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==== विद्यालीन शिष्टाचार ====
==== विद्यालीन शिष्टाचार ====
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===== व्यव्हार कैसे होना चाहिए =====
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अच्छे लोग एक दूसरे से बहुत शालीन ढंग से पेश आते हैं। उनकी भाषा, उनकी देहबोली (बोडी लेंग्वेज), उनका सर्व प्रकार का व्यवहार संयत, शिष्ट और संस्कारी होता है।
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विद्यालय भी सज्जनों जैसे व्यवहार की अपेक्षा करता है। शिक्षकों का शिक्षकों, मुख्याध्यापक, संचालकों, अभिभावकों के साथ, विद्यार्थियों का विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ, अभिभावकों का शिक्षकों के साथ, संचालकों के साथ कैसा व्यवहार होना चाहिये ?
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कुछ बातें ध्यान देने योग्य हैं...
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1. संचालक, मुख्यध्यापक, शिक्षक, विद्यार्थी और अभिभावक मिलकर विद्यालय परिवार बनता है । इस परिवार का मखिया मख्याध्यापक है यह बात सर्वस्वीकृत बनने की आवश्यकता है। वर्तमान में संचालक अपने आपको बडे मानते हैं, संचालक मंडल का अध्यक्ष सबसे बड़ा माना जाता है और शिक्षकवृन्द, स्वयं मुख्याध्यापक भी इस व्यवस्था का स्वीकार कर लेते हैं।
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परन्तु यह मामला ठीक तो कर ही लेना चाहिये । भारतीय शिक्षा संकल्पना तो यह स्पष्ट कहती है कि शिक्षा शिक्षकाधीन होती है। यह केवल सिद्धान्त नहीं है, केवल प्राचीन व्यवस्था नहीं है, उन्नीसवीं शताब्दी तक इसी व्यवस्था में हमारे विद्यालय चलते आये हैं ।
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2. अतः यह अभी अभी तक चलती रही हमारी दीर्घ परम्परा भी है। ब्रिटिशों ने इसे उल्टापुल्टा कर दिया । उसे अभी दो सौ वर्ष ही हुए हैं । हम बीच के दो सौ वर्ष लाँघकर अपनी परम्परा से चलें यह आवश्यक है । थोडा विचारशील बनने से यह हमारे लिये स्वाभाविक बन सकता है । अतः समस्त विद्यालय परिवार मुख्याध्यापक का आदर करे और आदरपूर्वक अभिवादन करे यह आवश्यक है। आदर दर्शाने का सम्बोधन क्या हो और अभिवादन के शब्द क्या हों यह विद्यालय अपनी पद्धति से निश्चित कर सकते हैं। अभिवादन की पद्धति क्या हो यह भी विद्यालय स्वतः निश्चित
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०... विद्यालय में प्रवेश की आयु ५ वर्ष पूर्ण है । अब वह... * यान्त्रिकता और भौतिकता हा साथ चलते हैं ।
०... विद्यालय में प्रवेश की आयु ५ वर्ष पूर्ण है । अब वह... * यान्त्रिकता और भौतिकता हा साथ चलते हैं ।