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=== भारत की व्यवस्था से सर्वथा विपरीत ===
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१, शिक्षा के पश्चिमीकरण का एक पहलू है व्यक्ति केन्द्री जीवनरचना । इसका अर्थ है जीवन से सम्बन्धित समाज में जितनी भी व्यवस्थायें होती हैं वे सब व्यक्ति को इकाई मानकर की जाती हैं ।
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२. भारत की व्यवस्था से यह सर्वथा विपरीत है । भारत में जीवन से सम्बन्धित समाज की सारी व्यवस्थायें परिवार को इकाई मानकर की जाती रही हैं । परिवार में सम्बन्ध और व्यवस्था दोनों निहित हैं । अर्थात् पारिवारिक सम्बन्ध और परिवार की व्यवस्था दोनों महत्त्वपूर्ण हैं ।
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उदाहरण है । आज यह हमारी कल्पना से बाहर हो गया है यह बात अलग है, परन्तु हमारा चिन्तन तो ऐसा ही रहा है ।
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३. परिवार को इकाई मानने का तात्पर्य कया है ? परिवार में तो एक से अधिक व्यक्ति होते हैं । एक से अधिक संख्या इकाई कैसे हो सकती है खाना, पीना, सोना, काम करना सब तो सबका अलग अलग होता है । फिर सबकी मिलकर एक इकाई कैसे होगी ? भावनात्मक दृष्टि से तो ठीक है परन्तु व्यवस्था में यह कैसे बैठ सकता है ?
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४. यही बात भारतीय मनीषियों की प्रतिभा का नमूना है। अध्यात्म को व्यावहारिक कैसे बनाना इसका उदाहरण है । आज यह हमारी कल्पना से बाहर हो गया है यह बात अलग है, परन्तु हमारा चिन्तन तो ऐसा ही रहा है ।
५. परिवार के केन्द्र में होते हैं पति और पत्नी । पति और पत्नी अलग नहीं होते, वे दोनों मिलकर एक ही होते हैं ऐसे गृहीत का स्वीकार कर भारत में परिवार की कल्पना की गई है। इसका मूल अध्यात्म संकल्पना में है । परमात्मा जब सृष्टि के रूप में व्यक्त हुए तो सर्वप्रथम स्त्रीधारा और पुरुषधारा में विभाजित हुए । ये दोनों धारायें अपने आप में स्वतन्त्र रूप में अपूर्ण हैं । वे एक होने पर ही एक पूर्ण बनता है । यही एकात्मता है । ख्री और पुरुष की, पति और पत्नी की एकात्मता परिवार का केन्द्र बिन्दु है जिसके आधार पर परिवार का विस्तार होता जाता है ।
५. परिवार के केन्द्र में होते हैं पति और पत्नी । पति और पत्नी अलग नहीं होते, वे दोनों मिलकर एक ही होते हैं ऐसे गृहीत का स्वीकार कर भारत में परिवार की कल्पना की गई है। इसका मूल अध्यात्म संकल्पना में है । परमात्मा जब सृष्टि के रूप में व्यक्त हुए तो सर्वप्रथम स्त्रीधारा और पुरुषधारा में विभाजित हुए । ये दोनों धारायें अपने आप में स्वतन्त्र रूप में अपूर्ण हैं । वे एक होने पर ही एक पूर्ण बनता है । यही एकात्मता है । ख्री और पुरुष की, पति और पत्नी की एकात्मता परिवार का केन्द्र बिन्दु है जिसके आधार पर परिवार का विस्तार होता जाता है ।