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| | == उद्देश्य == | | == उद्देश्य == |
| − | १. जीवन व्यवहार किसी न किसी तरह के क्रियाकलाप से चलता है<ref>प्रारम्भिक पाठ्यक्रम एवं आचार्य अभिभावक निर्देशिका, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखिका: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। इसलिए
| + | # जीवन व्यवहार किसी न किसी तरह के क्रियाकलाप से चलता है<ref>प्रारम्भिक पाठ्यक्रम एवं आचार्य अभिभावक निर्देशिका, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखिका: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। इसलिए हाथ से काम करना सीखना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। उद्योग हाथ को काम करना सिखाता है। |
| − | | + | # हाथ की कुशलता अर्थात्: |
| − | हाथ से काम करना सीखना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। उद्योग हाथ को | + | ## एक ऊँगली एवं अंगूठे से, दो ऊँगली एवं अंगूठे से, पाँचों ऊँगलियों से, मुठ्ठी से, हथेली से, दोनों हाथों से पकड़ने की कुशलता। |
| − | | + | ## दबाना, पिरोना, लिखना, चित्रण करना, ब्रश घुमाना इत्यादि की कुशलता। इन सभी कुशलताओं के विकास के लिए उद्योग आवश्यक है। |
| − | काम करना सिखाता है। २. हाथ की कुशलता अर्थात् १. एक ऊँगली एवं अंगूठे से, दो ऊँगली एवं अंगूठे से, पाँचों ऊँगलियों | + | ## हाथ से किए गए सभी कामों का संबंध उपयोगी एवं सार्थक उत्पादन के साथ होता है। ये सभी काम व्यक्तिगत जीवन में स्वयं के लिए, अपने परिवार के लिए, समाज के लिए, देश के लिए, विश्व के लिए, एवं सृष्टि के लिए उपयोगी हों ऐसे होने चाहिए। जिससे एक ओर उद्योग के द्वारा हाथ भिन्न-भिन्न कार्यों को करने में कुशलता हासिल करते हैं, दूसरी ओर स्वावलंबन, परिवार, समाज, विश्व, सृष्टि आदि में स्वयं का जिसके साथ संबंध है उनके लिये उपयोगी बनना एवं उनकी सेवा करने के लिए सक्षम बनना भी सीखते हैं। |
| − | | + | ## अपने आसपास से प्राप्त सामग्री का योग्यतम, महत्तम उपयोग करने की एवं बिना उसे हानि पहुँचाए अधिक मूल्यवान बनाने की सूझबूझ भी उद्योग से प्राप्त होती है। |
| − | से, मुठ्ठी से, हथेली से, दोनों हाथों से पकड़ने की कुशलता। २. दबाना, पिरोना, लिखना, चित्रण करना, ब्रश घुमाना इत्यादि की | + | ## सभी बड़े एवं रचनात्मक कार्यों को करने के लिए उपयोगी कौशल विकसित करने के लिए कक्षा १ एवं २ के उद्योग की रचना की गई है। |
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| − | कुशलता। इन सभी कुशलताओं के विकास के लिए उद्योग | |
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| − | आवश्यक है। ३. हाथ से किए गए सभी कामों का संबंध उपयोगी एवं सार्थक उत्पादन | |
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| − | के साथ होता है। ये सभी काम व्यक्तिगत जीवन में स्वयं के लिए, अपने परिवार के लिए, समाज के लिए, देश के लिए, विश्व के लिए, एवं सृष्टि के लिए उपयोगी हों ऐसे होने चाहिए। जिससे एक ओर उद्योग के द्वारा हाथ भिन्न-भिन्न कार्यों को करने में कुशलता हासिल करते हैं, दूसरी ओर स्वावलंबन, परिवार, समाज, विश्व, सृष्टि आदि में स्वयं का जिसके साथ संबंध है उनके लिये उपयोगी बनना एवं उनकी | |
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| − | सेवा करने के लिए सक्षम बनना भी सीखते हैं। ४. अपने आसपास से प्राप्त सामग्री का योग्यतम, महत्तम उपयोग करने | |
