Line 180: |
Line 180: |
| | | |
| को अभिभावकों को तथा स्वयं शिक्षा को परीक्षा के चंगुल से किंचित् मात्रा में मुक्त करने के माध्यम ये बन सकते हैं। | | को अभिभावकों को तथा स्वयं शिक्षा को परीक्षा के चंगुल से किंचित् मात्रा में मुक्त करने के माध्यम ये बन सकते हैं। |
| + | |
| + | ==== १. इन्स्टण्ट फूड ==== |
| + | इन्स्टण्ट फूड का अर्थ है झटपट तैयार होने वाला पदार्थ। झटपट अर्थात् दो मिनिट से लेकर पन्द्रह-बीस मिनिट में तैयार हो जाने वाला। |
| + | |
| + | आजकल दौडधूपकी जिंदगी में ऐसे तुरन्त बनने वाले पदार्थों की आवश्यकता अधिक रहती है । गृहिणी को स्वयं भी शीघ्रातिशीघ्र काम निपटकर नौकरी पर निकलना होता है अथवा बच्चों और पति को भेजना होता है। |
| + | |
| + | छाप ऐसी पडती है कि इन्स्टण्ट फूड का आविष्कार आज के जमाने में ही हुआ है। परन्तु ऐसा है नही। झटपट भोजन की आवश्यकता तो कहीं भी और कभी भी रह सकती है। इसलिये भारतीय गृहिणी भी इस कला में माहिर होगी ही। ऐसे कई पदार्थों की सूची यहाँ दी गई है। यह सूची सबको परिचित है, घर घर में प्रचलित भी है। परन्तु ध्यान इस बातकी ओर आकर्षित करना है कि ये सब पदार्थ झटपट तैयार होने वाले होने के साथ साथ पोषक एवं स्वादिष्ट भी होते हैं, बनाने में सरल हैं और आर्थिक दृष्टि से देखा जाय तो सर्वसामान्य गृहिणी बना सकेगी ऐसे भी हैं। |
| + | |
| + | ===== १. हलवा ===== |
| + | आटे को घी में सेंककर उसमें पानी तथा गुड या शक्कर मिलाकर पकाया जाता है वह हलवा है। |
| + | |
| + | आबालवृध्ध सब खा सकते हैं। मेहमान को भी परोस सकते हैं, किसी भी समय पर किसी भी ऋतु में किसी भी अवसर पर नाश्ते अथवा भोजन में भी खाया जाता है। किसी भी पदार्थ के साथ खाया जाता है, जो सादा भी होता है, पानी के स्थान पर दूध मिलाकर भी हो सकता है, उसमें बदाम-केसर-पिस्ता चारोली इलायची जैसा सूखा मेवा भी डाल सकते हैं। और सत्यनारायण का प्रसाद भी बन सके ऐसा यह अदभुत पदार्थ बनाने में सरल, झटपट, स्वाद में रुचिकर और पाचन में भी लघु और पौष्टिक है। |
| + | |
| + | ===== २. सुखडी ===== |
| + | आटे को घी में सेंककर उसमें गुड मिलाकर थाली में डालकर सुखडी तैयार हो जाती है। कोई गुड की चाशनी बनाता है, कोई आटा सेंकता है और कोई नहीं भी सेंकता है। यह सुखडी डिब्बे में भरकर कई दिनों तक रखी भी जाती है। यात्रा में साथ ले जा सकते हैं। ताजा, गरमागरम भी खा सकते हैं और आठ दस दिन बाद भी खा सकते हैं। अकाल अथवा तत्सम प्राकृतिक विपदा के समय विपुल मात्रा में बनाकर दूर दूर के प्रदेशों में पहुँचा भी सकते हैं। |
| + | |
| + | बनाने में सरल, स्वादमें उत्तम, पचने में सामान्य, अत्यंत पोषक, किसी भी पदार्थ के साथ खा सकते हैं। भोजन में कम परन्तु अल्पहार में अधिक चलने वाली यह सुखड़ी देश के प्रत्येक राज्य तथा प्रदेशों में भिन्न नाम एवं रूप से प्रचलित और आवकार्य है। |
| + | |
| + | ===== ३. कुलेर ===== |
| + | बाजरे अथवा चावल का आटा सेंककर अथवा बिना सेंके घी और गुड़ के साथ मिलाकर बनाया हुआ लड्डू कुलेर कहा जाता है। सुख़डी की अपेक्षा कम प्रचलित परन्तु कभी भी बनाई और खाई जा सकती है। |
| + | |
| + | ===== ४. बेसन के लड्ड ===== |
| + | चने की दाल का आटा अर्थात् बेसन के मोटे आटे को घी में सेंककर उसमें पीसी हुई शक्कर मिलाकर बनाया गया लड्डू अर्थात् बेसन का लड्डू। अत्यंत स्वादिष्ट, पौष्टिक, मात्रा में साथ ले जा सकते हैं, कभी भी खा सकते हैं। वैष्णव एवं स्वामीनारायण पंथ का यह प्रिय प्रसाद है। |
| + | |
| + | कहा जाता है। सुख़डी की अपेक्षा कम प्रचलित परन्तु कभी भी बनाई और खाई जा सकती है। ४. बेसन के लड्ड |
| + | |
| + | चने की दाल का आटा अर्थात् बेसन के मोटे आटे को घी में सेंककर उसमें पीसी हुई शक्कर मिलाकर बनाया गया लड्डू अर्थात् बेसन का लड्डू। अत्यंत स्वादिष्ट, पौष्टिक, मात्रा में साथ ले जा सकते हैं, कभी भी खा सकते हैं। वैष्णव एवं स्वामीनारायण पंथ का यह प्रिय प्रसाद है। |
| | | |
| मोटे तौर पर जिसमें चिकनाई अधिक है उसे स्निग्ध | | मोटे तौर पर जिसमें चिकनाई अधिक है उसे स्निग्ध |