आयु की अवस्था |
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करणीय कार्य |
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गर्भपूर्व अवस्था ॥ Before Conception
- श्रीमद्भगवद्गीता में बताये गए वर्णधर्म याने ‘स्वधर्म’ को समझना |
- अपने वर्ण के अनुसार ज्ञानार्जन करना | आदतें बनाना |
- यम नियमों का अनुपालन करना |
- एकात्मता स्तोत्र का कंठस्थीकरण करना |
- सांस्कृतिक भारत के मानचित्र का वर्तमान मानचित्र के सन्दर्भ में अध्ययन करना |
- भारत के भूगोल के इतिहास को समझना |
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शैक्षणिक कार्य ।
- अध्यापक बनने के लिए आवश्यक बातें करना ।
- नियमित स्वाध्याय करना ।
- स्वाध्याय से अर्जित ज्ञान को समझना ।
- व्यावहारिक युगानुकुल पद्धति से समाज के घटकों को समझाने के प्रयास करना |
रक्षण कार्य ।
रक्षण के लिए आवश्यक बातें करना |
- व्यक्तिगत स्वास्थ्य, बल, युद्ध कौशल में वृद्धि के प्रयास करना ।
- संगठन बनाना या संगठन से जुड़ना |
पोषण कार्य ।
- अध्यापकों और रक्षकों को धन साधन और संसाधनों की (पोषण) कमी न रहे, इस हेतु प्रयास करना |
- रक्षक संगठनों से जुड़ना |
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गर्भावस्था ॥ During Pregnancy
- यहाँ मुख्य भूमिका माता की होगी | पिता सहायक होगा |
- गर्भपूर्व के करणीय कार्यों में से जो भी संभव हैं उन्हें वैद्य की अनुमति से करना |
- अष्टांग योग के यम, नियमों की नींव यहीं से डाली जाती है | यम, नियम आत्मसात करना सभी वर्णों के लिए अनिवार्य है |
- एकात्मता स्तोत्र का कंठस्थीकरण करना |
- सांस्कृतिक भारत के मानचित्र का वर्तमान मानचित्र के सन्दर्भ में अध्ययन करना |
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शैक्षणिक कार्य ।
- धार्मिक शास्त्रीय साहित्य पढ़ना | मनन चिंतन करना | विविध आयु के लोगों से विषय की चर्चा करना | जो समझने के लिए उत्सुक हैं ऐसे लोगों को ढूँढना और उनका मार्गदर्शन करना |
- इस दृष्टी से बच्चों के लिए कथाओं का उपयोग करना | जैसे युधिष्ठिर की कथा |
रक्षण कार्य ।
- सम्राटों की, धर्मरक्षकों की कथाएँ पढ़ना/पढ़ाना |
- शारीरिक बल, स्वास्थ्य, युद्ध कौशल आदि की गर्भ की अवस्था को ध्यान में रखकर (वैद्य के मार्गदर्शन में) वृद्धि के प्रयास करना |
- धर्म रक्षकों का सत्संग करना |
पोषण कार्य ।
- धर्म रक्षकों का सत्संग करना |
- धन-दान देना | समय देना | सुविधाएं देना |
- रघुराजा की, हर्षवर्धन की कथाएँ पढ़ना/पढ़ाना |
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शिशु अवस्था ॥ Childhood (Until the age of 5years)
- यहाँ भी मुख्य भूमिका माता की रहेगी | पिता तथा कुटुंब के अन्य सदस्यों की भूमिका सहायक की होगी |
- यम. नियमों का अनुपालन करवाना |
- बच्चे को सांस्कृतिक भारत का मानचित्र दिखाना |
- एकात्मता स्तोत्र का कंठस्थीकरण करवाना |
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शैक्षणिक कार्य ।
- वेदव्यास, याज्ञवल्क्य, मध्वाचार्य विद्यारण्य, तुकाराम, रामदास, गुरु गोविन्दसिंह आदि की प्रतिमाएँ बताना, नमन करवाना, उन की कहानियाँ कहना | वेश पहनाना |
- धार्मिक वैज्ञानिकों की प्रतिमाएँ बताना, नमन करवाना, उन की कहानियाँ कहना | वेश पहनाना | उन के जैसा बनने की प्रेरणा देना |
- भारत, हिन्दुस्थान की व्याख्याएँ कंठस्थ करवाना |
- सांस्कृतिक भारत का मानचित्र बताना/बनवाना |
रक्षण कार्य ।
- सम्राटों की, रामायण, महाभारत की शौर्य कथाएँ सुनाना
- रघुराजा, हर्षवर्धन, बाप्पा रावल, शिवाजी, रणजीतसिंह आदि की कहानियाँ सुनाना |
