Changes

Jump to navigation Jump to search
Line 167: Line 167:     
== वैश्विकता ==
 
== वैश्विकता ==
वैश्विकता वर्तमान समय की लोकप्रिय संकल्पना है ।.. अभारतीयता की छाप दिखाई देती है । इसलिए इस विषय
+
- Correct OCR reqd Page 37- 
सबको सबकुछ वैश्विक स्तर का चाहिये । वैश्विक मापद्ण्ड .... में जरा स्पष्टता करने की आवश्यकता है ।
     −
श्रेष्ठ मापादण्ड माने जाते हैं । लोग कहते हैं कि संचार इस वैश्विकता का मूल कहाँ है यह जानना बहुत
+
समझ लेना चाहिये । भारत ने भी
माध्यमों के प्रताप से हम विश्व के किसी भी कोने में क्या... उपयोगी रहेगा ।
  −
हो रहा है यह देख सकते हैं, सुन सकते हैं और उसकी पांचसौ वर्ष पूर्व यूरोप के देशों ने विश्वयात्रा शुरू
  −
 
  −
जानकारी प्राप्त कर सकते हैं । यातायात के दूतगति साधनों... की । विश्व के पूर्वी देशों की समृद्धि का उन्हें आकर्षण था ।
  −
के कारण से विश्व में कहीं भी जाना हो तो चौबीस घण्टे के. उन्नीसवीं शताब्दी में यूरोप में तथाकथित औद्योगिक क्रान्ति
  −
अन्दर अन्दर पहुंच सकते हैं। कोई भी वस्तु कहीं भी हुई । यन्त्रों का आविष्कार हुआ, बड़े बड़े कारखानों में
  −
भेजना चाहते हैं या कहीं से भी मँगवाना चाहते हैं तो वह... विपुल मात्रा में उत्पादन होने लगा । इन उत्पादनों के लिये
  −
सम्भव है । विश्व अपने टीवी के पर्दे में और टीवी अपने. उन देशों को बाजार चाहिये था । उससे भी पूर्व यूरोप के
  −
बैठक कक्ष में या शयनकक्ष में समा गया है । यह केवल. देशों ने अमेरिका में अपने उपनिवेश स्थापित किये ।
  −
जानकारी का ही प्रश्न नहीं है। देश एकदूसरे के इतने. अठारहवीं शताब्दी में अमेरीका स्वतन्त्र देश हो गया ।
  −
नजदीक आ गये हैं कि वे एकदूसरे से प्रभावित हुए बिना... इसके बाद आफ्रिका और एशिया के देशों में बाजार
  −
नहीं रह सकते । विश्व अब एक ग्राम बन गया है । इसलिए. स्थापित करने का कार्य और तेज गति से शुरू हुआ ।
  −
अब एक ही विश्वसंस्कृति की बात करनी चाहिये । अब... सत्रहवीं शताब्दी में भारत में ब्रिटिश राज स्थापित होने
  −
राष्ट्रीं की नहीं विश्वनागरिकता की बात करनी चाहिये । लगा । ब्रिटीशों का मुख्य उद्देश्य भारत की समृद्धि को
  −
अब राष्ट्र की बात करना संकुचितता मानी जाती है ।.. लूटना ही था । इस कारण से भारत में लूट और अत्याचार
  −
शिक्षा में पूर्व प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक वैश्विक... का दौर चला ।
  −
स्तर के संस्थान खुल गये हैं । बहूराष्ट्रीय कंपनियाँ व्यापार पश्चिम का चिन्तन अर्थनिष्ठ था। आज भी है।
  −
कर रही हैं । भौतिक पदार्थों से लेकर स्वास्थ्य और शिक्षा. इसलिए पश्चिम को अब विश्वभर में आर्थिक साम्राज्य
  −
तक के लिए वैश्विक स्तर के मानक स्थापित हो गये हैं । स्थापित करना है इस उद्देश्य से यह वैश्वीकरण कि योजना
  −
लोग नौकरी और व्यवसाय के लिए एक देश से दूसरे देश. हो रही है। sere कंपनियाँ, आंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष,
  −
 
  −
में आवनजावन सरलता से करते हैं । विश्वबेंक आदि उसके साधन हैं । विज्ञापन, करार,
  −
अब विश्वभाषा, विश्वसंस्कृति, विश्वनागरिकता Al विश्वव्यापार संगठन आदि उसके माध्यम हैं ।
  −
बात हो रही है । भारत को वैश्विकता का बहुत आकर्षण है । परन्तु
  −
 
