Line 72:
Line 72:
# न्याय के पीछे, सत्य के समर्थन और सहायता में अपने कुटुम्ब की शक्ति खडी करना।
# न्याय के पीछे, सत्य के समर्थन और सहायता में अपने कुटुम्ब की शक्ति खडी करना।
# स्त्री और पुरूष कार्य विभाजन। वर्तमान मानसिक विकृति को दूर करना। बच्चे पैदा करने का काम स्त्री और पुरूष दोनों मिलकर ही कर सकते है। अन्य कोई भी काम ऐसा नहीं है कि जो स्त्री नहीं कर सकती या पुरूष नहीं कर सकता। किंतु केवल कर सकना यह निष्कर्ष ना केवल उस व्यक्ति के लिये और ना ही समाज के लिये हितकर है। प्रयोजन के आधार पर या गुण और स्वभाव के अनुसार ही काम का निश्चय होना चाहिये। स्त्री और पुरुष में, पुरुष और पुरुष में भी और स्त्री और स्त्री में भी क्षमताओं का अन्तर होता है।
# स्त्री और पुरूष कार्य विभाजन। वर्तमान मानसिक विकृति को दूर करना। बच्चे पैदा करने का काम स्त्री और पुरूष दोनों मिलकर ही कर सकते है। अन्य कोई भी काम ऐसा नहीं है कि जो स्त्री नहीं कर सकती या पुरूष नहीं कर सकता। किंतु केवल कर सकना यह निष्कर्ष ना केवल उस व्यक्ति के लिये और ना ही समाज के लिये हितकर है। प्रयोजन के आधार पर या गुण और स्वभाव के अनुसार ही काम का निश्चय होना चाहिये। स्त्री और पुरुष में, पुरुष और पुरुष में भी और स्त्री और स्त्री में भी क्षमताओं का अन्तर होता है।
−
# प्रत्यक्ष चांदी-सोना, रुपिया, पशुधन, जंगल, उर्वरा भूमि, संग्रहित धान आदि धन के ही रूप हैं।
+
# प्रत्यक्ष चांदी-सोना, रुपया, पशुधन, जंगल, उर्वरा भूमि, संग्रहित धान आदि धन के ही रूप हैं।
# प्राकृतिक संसाधन और मानवीय शरीर, मन बुद्धि का उपयोग यही बातें धन का निर्माण करती हैं। ये ठीक रहें इस दृष्टि से शिक्षा और संस्कारों की व्यवस्था करना: अर्थस्य तिस्त्र:गतय: दानं भोगं नाशश्च। संपत्ति की तीन ही सम्भावनाएँ हैं। दान करो, भोग करो यह दो सम्भावनाएँ हैं। अन्यथा तीसरी सम्भावना याने सम्पत्ति का नाश होने ही वाला है। इसलिये उपभोग को कम-कम करते हुए बचाई हुई सम्पत्ति का दान करते जाओ। दान की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन दिया जाए।
# प्राकृतिक संसाधन और मानवीय शरीर, मन बुद्धि का उपयोग यही बातें धन का निर्माण करती हैं। ये ठीक रहें इस दृष्टि से शिक्षा और संस्कारों की व्यवस्था करना: अर्थस्य तिस्त्र:गतय: दानं भोगं नाशश्च। संपत्ति की तीन ही सम्भावनाएँ हैं। दान करो, भोग करो यह दो सम्भावनाएँ हैं। अन्यथा तीसरी सम्भावना याने सम्पत्ति का नाश होने ही वाला है। इसलिये उपभोग को कम-कम करते हुए बचाई हुई सम्पत्ति का दान करते जाओ। दान की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन दिया जाए।
# स्पर्धा नहीं प्रेरणा और सहयोग से प्रगति का संस्कार।
# स्पर्धा नहीं प्रेरणा और सहयोग से प्रगति का संस्कार।