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| एका शाटी => एकशाटी | | एका शाटी => एकशाटी |
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− | सर्वे देवाः => सर्वदेवाः | + | सर्वे देवाः => सर्वदेवाः<ref name=":0">Sridhar Subbanna, Samasa, Samskritadhyayana Karyashala, Vidyasvam.</ref> |
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| === अभ्यास I === | | === अभ्यास I === |
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| Eg : | | Eg : |
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− | मेघ इव श्यामः मेघश्यामः रामः । | + | मेघ इव श्यामः मेघश्यामः रामः ।<ref name=":0" /> |
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| === अभ्यास I === | | === अभ्यास I === |
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| (व्याघ्रादि-list व्याघ्र। सिंह। ऋक्ष। ऋषभ। चन्दन। वृक्ष। वराह। वृष। हस्तिन्। कुञ्जर। रुरु। पृषत। पुण्डरीक। बलाहक। अकृतिगणश्च अयम्, तेन इदम् अपि भवति मुखपद्यम्, मुखकमलम्, करकिसलयम्, पार्थिवचन्द्रः इत्येवम् आदि) | | (व्याघ्रादि-list व्याघ्र। सिंह। ऋक्ष। ऋषभ। चन्दन। वृक्ष। वराह। वृष। हस्तिन्। कुञ्जर। रुरु। पृषत। पुण्डरीक। बलाहक। अकृतिगणश्च अयम्, तेन इदम् अपि भवति मुखपद्यम्, मुखकमलम्, करकिसलयम्, पार्थिवचन्द्रः इत्येवम् आदि) |
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− | Eg : पुरुषः व्याघ्रः इव पुरुषव्याघ्रः । (but not when पुरुषः व्याघ्रः इव शूरः ) | + | Eg : पुरुषः व्याघ्रः इव पुरुषव्याघ्रः । (but not when पुरुषः व्याघ्रः इव शूरः )<ref name=":0" /> |
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| === अभ्यास I === | | === अभ्यास I === |
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| तपः एव धनम् => तपोधनम् (अवधारणपूर्वपद) | | तपः एव धनम् => तपोधनम् (अवधारणपूर्वपद) |
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− | आम्रः इति वृक्षः => आम्रवृक्षः (सम्भावना(प्रसिद्ध)पूर्वपद) | + | आम्रः इति वृक्षः => आम्रवृक्षः (सम्भावना(प्रसिद्ध)पूर्वपद)<ref name=":0" /> |
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| === अभ्यास I === | | === अभ्यास I === |
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| अन्यः राजा => राजान्तरम् | | अन्यः राजा => राजान्तरम् |
| | | |
− | चिद् एव => चिन्मात्रम् | + | चिद् एव => चिन्मात्रम्<ref name=":0" /> |
| + | |
| + | == सङ्क्षेपरामायणतः उदाहरणानि ॥ Examples from Sankshepa Ramayana == |
| + | |
| + | === Example 1. === |
| + | आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् । |
| + | |
| + | लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ।। |
| + | |
| + | => पदच्छेदः |
| + | |
| + | आपदाम्, अपहर्तारम्, दातारम्, सर्वसम्पदाम् , |
| + | |
| + | लोकाभिरामम्, श्रीरामम्, भूयः, भूयः, नमामि, अहम्। |
| + | |
| + | => कर्मधारयसमासाः |
| + | |
| + | '''सर्वसम्प्दाम्''' |
| + | |
| + | - विग्रहवाक्यम् किम्? प्रकारः कः? (Expansion/type?) |
| + | |
| + | ==== Solution 1. ==== |
| + | समस्तपदम् = '''सर्वसम्पदाम्'''(स्त्री. ६,३) [दातारं = श्रीरामम्]। |
| + | |
| + | प्रातिपदिके = सर्व, सम्पद्। |
| + | |
| + | विग्रहवाक्यम् = सर्वाः सम्पदः सर्वसम्पदः ('''कर्मधारयः''')। - पूर्वकालादि |
| + | |
| + | तासां '''सर्वसम्पदाम्'''। |
| + | |
| + | === Example 2. === |
| + | तपस्स्वाध्यायनिरतं तपस्वी वाग्विदां वरम्। |