  −
भारत में वैश्विकता का आकर्षण कुछ अधिक ही... आज जिस वैश्विकता का प्रचार चल रहा है वह आर्थिक है
  −
दिखाई देता है। भाषा से लेकर सम्पूर्ण जीवनशैली में. जबकि भारत की वैश्विकता सांस्कृतिक है । यह अन्तर हमें समझ लेना चाहिये । भारत ने भी
   
प्राचीन समय से निरन्तर विश्वयात्रा की । भारत के लोग
 
प्राचीन समय से निरन्तर विश्वयात्रा की । भारत के लोग
 
अपने साथ ज्ञान, कारीगरी, कौशल लेकर गये हैं । विश्व के
 
अपने साथ ज्ञान, कारीगरी, कौशल लेकर गये हैं । विश्व के
Line 243: Line 215:     
== राष्ट्र ==
 
== राष्ट्र ==
राष्ट्र सांस्कृतिक dao है । हम पश्चिम की
+
राष्ट्र सांस्कृतिक है । हम पश्चिम की
 
विचारप्रणाली के प्रभाव में आकर राष्ट्र को देश कहते हैं
 
विचारप्रणाली के प्रभाव में आकर राष्ट्र को देश कहते हैं
 
और उसे राजकीय और भौगोलिक इकाई के रूप में ही
 
और उसे राजकीय और भौगोलिक इकाई के रूप में ही
Line 269: Line 241:  
एकदूसरे से अलग होते हैं वे महाद्वीप और पर्वतों से जो
 
एकदूसरे से अलग होते हैं वे महाद्वीप और पर्वतों से जो
 
अगल होते हैं वे देश कहे जाते हैं । उदाहरण के लिये
 
अगल होते हैं वे देश कहे जाते हैं । उदाहरण के लिये
आस्ट्रेलिया महाद्वीप है जबकि भारत देश है । यह उसकी भौगोलिक पहचान है । भारत एक सार्वभौम प्रजासत्तात्मक ... प्रजा और जीवनदर्शन थे परन्तु भूभाग
+
आस्ट्रेलिया महाद्वीप है जबकि भारत देश है । यह उसकी  
देश है । यह उसकी राजकीय, सांस्कृतिक पहचान है । यह... नहीं था । अतः राष्ट्र था, देश नहीं था । आज ग्रीस और
  −
पहचान उसे राष्ट्र बनाती है । राष्ट्र के रूप में वह एक... रोम भूभाग के रूप में हैं । परन्तु प्राचीन समय में जो राष्ट्र
  −
भूसांस्कृतिक इकाई है । इसका अर्थ है भारत का भूभाग, थे वे नहीं रहे ।
     −
भारत की प्रजा और उस प्रजा का जीवनदर्शन मिलकर राष्ट्र हर राष्ट्र का अपना एक स्वभाव होता है जो उसे जन्म
+
-ocr page 39-
बनता है । इसमें भूभाग कमअधिक होता है । भारत का... से ही प्राप्त होता है । यह स्वभाव ही उसकी पहचान होती
  −
भू-भाग एक समय में वर्तमान इरान और इराक तक था ।. है । हमारी कठिनाई यह है कि हम राजकीय इकाई और
  −
आज वह जम्मूकश्मीर और पंजाब तक है । भारत में एक... सांस्कृतिक इकाई को एक ही मानते हैं, किंबहुना हमें
  −
समय था जब मुसलमान और इसाई नहीं थे, आज हैं ।.. राजकीय इकाई ही ज्ञात है सांस्कृतिक नहीं । परन्तु युगों में
  −
इससे भारत की राष्ट्रीयता में अन्तर नहीं आता । जब तक... जो बनी रहती है वह सांस्कृतिक इकाई ही होती है,
  −
जीवनदर्शन लुप्त नहीं हो जाता तब तक वह बना रहता है ।.. राजकीय या भौगोलिक नहीं । भारत का एक राष्ट्र के रूप में
  −
जब जीवनदर्शन और उसके अनुसरण में बनी संस्कृति बदल... रक्षण करना प्रजा के लिये सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होता है ।
  −
जाती है तब भूभाग रहने पर भी राष्ट्र नहीं रहता । उदाहरण राष्ट्र एक ऐसा भूभाग है जहाँ प्रजा का उसके लिये
  −
के लिये वर्तमान इसरायल सन १९४८ में जगत के मानचित्र... मातृवत स्नेह होता है । वह प्रजा की मातृभूमि होती है ।
  −
पर भूभाग के रूप में उभरा । उससे पूर्व दो सहस्रकों तक... यह भी सांस्कृतिक पहचान ही है ।
      
