इस स्थिति में ऐसा लगता है कि पानी को किसी भी अन्य बाह्य पदार्थों के संपर्क से मुक्त स्थिति में रखने पर तथा हवा के लिए बृहत् ऊपरी सतह देने पर तथा अंदर बाह्म हवा के संपर्क न करने देने पर पानी जम सकता है, भले ही वायुमंडल का तापमान फेरनहाइट के थर्मामीटर में हिमांक से कुछ ऊपर क्यों न दर्ज किया जा रहा हो। इस जमी हुई बर्फ की बड़ी मात्रा एक जगह एकत्रित करके तथा उसे समुचित रूप से विधिवत संरक्षित रखकर भीषण गर्मी में अन्य द्रवों के प्रशीतन के लिए उपयुक्त पद्धति से उपयोग किया जाता है। इसकी सहायता से आगे की कार्यवाही में कई शीतल पेय बनाए जाते हैं; जैसे शरबत, क्रीम या फिर द्रव जिनका शीतल पेय के रूप में प्रयोग करना हो। उन्हें जमाने के लिए शंक्वाकार चाँदी के प्यालों में पदार्थ भरकर उनके ढक््कनों को अच्छी तरह से बंद कर दिया जाए तथा उन्हें बड़े पात्र में बर्फ में सॉल्टपीटर तथा सामान्य नमक को समान मात्रा में भरकर उसे घोलने के लिए उसमें थोड़ा पानी मिलाकर रखा जाए। इस संयोजन से उसमें रखे हुए प्यालों के अंदर भरे हुए पदार्थ हमारे यहाँ यूरोप में जमाई गई आइसक्रीम की भाँति जम जाते हैं। लेकिन सादा पानी इस पद्धति से जमाए जाने पर जमकर इतना सख्त हो जाता है कि उसे तोड़ने के लिए मुदूगर या चाकू की आवश्यकता होती है। बर्फ के इन खंडों पर थर्मामीटर रखने पर थर्मामीटर हिमांक से दो या तीन अंश नीचे गिरा तापमान दर्शाता है। अतः प्राकृतिक रूप से बर्फ बनने के लिये आवश्यक इतना कम तापमान नहीं होने पर बर्फ बनाई जा सकती है, एकत्रित की जा सकती है, ठंड निर्माण की जा सकती है और पारा गलनबिन्दु से नीचे जा सकता है। एशिया के लोग (जिनका मुख्य प्रयोजन वैभव की प्राप्ति है। मुझे भी बर्फ का आनन्द प्राप्त हुआ था जब धथर्मामीटर ११२० तापमान दर्शा रहा था) इससे लाभान्वित हो सकते हैं क्योंकि यहाँ सर्दी बहुत ही कम महीनों में पड़ती है तथा गर्मी का समय काफी लम्बा होता है। इस तरह से प्राप्त बर्फ को वे संरक्षित रखकर गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ने पर उसका उपयोग करके गर्मी से राहत प्राप्त कर सकते हैं तथा इससे भारत के कुछ भागों में जहां गर्मी बहुत पड़ती है, वहाँ इससे अत्यंत लाभ प्राप्त हो सकता है; साथ ही, इसकी सहायता से अनेक अन्य आविष्कार भी किए जा सकते हैं । | इस स्थिति में ऐसा लगता है कि पानी को किसी भी अन्य बाह्य पदार्थों के संपर्क से मुक्त स्थिति में रखने पर तथा हवा के लिए बृहत् ऊपरी सतह देने पर तथा अंदर बाह्म हवा के संपर्क न करने देने पर पानी जम सकता है, भले ही वायुमंडल का तापमान फेरनहाइट के थर्मामीटर में हिमांक से कुछ ऊपर क्यों न दर्ज किया जा रहा हो। इस जमी हुई बर्फ की बड़ी मात्रा एक जगह एकत्रित करके तथा उसे समुचित रूप से विधिवत संरक्षित रखकर भीषण गर्मी में अन्य द्रवों के प्रशीतन के लिए उपयुक्त पद्धति से उपयोग किया जाता है। इसकी सहायता से आगे की कार्यवाही में कई शीतल पेय बनाए जाते हैं; जैसे शरबत, क्रीम या फिर द्रव जिनका शीतल पेय के रूप में प्रयोग करना हो। उन्हें जमाने के लिए शंक्वाकार चाँदी के प्यालों में पदार्थ भरकर उनके ढक््कनों को अच्छी तरह से बंद कर दिया जाए तथा उन्हें बड़े पात्र में बर्फ में सॉल्टपीटर तथा सामान्य नमक को समान मात्रा में भरकर उसे घोलने के लिए उसमें थोड़ा पानी मिलाकर रखा जाए। इस संयोजन से उसमें रखे हुए प्यालों के अंदर भरे हुए पदार्थ हमारे यहाँ यूरोप में जमाई गई आइसक्रीम की भाँति जम जाते हैं। लेकिन सादा पानी इस पद्धति से जमाए जाने पर जमकर इतना सख्त हो जाता है कि उसे तोड़ने के लिए मुदूगर या चाकू की आवश्यकता होती है। बर्फ के इन खंडों पर थर्मामीटर रखने पर थर्मामीटर हिमांक से दो या तीन अंश नीचे गिरा तापमान दर्शाता है। अतः प्राकृतिक रूप से बर्फ बनने के लिये आवश्यक इतना कम तापमान नहीं होने पर बर्फ बनाई जा सकती है, एकत्रित की जा सकती है, ठंड निर्माण की जा सकती है और पारा गलनबिन्दु से नीचे जा सकता है। एशिया के लोग (जिनका मुख्य प्रयोजन वैभव की प्राप्ति है। मुझे भी बर्फ का आनन्द प्राप्त हुआ था जब धथर्मामीटर ११२० तापमान दर्शा रहा था) इससे लाभान्वित हो सकते हैं क्योंकि यहाँ सर्दी बहुत ही कम महीनों में पड़ती है तथा गर्मी का समय काफी लम्बा होता है। इस तरह से प्राप्त बर्फ को वे संरक्षित रखकर गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ने पर उसका उपयोग करके गर्मी से राहत प्राप्त कर सकते हैं तथा इससे भारत के कुछ भागों में जहां गर्मी बहुत पड़ती है, वहाँ इससे अत्यंत लाभ प्राप्त हो सकता है; साथ ही, इसकी सहायता से अनेक अन्य आविष्कार भी किए जा सकते हैं । |