५. परिवार के केन्द्र में होते हैं पति और पत्नी । पति और पत्नी अलग नहीं होते, वे दोनों मिलकर एक ही होते हैं ऐसे गृहीत का स्वीकार कर भारत में परिवार की कल्पना की गई है। इसका मूल अध्यात्म संकल्पना में है । परमात्मा जब सृष्टि के रूप में व्यक्त हुए तो सर्वप्रथम स्त्रीधारा और पुरुषधारा में विभाजित हुए । ये दोनों धारायें अपने आप में स्वतन्त्र रूप में अपूर्ण हैं । वे एक होने पर ही एक पूर्ण बनता है । यही एकात्मता है । ख्री और पुरुष की, पति और पत्नी की एकात्मता परिवार का केन्द्र बिन्दु है जिसके आधार पर परिवार का विस्तार होता जाता है । | ५. परिवार के केन्द्र में होते हैं पति और पत्नी । पति और पत्नी अलग नहीं होते, वे दोनों मिलकर एक ही होते हैं ऐसे गृहीत का स्वीकार कर भारत में परिवार की कल्पना की गई है। इसका मूल अध्यात्म संकल्पना में है । परमात्मा जब सृष्टि के रूप में व्यक्त हुए तो सर्वप्रथम स्त्रीधारा और पुरुषधारा में विभाजित हुए । ये दोनों धारायें अपने आप में स्वतन्त्र रूप में अपूर्ण हैं । वे एक होने पर ही एक पूर्ण बनता है । यही एकात्मता है । ख्री और पुरुष की, पति और पत्नी की एकात्मता परिवार का केन्द्र बिन्दु है जिसके आधार पर परिवार का विस्तार होता जाता है । |