== वैज्ञानिकता ==
 
== वैज्ञानिकता ==
वैश्विकता के समान ही आज बौद्धिकों के लिये... चाहिये। विश्व में केवल भौतिक पदार्थ ही नहीं हैं।
+
-ocr page 39-
लुभावनी संकल्पना वैज्ञानिकता की है । सब कुछ वैज्ञानिक... भौतिकता से परे बहुत बड़ा विश्व है । यह मन और बुद्धि
  −
होना चाहिये । जो भी प्रक्रिया, पद्धति, पदार्थ, अर्थघटन की दुनिया है जो भौतिक विश्व से सूक्ष्म है । सूक्ष्म का अर्थ
  −
वैज्ञानिक नहीं है वह त्याज्य है । बौद्धिकों का अनुसरण कर. लघु नहीं है। सूक्ष्म का अर्थ है अधिक व्यापक और
  −
 
  −
सामान्यजन भी वैज्ञानिकता की दुहाई देते हैं । अधिक प्रभावी । मन और बुद्धि का विश्व भौतिक विश्व से
  −
परन्तु यह वैज्ञानिकता क्या है ? आज जिसे विज्ञान... अधिक व्यापक और अधिक प्रभावी है ।
  −
कहा जाता है वह भौतिक विज्ञान है । भौतिक विज्ञान कीं कठिनाई यह है कि आज का विज्ञान मन और बुद्धि
  −
 
  −
प्रयोगशाला में जो परखा जाता है वही वैज्ञानिक है । इस... के विश्व को भी भौतिक विश्व के ही नियम लागू करता है ।
  −
निकष पर यदि हमारे उत्सव, विधिविधान, रीतिरिवाज, .... मनोविज्ञान के परीक्षण भौतिक विज्ञान के निकष पर बनाते
  −
अनुष्ठान खरे नहीं उतरते तो वे अआवैज्ञानिक हैं इसलिए हमने देखे ही हैं। यह तो उल्टी बात है । भावनाओं,
  −
त्याज्य हैं, अंधश्रद्धा से युक्त हैं ऐसा करार दिया जाता है ।. इच्छाओं, विचारों, कल्पनाओं, सृजन आदि की दुनिया
  −
उदाहरण के लिये हमारे पारम्परिक यज्ञों में होमा जाने वाला... भौतिक विज्ञान के मापदृंडों से कहीं ऊपर है ।
  −
घी बरबाद हो रहा है । किसी गरीब को खिलाया जाना यज्ञ इसलिए आज के बौद्धिक विश्व के विज्ञान और
  −
में होमने से बेहतर है ऐसा कहा जाता है । शिखा रखना... वैज्ञानिकता बहुत अधूरे हैं । वे केवल अन्नमय और प्राणमय
  −
मूर्खता है अथवा अप्रासंगिक है ऐसा कहा जाता है । ऐसे... कोश में व्यवहार कर सकते हैं । मनोमय, विज्ञानमय और
  −
तो सेंकड़ों उदाहरण हैं । आनन्दमय कोश के लिये ये निकष बहुत कम पड़ते हैं ।
  −
इसमें बहुत अधूरापन है यह बात समझ लेनी भारत में भी विज्ञान संज्ञा है । वह बहुत प्रतिष्ठित भी है। भारत में वैज्ञानिकता का अर्थ है. उठने पर तेरे लिये शास्त्र ही प्रमाण है ।
  −
शास्त्रीयता । शास्त्रों को अनुभूति का आधार होता है । शास्त्र शास्त्र अर्थात विज्ञान । तात्पर्य यह है कि वैज्ञानिकता
  −
आत्मनिष्ठ बुद्धि का आविष्कार हैं । इसलिए शाख्रप्रामाण्य की तो भारत में भी प्रतिष्ठा है । वह केवल भौतिक विज्ञान
  −
की प्रतिष्ठा है । भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं नहीं है अपितु आत्मविज्ञान के आधार पर रचे गये मन और
  −
य: शाख्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारत: । बुद्धि के विश्व को भी समाहित करने वाले विज्ञान की
  −
न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम ।। १६.२३ वैज्ञानिकता है ।
  −
 
