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समाज के लिये चार बातें महत्वपूर्ण होतीं हैं। सुरक्षित भूभाग, समाज सातत्य (संतान उत्पत्ति के द्वारा), समान जीवनदृष्टि (संस्कृति) और स्वतंत्रता। इन चार में स्वतंत्रता के बगैर कोई भी समाज ठीक नहीं रह सकता। जीवनदृष्टि समाज की वैचारिक पहचान होती है।
 
समाज के लिये चार बातें महत्वपूर्ण होतीं हैं। सुरक्षित भूभाग, समाज सातत्य (संतान उत्पत्ति के द्वारा), समान जीवनदृष्टि (संस्कृति) और स्वतंत्रता। इन चार में स्वतंत्रता के बगैर कोई भी समाज ठीक नहीं रह सकता। जीवनदृष्टि समाज की वैचारिक पहचान होती है।
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एक आलू की बोरी में आलू बंधे होते हैं । जब तक बाहरी बोरी खुलती या फटती नहीं आलू बोरी के अन्दर रहते हैं । जैसे ही बोरी का अवरोध हट जाता है आलू बिखर जाते हैं । ऐसे बिखरने वाले आलू और बोरी जैसा व्यक्ति और समाज का सम्बन्ध नहीं होता । यह स्थिर होता है । लेकिन अनार को तोडने पर भी अनार के दाने बिखरते नहीं हैं । तो क्या समाज और व्यक्ति संबंध अनार और उसके दानोंजैसा है?
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एक आलू की बोरी में आलू बंधे होते हैं । जब तक बाहरी बोरी खुलती या फटती नहीं आलू बोरी के अन्दर रहते हैं । जैसे ही बोरी का अवरोध हट जाता है आलू बिखर जाते हैं । ऐसे बिखरने वाले आलू और बोरी जैसा व्यक्ति और समाज का सम्बन्ध नहीं होता । यह स्थिर होता है । लेकिन अनार को तोडने पर भी अनार के दाने बिखरते नहीं हैं । तो क्या समाज और व्यक्ति संबंध अनार और उसके दानों जैसा है?
    
समाज कुछ बातों में अनार जैसा होता है । जिस प्रकार अनार उसके अन्दर विद्यमान दानों के विकास के साथ विकास पाता है । हर दाने का विकास उसके पड़ोसी और अन्य सभी दानों के परिप्रेक्ष में ही होता है । उसी तरह से सामाजिक वातावरण ऐसा होना चाहिए जिससे किसी भी व्यक्ति के स्वाभाविक विकास में बाधा न हो । इसी प्रकार अनार की विशेषता यह होती है कि इसके दानों की विकसित होने की सीमा अनार के बाहरी आवरण की संभाव्य वृद्धि तक की ही होती है । लेकिन अनार और अनार के दानों में जीवात्मा नहीं होता । अतः समाज अनार से अधिक कुछ है ।
 
समाज कुछ बातों में अनार जैसा होता है । जिस प्रकार अनार उसके अन्दर विद्यमान दानों के विकास के साथ विकास पाता है । हर दाने का विकास उसके पड़ोसी और अन्य सभी दानों के परिप्रेक्ष में ही होता है । उसी तरह से सामाजिक वातावरण ऐसा होना चाहिए जिससे किसी भी व्यक्ति के स्वाभाविक विकास में बाधा न हो । इसी प्रकार अनार की विशेषता यह होती है कि इसके दानों की विकसित होने की सीमा अनार के बाहरी आवरण की संभाव्य वृद्धि तक की ही होती है । लेकिन अनार और अनार के दानों में जीवात्मा नहीं होता । अतः समाज अनार से अधिक कुछ है ।

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