Line 37: |
Line 37: |
| दसवें प्रश्न के उत्तर में जोधपुर के श्री जगदीश पुरोहितने अपना मन्तव्य व्यक्त किया है कि भारत जैसे विस्तृत भूभाग वाले देश में जलवायु परिवर्तन के अनुसार क्षेत्रश: विद्यालय समयावधि में भी परिवर्तन अवश्य करना चाहिये । | | दसवें प्रश्न के उत्तर में जोधपुर के श्री जगदीश पुरोहितने अपना मन्तव्य व्यक्त किया है कि भारत जैसे विस्तृत भूभाग वाले देश में जलवायु परिवर्तन के अनुसार क्षेत्रश: विद्यालय समयावधि में भी परिवर्तन अवश्य करना चाहिये । |
| | | |
− | अभिमत - प्रश्नावलली भरकर देने वाले सभी | + | अभिमत - प्रश्नावलली भरकर देने वाले सभी महानुभाव विद्यालय के दैनन्दिन शैक्षिक कार्य से जुड़े हुए थे । अतः प्रश्नावली के सभी प्रश्नों से पूर्ण रूपेण परिचित व अनुभवी थे । अतः सुविधा एवं समायोजन के विचारों से ग्रस्त होने के कारण विद्यालय समय के सम्बन्ध में भारतीय विचार क्या हैं उनका विस्मरण कर गये । ऐसा उनके उत्तरों से लगा । |
| | | |
− | ............. page-134 .............
| + | ब्रह्ममुहूरत अध्ययन के लिये उत्तम समय है यह भारतीय चिन्तन है। परन्तु इस समय विद्यालय लगाना सम्भव नहीं, अतः प्रात: ७-३० बजे का समय ज्ञानार्जन के लिए उपयुक्त होते हुए भी विद्यार्थियों को बहुत जल्दी उठना न पड़े, इसलिये प्रातः ९ बजे का समय उचित समझा गया है । दो पारी विद्यालय में दूसरी पारी मध्याह्म १२-३० बजे से चलना, ज्ञानार्जन की दृष्टि से सर्वथा अनुपयोगी समय है। ज्ञानार्जन में भोजनोपरान्त का समय सबसे अधिक बाधक माना जाता है । इस समय विद्यालय चलाने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता । इतना अवश्य समझ में आता है कि यह समय सबके लिए सुविधाजनक अवश्य है, परन्तु केवल सुविधा के लिए बाधक समय रखने में कितनी सुज्ञता है, आप ही विचार करें । |
| | | |
− | महानुभाव विद्यालय के दैनन्दिन शैक्षिक
| + | विद्यालय में प्रत्येक रविवार को और कहीं कहीं तो शनि रवि दोनों दिन छुट्टी रहती है । इस छुट्टी का प्रयोजन क्या है ? केवल विश्रान्ति । हमारे शास्त्रों ने तो उत्तम अध्ययन के दिन, सामान्य अध्ययन के दिन एवं अनध्ययन के दिनों का गहनता से विचार किया है । प्रतिमास शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, चतुर्दशी तथा अमावस्या एवं पूर्णिमा ये अनध्ययन के दिन माने गये हैं । प्रत्येक मास की दोनों अष्टमी तथा अमावस्या एवं पूर्णिमा को छुट्टी रखने से दोनों हेतु साध्य होते हैं । अध्ययन के अनुकूल दिनों में ज्ञानार्जन करना तथा अनध्ययन के दिनों में विश्राम लेना, इस सूत्र को स्वीकारना अधिक उचित प्रतीत होता है । |
| | | |
− | कार्य से जुड़े हुए थे । अतः प्रश्नावली के सभी प्रश्नों से पूर्ण
| + | विद्यालय में ज्ञानार्जन का कार्य मुख्य तथा अन्य सब बातें गौण, इसे ध्यान में रखते हुए विद्यालय का समय निर्धारित करना ही भारतीय शिक्षा विचार है । |
− | | |
− | way परिचित व अनुभवी थे । अतः सुविधा एवं
| |
− | | |
− | समायोजन के विचारों से ग्रस्त होने के कारण विद्यालय
| |
− | | |
− | समय के सम्बन्ध में भारतीय विचार क्या हैं उनका विस्मरण
| |
− | | |
− | कर गये । ऐसा उनके उत्तरों से लगा ।
| |
− | | |
− | ब्रह्ममुहूरत अध्ययन के लिये उत्तम समय है यह
| |
− | | |
− | भारतीय चिन्तन है। परन्तु इस समय विद्यालय लगाना
| |
− | | |
− | सम्भव नहीं, अतः प्रात: ७-३० बजे का समय ज्ञानार्जन के
| |
− | | |
− | लिए उपयुक्त होते हुए भी विद्यार्थियों को बहुत जल्दी उठना
| |
− | | |
− | न पड़े, इसलिये प्रातः ९ बजे का समय उचित समझा गया
| |
− | | |
− | है । दो पारी विद्यालय में दूसरी पारी मध्याह्म १२-३० बजे
| |
− | | |
− | से चलना, ज्ञानार्जन की दृष्टि से सर्वथा अनुपयोगी समय
| |
− | | |
− | है। ज्ञानार्जन में भोजनोपरान्त का समय सबसे अधिक
| |
− | | |
− | बाधक माना जाता है । इस समय विद्यालय चलाने का कोई
| |
− | | |
− | औचित्य समझ में नहीं आता । इतना अवश्य समझ में
| |
− | | |
− | आता है कि यह समय सबके लिए सुविधाजनक अवश्य है,
| |
− | | |
− | परन्तु केवल सुविधा के लिए बाधक समय रखने में कितनी
| |
− | | |
− | सुज्ञता है, आप ही विचार करें ।
| |
− | | |
− | विद्यालय में प्रत्येक रविवार को और कहीं कहीं तो
| |
− | | |
− | शनि रवि दोनों दिन छुट्टी रहती है । इस छुट्टी का प्रयोजन
| |
− | | |
− | क्या है ? केवल विश्रान्ति । हमारे शास्त्रों ने तो उत्तम
| |
− | | |
− | अध्ययन के दिन, सामान्य अध्ययन के दिन एवं अनध्ययन
| |
− | | |
− | के दिनों का गहनता से विचार किया है । प्रतिमास शुक्ल
| |
− | | |
− | एवं कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, चतुर्दशी तथा
| |
− | | |
− | अमावस्या एवं पूर्णिमा ये अनध्ययन के दिन माने गये हैं ।
| |
− | | |
− | प्रत्येक मास की दोनों अष्टमी तथा अमावस्या एवं पूर्णिमा
| |
− | | |
− | को छुट्टी रखने से दोनों हेतु साध्य होते हैं । अध्ययन के
| |
− | | |
− | अनुकूल दिनों में ज्ञानार्जन करना तथा अनध्ययन के दिनों में
| |
− | | |
− | विश्राम लेना, इस सूत्र को स्वीकारना अधिक उचित प्रतीत
| |
− | | |
− | होता है ।
| |
− | | |
− | विद्यालय में ज्ञानार्जन का कार्य मुख्य तथा अन्य सब | |
− | | |
− | बातें गौण, इसे ध्यान में रखते हुए विद्यालय का समय | |
− | | |
− | निर्धारित करना ही भारतीय शिक्षा विचार है । | |
| | | |
| ११८ | | ११८ |