  −
अर्थात यूरोप में भी सही में साइंस का अर्थ शास्त्रीयता ही
     −
जो शास्त्र के निर्देश की उपेक्षा कर स्वैर आचरण है । केवल आज हमने उसे भी संकुचित कर दिया है ।
+
है। भारत में वैज्ञानिकता का अर्थ है
करता है उसे सुख, सिद्धि या परम गति प्राप्त नहीं होती । भारत के बौद्धिक जगत का यह दायित्व है कि
  −
वे और भी कहते हैं ... 'वैज्ञानिक' अंधश्रद्धा को दूर कर विज्ञान और वैज्ञानिकता
     −
तस्माच्छाख्रम प्रमाणम्‌ ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ | १६. २४ को सही अर्थ में प्रतिष्ठित करें ।
+
-ocr page 40-
अर्थात क्या करना और क्या नहीं करना ऐसा प्रश्न
      
== अध्यात्म ==
 
== अध्यात्म ==
अध्यात्म भारत की खास संकल्पना है । सृष्टिचना भारत में गृहव्यवस्था, समाजन्यवस्था, अर्थव्यवस्था,
+
-ocr page 40-
के मूल में आत्मतत्त्त है। sears अव्यक्त, ... राज्यव्यवस्था का मूल अधिष्ठान अध्यात्म ही है। अतः
  −
अपरिवर्तनीय, अमूर्त संकल्पना है जिसमें से यह व्यक्त सृष्टि .. आध्यात्मिक अर्थशास्त्र कहने में कोई अस्वाभाविकता नहीं है ।
  −
निर्माण हुई है। अव्यक्त आत्मतत्त्व ही व्यक्त सृष्टि में भारत का युगों का इतिहास प्रमाण है कि इस
  −
रूपान्तरित हुआ है । आत्मतत्त्व और सृष्टि में कोई अन्तर... संकल्पना ने भारत की व्यवस्थाओं को इतना उत्तम बनाया
  −
नहीं है । अव्यक्त आत्मतत्त्व से व्यक्त सृष्टि क्यों बनी इसका... है और व्यवहारों को इतना अर्थपूर्ण और मानवीय बनाया है
  −
 
  −
कारण केवल आत्मतत्त्व का संकल्प है । कि वह विश्व में सबसे अधिक आयुवाला तथा समृद्ध राष्ट्र
  −
इस सृष्टि में सर्वत्र आत्मतत्त्व अनुस्युत है इसलिए. बना है ।
  −
 
  −
सृष्टि के सारे सम्बन्धों का, सर्व व्यवहारों का, सर्व इस संकल्पना के कारण भारत की हर व्यवस्था में
  −
 
  −
व्यवस्थाओं का मूल अधिष्ठान आत्मतत्त्व है । समरसता दिखाइ देती है क्योंकि सर्वत्र आत्मतत्त्व व्याप्त
  −
 
  −
आत्मतत्त्व के अधिष्ठान पर जो भी स्थित है वह. होने के कारण सृष्टि का हर पदार्थ दूसरे से जुड़ा हुआ है
  −
आध्यात्मिक है । यह उसकी भावात्मक नहीं अपितु बौद्धिक. और दूसरे से प्रभावित होता है ऐसी समझ बनती है ।
  −
व्याख्या है । समग्रता में विचार करने के कारण से और उसके आधार पर
  −
 
  −
इसलिए आध्यात्मिकता भगवे वस्त्र, संन्यास, मठ, .... व्यवस्थायें बनाने से कम से कम संकट निर्माण होते हैं यह
  −
मन्दिर या संसारत्याग से जुड़ी हुई संकल्पना नहीं है अपितु . व्यवहार का नियम है ।
  −
संसार के सारे व्यवहारों से जुड़ा हुआ तत्व है । आज इसी वर्तमान बौद्धिक संश्रम के परिणामस्वरूप हम भौतिक
  −
बात का घालमेल हुआ है । और आध्यात्मिक ऐसे दो विभाग करते हैं और हर स्थिति
  −
 
  −
इस संकल्पना के कारण सृष्टि की सारी रचनाओं तथा... को दो भागों में बांटकर ही देखते हैं । हमारी बौद्धिक
  −
व्यवस्थाओं में एकात्मता की कल्पना की गई है । जहां... कठिनाई यह है कि हम मानते हैं कि जो भौतिक नहीं है वह
  −
जहां भी एकात्मता है वहाँ आध्यात्मिक अधिष्ठान है ऐसा... आध्यात्मिक है और आध्यात्मिक है वह भौतिक नहीं है ।
  −
हम कह सकते हैं । वास्तव में भौतिक और आध्यात्मिक ऐसे दो विभाग ही
      
नहीं हैं। भौतिक का अधिष्ठान आध्यात्मिक होता है।
 
नहीं हैं। भौतिक का अधिष्ठान आध्यात्मिक होता है।

Navigation menu