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| आज स्थिति यह है कि भारत आर्थिक वैश्विकता में उलझ गया है। पश्चिम की यह आर्थिक वैश्विकता विश्व को अपना बाजार बनाना चाहती है। परन्तु जो भी अर्थनिष्ठ बनाता है वह अनात्मीय व्यवहार करता है। भारत के सुज्ञ सुभाषितकार ने कहा है {{Citation needed}} | | आज स्थिति यह है कि भारत आर्थिक वैश्विकता में उलझ गया है। पश्चिम की यह आर्थिक वैश्विकता विश्व को अपना बाजार बनाना चाहती है। परन्तु जो भी अर्थनिष्ठ बनाता है वह अनात्मीय व्यवहार करता है। भारत के सुज्ञ सुभाषितकार ने कहा है {{Citation needed}} |
− | :<blockquote>अर्थातुराणां न गुरुर्न बन्धु:</blockquote><blockquote>अर्थात जो अर्थ के पीछे पड़ता है उसे न कोई गुरु होता है न स्वजन।</blockquote>ऐसे अनात्मीय सम्बन्ध से स्पर्धा, हिंसा, संघर्ष, | + | :<blockquote>अर्थातुराणां न गुरुर्न बन्धु:</blockquote><blockquote>अर्थात जो अर्थ के पीछे पड़ता है उसे न कोई गुरु होता है न स्वजन।</blockquote> |
− | विनाश ही फैलते हैं। पश्चिमी देशों की अर्थनिष्ठा उन्हें भी | + | :ऐसे अनात्मीय सम्बन्ध से स्पर्धा, हिंसा, संघर्ष, विनाश ही फैलते हैं। पश्चिमी देशों की अर्थनिष्ठा उन्हें भी विनाश की ओर ही ले जा रही है। हम यदि उसका ही अनुसरण करेंगे तो हमारी दिशा भी विनाश की होगी। पश्चिमी वैश्विकता ने भारत की शिक्षा को भी ग्रसित कर रखा है। पश्चिम ने शिक्षा का एक उद्योग बनाकर उसका बाजार निर्माण कर दिया है। यूनिवर्सिटी भी एक उद्योग है। हम शिक्षा के बाजार में शामिल हो गये हैं। वैश्विकता के भुलावे में आ गये हैं। शिक्षा ही हमें अस्वाभाविक संकल्पना के चंगुल से उबार सकती है। इसका विचार कर वैश्विकता और शिक्षा दोनों के सम्बन्ध में पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। विश्व को भी बचना है तो भारत की सांस्कृतिक वैश्विकता की ही आवश्यकता रहेगी | |
− | विनाश की ओर ही ले जा रही है। हम यदि उसका ही | |
− | अनुसरण करेंगे तो हमारी दिशा भी विनाश की होगी। | |
− | पश्चिमी वैश्विकताने भारत की शिक्षा को भी ग्रसित कर | |
− | रखा है। पश्चिम ने शिक्षा का एक उद्योग बनाकर उसका | |
− | बाजार निर्माण कर दिया है। यूनिवर्सिटी भी एक उद्योग है। | |
− | हम शिक्षा के बाजार में शामिल हो गये हैं। वैश्विकता के | |
− | भुलावे में आ गये हैं। शिक्षा ही हमें अस्वाभाविक संकल्पना | |
− | के चंगुल से उबार सकती है। इसका विचार कर वैश्विकता | |
− | और शिक्षा दोनों के सम्बन्ध में पुनर्विचार करने की | |
− | आवश्यकता है। विश्व को भी बचना है तो भारत की | |
− | सांस्कृतिक वैश्विकता की ही आवश्यकता रहेगी | | |
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| == राष्ट्र == | | == राष्ट्र == |
| राष्ट्र सांस्कृतिक है। हम पश्चिम की | | राष्ट्र सांस्कृतिक है। हम पश्चिम की |