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  तत्र ते न्यवसन्वीरा वने बहुमृगद्विजे।
 
  तत्र ते न्यवसन्वीरा वने बहुमृगद्विजे।
 
  अन्वास्यमाना मुनिभिः सान्त्व्यमानाश्च भारत॥ 3-5-4
 
  अन्वास्यमाना मुनिभिः सान्त्व्यमानाश्च भारत॥ 3-5-4
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  विदुरस्त्वथ पाण्डूनां सदा दर्शनलालसः।
 
  विदुरस्त्वथ पाण्डूनां सदा दर्शनलालसः।

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