- बच्चे को बलार्जन की प्रेरणा देना |
- हनुमान, भीम आदि की कहानियाँ सुनाना |
पोषण कार्य ।
- रघुराजा, हर्षवर्धन, तुकाराम, भामाशाह, दामाजी आदि की कहानियाँ सुनाना |
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बाल अवस्था ॥ Childhood (From the age between 6 to 10 years)
- यहाँ से आगे पिता, गुरू(मानसपिता) की भूमिका मुख्य होती है | माता तथा कुटुंब के अन्य सदस्यों की भूमिका सहायक की होगी |
- यही आयु अच्छी आदतों की प्रतिष्ठापना के लिए अत्यंत उपयुक्त होती है | यहाँ ताडन का उपयोग भी आवश्यकतानुसार स्वीकृत है |
- रोज एकात्मता स्तोत्र पाठन करवाना |
- संभाजी, बन्दा बैरागी, बाल हकीकत, सिख गुरुपुत्रों जैसी कथाएँ सुनाना |
- अनसूया, लोपामुद्रा, गार्गी, मैत्रेयी, कुंती, द्रौपदी, सत्यभामा, सीता, सावित्री, भारती, रानी रुद्रमाम्बा, रानी चन्नम्मा, ताराबाई आदि पुण्यप्रतापी स्त्रियों की, क्रांतिकारियों की, वेदव्यास, याज्ञवल्क्य, मध्वाचार्य विद्यारण्य, तुकाराम, रामदास, गुरु गोविन्दसिंह आदि की कथाओं का वाचन करवाना | कथन करवाना |
- कणाद, कपिल, वराहमिहीर, भास्कराचार्य, नागार्जुन आदि धार्मिक वैज्ञानिकों की, रामायण, महाभारत की कथाओं का वाचन करवाना | कथन करवाना |
- भारत के गौरवमय अतीत की, विश्वगुरुत्व की जानकारी देना |
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शैक्षणिक कार्य ।
- उपर्युक्त में श्रेष्ठ विप्र, श्रेष्ठ क्षत्रिय और श्रेष्ठ वैश्य कैसे होते हैं, इसे स्पष्ट करना | शैक्षणिक कार्य में योगदान देने के हेतु श्रेष्ठ विप्र बनने की प्रेरणा देना |
रक्षण कार्य ।
- उपर्युक्त में श्रेष्ठ विप्र, श्रेष्ठ क्षत्रिय और श्रेष्ठ वैश्य कैसे होते हैं, इसे स्पष्ट करना | रक्षण कार्य में योगदान देने के हेतु श्रेष्ठ क्षत्रिय बनने की प्रेरणा देना |
पोषण कार्य ।
- उपर्युक्त में श्रेष्ठ विप्र, श्रेष्ठ क्षत्रिय और श्रेष्ठ वैश्य कैसे होते हैं, इसे स्पष्ट करना | पोषण कार्य में योगदान देने के हेतु श्रेष्ठ वैश्य बनने की प्रेरणा देना |
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किशोर अवस्था ॥ Adolescence (Age between 11 and 15 years)
- इस आयु में भी पिता, गुरु (मानसपिता) की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है | माता और घर के अन्य सदस्यों की भूमिका सहायक की होगी |
- इस आयु में बुद्धि का उपयोग आरम्भ हो जाता है | अतः ‘धार्मिक’ की बुद्धियुक्त पहचान कराना | वर्णानुसार कर्म/व्यवहार का महत्त्व समझाना |
- श्रीमद्भगवद्गीता, एकात्म मानव दर्शन, सत्यार्थ प्रकाश जैसे पुस्तकों का अध्ययन, मनन, चिंतन करने की प्रेरणा देना |
- सांस्कृतिक भारत के मानचित्र का वर्तमान मानचित्र के सन्दर्भ में अध्ययन करना |
- बलोपार्जन करना | नियुद्ध, दण्डयुद्ध सीखना |
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शैक्षणिक कार्य ।
- भारत के भूगोल के इतिहास को समझना | इस में विप्र की भूमिका का विचार करना | इस में विप्र होने के नाते शैक्षणिक क्षेत्र में मेरी क्या भूमिका होगी ? यह विचार आरम्भ हो |
- समविचारी विप्र वृत्ति के मित्र जोड़ना | ऐसा विचार करनेवाले संगठन से जुड़ना |
रक्षण कार्य ।
- भारत के भूगोल के इतिहास को समझना | इस में क्षत्रिय होने के नाते रक्षण क्षेत्र में मेरी क्या भूमिका होगी ? यह विचार आरम्भ हो |
- क्षत्रिय वृत्ति के समविचारी मित्र जोड़ना | ऐसा विचार करनेवाले संगठन से जुड़ना |
पोषण कार्य ।
- भारत के भूगोल के इतिहास को समझना | इस में वैश्य होने के नाते पोषण क्षेत्र में मेरी क्या भूमिका होगी ? यह विचार आरम्भ हो |
