भारतीय और अभारतीय बैठक व्यवस्था में क्या अन्तर है इसकी स्पष्टता तो है। परन्तु आजकल विद्यालय, महाविद्यालय, सार्वजनिक सभागृह, कार्यालय एवं घरों में टेबलकुर्सी का उपयोग हमें इतना अनिवार्य लगता है कि अब हमें भारतीय बैठक व्यवस्था सर्वथा निरुपयोगी लगने लगी है। कुर्सी पर बैठकर भाषण सुनना प्रतिष्ठा का लक्षण माना जाता है । जबकि सुनने का सम्बन्ध कुर्सी से नहीं है, एकाग्रता व ग्रहणशीलता से है। परन्तु हमने तो इसे प्रतिष्ठा व अप्रतिष्ठा का रंग चढ़ा दिया है । | भारतीय और अभारतीय बैठक व्यवस्था में क्या अन्तर है इसकी स्पष्टता तो है। परन्तु आजकल विद्यालय, महाविद्यालय, सार्वजनिक सभागृह, कार्यालय एवं घरों में टेबलकुर्सी का उपयोग हमें इतना अनिवार्य लगता है कि अब हमें भारतीय बैठक व्यवस्था सर्वथा निरुपयोगी लगने लगी है। कुर्सी पर बैठकर भाषण सुनना प्रतिष्ठा का लक्षण माना जाता है । जबकि सुनने का सम्बन्ध कुर्सी से नहीं है, एकाग्रता व ग्रहणशीलता से है। परन्तु हमने तो इसे प्रतिष्ठा व अप्रतिष्ठा का रंग चढ़ा दिया है । |