| + | |
| + | नारदं परिपप्रच्छ वाल्मिकिर्मुनिपुङ्गवम् ||१|| |
| + | |
| + | => पदच्छेदः |
| + | |
| + | तपस्स्वाध्यायनिरतम्, तपस्वी, वाग्विदाम्, वरम्, |
| + | |
| + | नारदम्, परिपप्रच्छ, वाल्मिकिः, मुनिपुङ्गवम् । |
| + | |
| + | => कर्मधारयसमासाः |
| + | |
| + | '''मुनिपुङ्गवम्''' |
| + | |
| + | - विग्रहवाक्यम् किम्? प्रकार कः? (Expansion/type?) |
| + | |
| + | ==== Solution 2. ==== |
| + | समस्तपदम् = '''मुनिपुङ्गवम्'''(पुं. २, १) [=नारदम्]। |
| + | |
| + | प्रातिपदिकानि = मुनि, पुङ्गव। पुङ्गव => पुंस्, गो । |
| + | |
| + | विग्रहवाक्यम् = पुंस् गो पुङ्गवः ('''कर्मधारयः''')। - विशेषण |
| + | |
| + | मुनिः पुङ्गवः इव ('''कर्मधारयः''')। - उपमानोत्तरपद |
| + | |
| + | === Example 3. === |
| + | एतदिछावम्यहं श्रोतुं परं कौतुहलंहि मे। |
| + | |
| + | महर्षे त्वं समर्थोसि ज्ञातुमेवंविधं नरम् ।। |
| + | |
| + | => पदच्छेदः |
| + | |
| + | एतद्, इच्छामि, अहम्, श्रोतुम्, परम्, कौतुहलम्, हि, मे, |
| + | |
| + | महर्षे , त्वम्, समर्थः, असि, ज्ञातुम्, एवंविधम्, नरम्। |
| + | |
| + | => कर्मधारयसमासाः |
| + | |
| + | '''महर्षे''' |
| + | |
| + | - विग्रहवाक्यम् किम्? प्रकारः कः? (Expansion/type?) |
| + | |
| + | ==== Solution 3. ==== |
| + | समस्तपदम् = '''महर्षे('''पुं. ८,१) [=नारद]। |
| + | |
| + | प्रातिपदिके = महत्, ऋषि। |
| + | |
| + | विग्रहवाक्यम् = महान् च असौ ऋषिः च महर्षिः |
| + | |
| + | Or |
| + | |
| + | महान् ऋषिः महर्षिः ('''कर्मधारयः)'''। - विशेषण हे '''महर्षे।''' |
| + | |
| + | === '''Example 4.''' === |
| + | कालाग्निसदृशः क्रोधे क्षमया पृथिवीसमः। |
| + | |
| + | धनदेन समस्त्यागे सत्ये धर्म इवापरः ।१८।। |
| + | |
| + | => पदच्छेदः |
| + | |
| + | कालाग्निसदृशः, क्रोधे, क्षमया, पृथिवीसमः, |
| + | |
| + | धनदेन, समः, त्यागे, सत्ये, धर्म इव अपरः। |
| + | |
| + | => कर्मधारयसमासाः |
| + | |
| + | '''कालाग्निसदृशः''' |
| + | |
| + | - विग्रहवाक्यम् किम्? प्रकारः कः? (Expansion/type?) |
| + | |
| + | ==== Solution 4. ==== |
| + | समस्तपदम् = '''कालाग्निसदृशः''' (पुं. १,१) [रामः]। |
| + | |
| + | प्रातिपदिकानि = कालाग्नि, सदृश। कालाग्नि = काल, अग्नि। |
| + | |
| + | विग्रहवाक्यम् = कालः एव अग्निः कालाग्निः ('''कर्मधारयः)''' - अवधारणपूर्वपद |
| + | |
| + | कालाग्निना सदृशः '''कालाग्निसदृशः''' ('''तृतीयातत्पुरुषः''')। |
| + | |
| + | === Example 5. === |
| + | प्रहृष्टमुदितो लोकस्तुष्टः पुष्टः सुधार्मिकः । |
| + | |
| + | निरामयो ह्यरोगश्च दुर्भिक्षभयवर्जितः ।।८८।। |
| + | |
| + | => पदच्छेदः |
| + | |
| + | प्रहृष्टमुदितः, लोकः, तुष्टः, पुष्टः, सुधार्मिक:, |
| + | |
| + | निरामयः, हि, अरोगः, च, दुर्भिक्षभयवर्जितः। |
| + | |
| + | => कर्मधारयसमासाः |
| + | |
| + | '''प्रहृष्टमुदितः''' |
| + | |
| + | - विग्रहवाक्यम् किम्? प्रकारः कः? (Expansion/type?) |
| + | |
| + | ==== Solution 5. ==== |
| + | समस्तपदम् = '''प्रहृष्टमुदितः''' (पुं. १, १) [=लोकः]। |
| + | |
| + | प्रातिपदिकानि = प्रहृष्ट, मुदित। |
| + | |
| + | विग्रहवाक्यम् = प्रहृष्टः च असौ मुदितः च '''प्रहृष्टमुदितः''' ('''कर्मधारयः)'''।<ref>Amit Rao, Karmadharaya Samasa Review, Vidyasvam.</ref> |
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| + | == References == |
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