- समविचारी वैश्य वृत्ति के मित्र जोड़ना | ऐसा विचार करनेवाले संगठन से जुड़ना |
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युवा अवस्था ॥ Youth (Age between 16 and 25 years)
- इस आयु में अब युवक स्वतन्त्र रूप में भी कई बातें करने की स्थिति में होता है |
- अपना व्यवहार वर्णानुसारी रखना |
- लोकसंग्रह करना |
- श्रीमद्भगवद्गीता का अध्ययन करना | कुर्रान, हदीस, ओल्ड टेस्टामेंट, न्यू टेस्टामेंट (बायबल) का अध्ययन करना |
- धार्मिकता, इस्लाम और इसाईयत को समझना | लोगों को समझाना |
- इनकी श्रीमद्भगवद्गीता से भिन्नता ही इनकी विशेषता है, इसे समझना | इनकी विशेषता का योजनाबद्ध प्रचार प्रसार करना |
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शैक्षणिक कार्य ।
- नियुद्ध, दंड संचालन आदि में प्रवीणता प्राप्त करना |
रक्षण कार्य ।
- नियुद्ध, दंड संचालन आदि में प्रवीणता प्राप्त करना |
- गोरक्षक दल, बजरंग दल आदि गतिविधियों से जुड़ना | सेना, पुलिस, गुप्तचर विभाग में सेवाएँ देना | विपरीत विचार के लोगों/संगठनों में सेंध लगाना |
पोषण कार्य ।
- नियुद्ध, दंड संचालन आदि में प्रवीणता प्राप्त करना | गोरक्षक/बजरंग दल आदि गतिविधियों से जुड़ना |
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गृहस्थ अवस्था ॥ Householder's phase (Age between 26 to 60)
- सम्पूर्ण समाजकाही नहीं तो चराचर का हित देखने की जिम्मेदारी गृहस्थ की होती है |
- इस दृष्टी से गर्भपूर्व से लेकर वृद्धावस्थातक के लोगों के सभी कर्तव्यों का अनुपालन हो ऐसी व्यवस्थाएँ और वातावरण बनाना/चलाना, लोकसंग्रह करना आदि जैसी बहुत व्यापक जिम्मेदारियाँ हैं |
- गहराई से श्रीमद्भगवद्गीता का अध्ययन करना | कुर्रान, हदीस, ओल्ड टेस्टामेंट, न्यू टेस्टामेंट (बायबल) का अध्ययन करना |
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शैक्षणिक कार्य ।
- धार्मिकता, इस्लाम और इसाईयत को समझना | लोगों को समझाना |
- इनकी श्रीमद्भगवद्गीता से भिन्नता ही इनकी विशेषता है, इसे समझाना | इनकी विशेषता का व्याख्यानों, लेखों से प्रचार प्रसार करना | साहित्य निर्माण करना |
- नियुद्ध, दंड संचालन आदि के प्राविण्य वर्ग चलाना | आवश्यकतानुसार कानूनी सहायता की उपलब्धता की आश्वस्ति |
रक्षण कार्य ।
- धार्मिकता, इस्लाम और इसाईयत को समझना | लोगों को समझाना |
- श्रीमद्भगवद्गीता से इनकी भिन्नता ही इनकी विशेषता है, इसे समझाना | इनकी विशेषता का व्याख्यानों, लेखों से प्रचार प्रसार करना | साहित्य निर्माण में योगदान देना |
- नियुद्ध, दंड संचालन आदि के नैपुण्य वर्ग चलाना | संरक्षक दल निर्माण कर सुरक्षा की नित्यसिद्ध योजना बनाना |
पोषण कार्य ।
- धार्मिकता, इस्लाम और इसाईयत को समझना |
- इनकी श्रीमद्भगवद्गीता से भिन्नता ही इनकी विशेषता है, इसे समझाना | इस विषय के व्याख्यान, नैपुण्य वर्ग, लेखों का प्रकाशन, मुकदमे आदि का आर्थिक भार उठाना |
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प्रौढ और वृद्ध अवस्था ॥ Old age
- युवा लोग उत्साह में भरकर साहस तो करें लेकिन दुस्साहस न करें इस दृष्टी से युवाओं को मार्गदर्शन करना |
- पार्श्व के काम सम्भालना |
- सामाजिक संरक्षक की भूमिका निभाना | अपनी भूमिका सलाहकार तक ही सीमित रखना |
- आवश्यकतानुसार अपने अनुभवों से युवा वर्ग लाभान्वित होवे ऐसा प्रयास करना |
- अपने अपने वर्ण के युवा और गृहस्थी लोगों को समर्थन, सहायता और मार्गदर्शन करना |
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शैक्षणिक कार्य ।
रक्षण कार्य ।
पोषण कार्य ।
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