरण की शुद्धि होती है । पवित्रता की भावना भी
  −
 
  −
निर्माण होती है ।
  −
 
  −
पानी को जलदेवता मानने का प्रचलन शुरू करना
  −
 
  −
चाहिये । जलदेवता की स्तुति करनेवाले मंत्र ्रग्वेद में
  −
 
  −
तो हैं परन्तु हिन्दी में और हर भारतीय भाषा में रचे जा
  −
 
  −
सकते हैं । जलदेवता की स्तुति के गीत भी रचे जा
  −
 
  −
सकते हैं । पानी का प्रयोग करते समय इन मन्त्रों का
  −
 
  −
उच्चारण करने की प्रथा भी शुरु की जा सकती है ।
  −
 
  −
पानी का संग्रह जहाँ किया जाता है वहाँ भी जूते
  −
 
  −
पहनकर नहीं जाना, आसपास में गन्दगी नहीं करना,
  −
 
  −
उस स्थान की सफाई के लिये अलग से झाड़ू आदि
  −
 
  −
की व्यवस्था करना आदि माध्यमों से पवित्रता का
  −
 
  −
भाव जगाया जा सकता है ।
  −
 
  −
जलदेवता को सन्तुष्ट और प्रसन्न करने के लिये यज्ञों
  −
 
  −
श्८्३
  −
 
  −
की रचना करनी चाहिये । यज्ञ में
  −
 
  −
जलदेवता के लिये आहुति देनी चाहिये । जलदेवता
  −
 
  −
प्रसन्न हों इस दृष्टि से जिस प्रकार नये मन्त्रों की रचना
  −
 
  −
होगी उसी प्रकार यज्ञ में होम करने की सामग्री का भी
  −
 
  −
भौतिक विज्ञान की दृष्टि से विचार होगा । यज्ञ तो
  −
 
  −
वैज्ञानिक अनुष्ठान है ही, उसे आज की
  −
 
  −
आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके ऐसा स्वरूप दिया
  −
 
  −
जाना चाहिये ।
  −
 
  −
पानी का मुख्य स्रोत वर्षा है। संग्रहित पानी का
  −
 
  −
प्राकृतिक स्रोत नदियाँ हैं। संग्रहित पानी का
  −
 
  −
मानवसर्जिक स्रोत तालाब, कुएँ, बावडी आदि हैं ।
  −
 
  −
संग्रहित पानी के इससे भी कृत्रिम स्रोत पानी की
  −
 
  −
टँकियों से लेकर घर के छोटे मटकों तक के पात्र हैं ।
  −
 
  −
वर्षा की और नदियों की स्तुति के अनुष्टान किये
  −
 
  −
जाने चाहिये तथा मानव सर्जित पानी के संग्रहस्थानों
  −
 
  −
के सम्बन्ध में विवेकपूर्ण विचार होना चाहिये । यहीं
  −
 
  −
से पानी के विषय में ज्ञानात्मक शिक्षा शुरू होती है ।
  −
 
  −
पानी के विषय में ज्ञानात्मक शिक्षा
  −
 
  −
क्रिया और भावना के साथ ज्ञान नहीं जुड़ा तो क्रिया
  −
 
  −
कर्मकाण्ड बन जाती है और भावना निस्द्धेश्य । दोनों ही
  −
 
  −
अपनी सार्थकता खो बैठते हैं । इसलिये ज्ञानात्मक पक्ष का
  −
 
  −
भी विचार अनिवार्य रूप से करना चाहिये, ज्ञानात्मक शिक्षा
  −
 
  −
के पहलु इस प्रकार सोचे जा सकते हैं
  −
 
  −
श्,
  −
 
  −
रे.
  −
 
  −
क्रियात्मक और भावनात्मक शिक्षा के बाद ही
  −
 
  −
अथवा कम से कम साथ ही ज्ञानात्मक शिक्षा होनी
  −
 
  −
चाहिये । आज के सन्दर्भ में तो इस बात की ओर
  −
 
  −
विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि आज
  −
 
  −
की शिक्षा क्रियाशून्य और भावनाशूत्य हो गई है,
  −
 
  −
केवल जानकारी प्राप्त कर, उसे याद कर, परीक्षा में
  −
 
  −
लिखकर अंक प्राप्त करने तक सीमित हो गई है ।
  −
 
  −
इससे अधिक Peete a अनर्थक क्या हो सकता
  −
 
  −
है ? अतः क्रियात्मक और भावनात्मक शिक्षा का
  −
 
  −
क्रम प्रथम होना अनिवार्य है ।
  −
 
  −
