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७५. घर में श्रमप्रतिष्ठा, उद्यमशीलता, सेवापरायणता का वातावरण बनना. चाहिये ।. प्रसन्नता, उत्साह, सृजनशीलता का वातावरण बनना. चाहिये । हास्यविनोद, वार्तालाप, एकदूसरे के कार्यों में रुचि, सहयोग और सहभागिता आदि भी होना चाहिये ।
 
७५. घर में श्रमप्रतिष्ठा, उद्यमशीलता, सेवापरायणता का वातावरण बनना. चाहिये ।. प्रसन्नता, उत्साह, सृजनशीलता का वातावरण बनना. चाहिये । हास्यविनोद, वार्तालाप, एकदूसरे के कार्यों में रुचि, सहयोग और सहभागिता आदि भी होना चाहिये ।
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७६. परम्परा निभाने के कर्तव्य के भाग स्वरूप घर के छोटे सदस्यों को पूर्वजों का परिचय प्राप्त करवाना चाहिये, उनसे हमें कया कया प्राप्त हुआ है, उन्होंने कैसे कैसे उत्तम कार्य किये हैं और कौनसी मूल्यवान बातें हमें विरासत में दी हैं उसका वर्णन नई पीढी के समक्ष किया जाना चाहिये ।
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७६. परम्परा निभाने के कर्तव्य के भाग स्वरूप घर के छोटे सदस्यों को पूर्वजों का परिचय प्राप्त करवाना चाहिये, उनसे हमें क्या क्या प्राप्त हुआ है, उन्होंने कैसे कैसे उत्तम कार्य किये हैं और कौनसी मूल्यवान बातें हमें विरासत में दी हैं उसका वर्णन नई पीढी के समक्ष किया जाना चाहिये ।
    
७७. पडौसी के साथ आत्मीयता का सम्बन्ध बनाना चाहिये । आवश्यकता के अनुसार पडौसी की सहायता करना और उनसे सहायता लेना बिना उपकार की भावना से होना चाहिये । उपभोग की नई सामग्री पडौसी के साथ बाँटनी चाहिये ।
 
७७. पडौसी के साथ आत्मीयता का सम्बन्ध बनाना चाहिये । आवश्यकता के अनुसार पडौसी की सहायता करना और उनसे सहायता लेना बिना उपकार की भावना से होना चाहिये । उपभोग की नई सामग्री पडौसी के साथ बाँटनी चाहिये ।

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