बचपन में एक कहानी सुनी थी| एक बार किसी गाँव में कई वर्षोंतक बारिश नहीं हुई| हर साल बारिश होगी इसलिए सब किसान तैयारी करते थे| मेंढक टर्राते थे| पक्षी अपने घोसलों का रखरखाव करते थे| मोर नाचते थे| लेकिन सब व्यर्थ हो जाता था| बारिश नहीं आती थी| सब तैयारी व्यर्थ हो जाती थी| सब निराश हो गए थे| अब की बार फिर बारिश के दिन आए| लेकिन किसानों ने ठान लिया था कि अब वे खेती की तैयारी नहीं करेंगे| किसानों ने कोई तैयारी नहीं की| मेंढकों ने टर्राना बंद कर दिया| पक्षियों ने अपने घोसलों का रखरखाव नहीं किया| लेकिन एक मोर ने सोचा यह तो ठीक नहीं है| औरों ने अपना काम बंद किया होगा तो करने दो| मैं क्यों मेरा काम नहीं करूँ? उसने तय किया की बादल आयें या न आयें, बारिश हो या नहीं, वह तो अपना काम करेगा| वह निकला और लगा झूमझूम कर नाचने| उस को नाचते देखकर पक्षियों को लगा की हम क्यों अपना काम छोड़ दें| वे भी लगे अपने घोसलों के रखरखाव में| मेंढकों ने सोचा वे भी क्यों अपना काम छोड़ें| वे भी लगे टर्राने| फिर किसान भी सोचने लगा ये सब अपना काम कर रहे हैं, फिर मैं क्यों अपना काम छोड़ दूँ ? वह भी लगा तैयारी करने| ऐसे सब को अपना काम करते देखकर वरुण देवता जो बारिश लाते हैं, उन को शर्म महसूस हुई| मेंढक, मोर जैसे प्राणी भी अपना कर्तव्य निभा रहे हैं| फिर मैंने अपना काम क्यों छोड़ा है ? वह झपटे| बादलों को संगठित किया और लगे पानी बरसाने| किसान खुशहाल हो गया| सारा गाँव खुशहाल हो गया| | बचपन में एक कहानी सुनी थी| एक बार किसी गाँव में कई वर्षोंतक बारिश नहीं हुई| हर साल बारिश होगी इसलिए सब किसान तैयारी करते थे| मेंढक टर्राते थे| पक्षी अपने घोसलों का रखरखाव करते थे| मोर नाचते थे| लेकिन सब व्यर्थ हो जाता था| बारिश नहीं आती थी| सब तैयारी व्यर्थ हो जाती थी| सब निराश हो गए थे| अब की बार फिर बारिश के दिन आए| लेकिन किसानों ने ठान लिया था कि अब वे खेती की तैयारी नहीं करेंगे| किसानों ने कोई तैयारी नहीं की| मेंढकों ने टर्राना बंद कर दिया| पक्षियों ने अपने घोसलों का रखरखाव नहीं किया| लेकिन एक मोर ने सोचा यह तो ठीक नहीं है| औरों ने अपना काम बंद किया होगा तो करने दो| मैं क्यों मेरा काम नहीं करूँ? उसने तय किया की बादल आयें या न आयें, बारिश हो या नहीं, वह तो अपना काम करेगा| वह निकला और लगा झूमझूम कर नाचने| उस को नाचते देखकर पक्षियों को लगा की हम क्यों अपना काम छोड़ दें| वे भी लगे अपने घोसलों के रखरखाव में| मेंढकों ने सोचा वे भी क्यों अपना काम छोड़ें| वे भी लगे टर्राने| फिर किसान भी सोचने लगा ये सब अपना काम कर रहे हैं, फिर मैं क्यों अपना काम छोड़ दूँ ? वह भी लगा तैयारी करने| ऐसे सब को अपना काम करते देखकर वरुण देवता जो बारिश लाते हैं, उन को शर्म महसूस हुई| मेंढक, मोर जैसे प्राणी भी अपना कर्तव्य निभा रहे हैं| फिर मैंने अपना काम क्यों छोड़ा है ? वह झपटे| बादलों को संगठित किया और लगे पानी बरसाने| किसान खुशहाल हो गया| सारा गाँव खुशहाल हो गया| |