पानी कहाँ से आता है, पानी के क्या क्या उपयोग
  −
 
  −
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  −
 
  −
हैं, पानी शुद्ध और अशुद्द कैसे होता है,
  −
 
  −
पानी को शुद्ध किस प्रकार किया जाना चाहिये आदि
  −
 
  −
बातों का ज्ञान प्रारम्भिक स्तर पर देना चाहिये ।
  −
 
  −
पानी कम पड जाने से, पानी अशुद्द हो जाने से कौन
  −
 
  −
कौन से संकट निर्माण होते हैं इसका ज्ञान दिया जाना
  −
 
  −
चाहिये । इन संकटों का उपाय क्या हो सकता है
  −
 
  −
इसका भी ज्ञान दिया जाना चाहिये ।
  −
 
  −
पानी के वर्तमान संकट का स्वरूप क्या है इसकी
  −
 
  −
विस्तारपूर्वक चर्चा की जानी चाहिये ।
  −
 
  −
कुएँ, तालाब, बावडी वर्षाजल संग्रह की घर घर में की
  −
 
  −
जानेवाली व्यवस्था नष्ट हो जाने के कितने गम्भीर
  −
 
  −
परिणाम हुए हैं इसका भी विचार होना चाहिये ।
  −
 
  −
खेतों को पानी क्यों नहीं मिलता, पीने के लिये पानी
  −
 
  −
क्यों नहीं मिलता, अनावृष्टि क्यों होती हैं, नदियाँ
  −
 
  −
क्यों सूख जाती हैं इत्यादि बातों की गम्भीर चर्चा
  −
 
  −
होना आवश्यक है ।
  −
 
  −
पानी की निकासी के लिये जो व्यवस्था बनाई जाती
  −
 
  −
है वह कितनी उचित या अनुचित है इसका विमर्श
  −
 
  −
होना चाहिये ।
  −
 
  −
गंगा जैसी पवित्र नदी सहित देश की अन्य नदियों का
  −
 
  −
पानी बडे बडे कारखानों के विषैले रासायनिक कचरे के
  −
 
  −
कारण प्रदूषित होता है । इस कचरे से नदियों को
  −
 
  −
Ro.
  −
 
  −
8.
  −
 
  −
भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
  −
 
  −
कानून बनाये जाने के बाद भी नदियों को नहीं बचाया
  −
 
  −
जा सकता है इसका कारण क्या है ? इस स्थिति को
  −
 
  −
ठीक करने के लिये विद्यालय या विद्याक्षेत्र क्या कर
  −
 
  −
सकता है इसका विचार होना चाहिये |
  −
 
  −
बडे बडे बाँध बाँधने से क्या वास्तव में देश का
  −
 
  −
जलसंकट दूर हो सकता है इसका विचार भी करना
  −
 
  −
चाहिये । यदि संकट दूर नहीं हो सकता है तो फिर
  −
 
  −
हम क्यों बाँधते हैं ?
  −
 
  −
कुएँ, तालाब, बावडियाँ आदि पुनः निर्माण करने के
  −
 
  −
क्या तरीके हो सकते हैं इसकी भी चर्चा होनी जरूरी
  −
 
  −
a |
  −
 
  −
पानी का अमर्याद उपयोग करना, पानी का प्रदूषण
  −
 
  −
करना, पानी बचाने की कोई व्यवस्था न करना,
  −
 
  −
पानी के स्रोतों को अवरुद्ध करना आदि विनाशक
  −
 
  −
गतिविधियों के पीछे कौनसी विचारधारा, कौनसी
  −
 
  −
मनोवृत्ति और कौनसी प्रवृत्ति होती है इसका मूलगामी
  −
 
  −
चिन्तन करना सिखाना चाहिये । पानी को लेकर
  −
 
  −
हमारे छोटे से कार्य के परिणाम दूरगामी होते हैं यह
  −
 
  −
समझने की आवश्यकता है ।
  −
 
  −
ये सारी बातें शिक्षा का सार्थक अंग बनेंगी तभी विश्व
  −
 
  −
के संकट कम होने की सम्भावना बनेगी । ऐसा सारा विचार
  −
 
  −
करने के बाद विद्यालय की व्यवस्थाओं और गतिविधियों
  −
 
  −
बचाने के क्या उपाय हैं ? सरकार की ओर से अनेक. का नियोजन होना चाहिये ।
 
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