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| − | की एवं बिना उसे हानि पहुँचाए अधिक मूल्यवान बनाने की सूझबूझ | |
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| − | भी उद्योग से प्राप्त होती है। ५. सभी बड़े एवं रचनात्मक कार्यों को करने के लिए उपयोगी कौशल | |
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| − | विकसित करने के लिए कक्षा १ एवं २ के उद्योग की रचना की गई है। | |
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| | == आलंबन == | | == आलंबन == |
| − | १. उद्योग में ऐसे किसी कार्य का समावेश नहीं होगा जिसका व्यवहार में कोई
| + | # उद्योग में ऐसे किसी कार्य का समावेश नहीं होगा जिसका व्यवहार में कोई उपयोग न हो। अर्थात् निरर्थक श्रम, खर्च या वस्तुओं की बरबादी को टालना होगा। |
| − | | + | # पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ के लिए हानिकारक ऐसी किसी भी सामग्री का उपयोग नहीं करना चाहिए या ऐसा कोई क्रिया कलाप नहीं करना चाहिए। |
| − | उपयोग न हो। अर्थात् निरर्थक श्रम, खर्च या वस्तुओं की बरबादी को | + | # परिवार की सेवा के केन्द्रबिन्दु स्वरूप भोजन बनाना, मूलभूत उद्योग के रूप में कृषि, सहायक उद्योग के रूप में कारीगरी, कलात्मक उद्योग के रूप में चित्र एवं इन सभी के लिए उपयोगी आधारभूत कौशलों का उद्योग में समावेश करना चाहिए। |
| | + | # इन सभी के आनुषंगिक गुणों के रूप में स्वच्छता, सुंदरता, सार्थकता, चुस्ती, व्यवस्थितता इत्यादि का महत्त्व समझा जा सके एवं संपूर्णता का आग्रह रखा जाए यह अपेक्षित है। |
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| − | टालना होगा। २. पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ के लिए हानिकारक ऐसी किसी भी सामग्री का
| + | == पाठ्यक्रम - क्रियाकलाप / कौशल एवं प्रयोजन == |
| | + | '''रेखा खींचना (कौशल)''' |
| | + | {| class="wikitable" |
| | + | |+ |
| | + | !क्रियाकलाप / कौशल |
| | + | !प्रयोजन |
| | + | |- |
| | + | |सीधी रेखा - खड़ी, तिरछी, आड़ी |
| | + | |लेखन की पूर्वतैयारी |
| | + | |- |
| | + | |टेढ़ी रेखा - अर्धगोल, गोल, टेढ़ीमेढी |
| | + | |चित्र की पूर्वतैयारी |
| | + | |- |
| | + | |हाथ से, फुटपट्टी से (तह बनाकर) |
| | + | |पहाड़े, जोड़, अन्य लेखन के लिए चौखटे बनाना इत्यादि। |
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| − | उपयोग नहीं करना चाहिए या ऐसा कोई क्रिया कलाप नहीं करना चाहिए। ३. परिवार की सेवा के केन्द्रबिन्दु स्वरूप भोजन बनाना, मूलभूत उद्योग के रूप
| + | भूमिति की आकृति की पूर्वतैयारी |
| − | | + | |} |
| − | में कृषि, सहायक उद्योग के रूप में कारीगरी, कलात्मक उद्योग के रूप में चित्र एवं इन सभी के लिए उपयोगी आधारभूत कौशलों का उद्योग में
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| − | समावेश करना चाहिए। ४. इन सभी के आनुषंगिक गुणों के रूप में स्वच्छता, सुंदरता, सार्थकता,
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| − | चुस्ती, व्यवस्थितता इत्यादि का महत्त्व समझा जा सके एवं संपूर्णता का
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| − | आग्रह रखा जाए यह अपेक्षित है। पाठ्यक्रम : क्रियाकलाप / कौशल एवं प्रयोजन
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| − | क्रियाकलाप / कौशल
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| − | प्रयोजन * रेखा खींचना (कौशल) १. सीधी रेखा - खड़ी, तिरछी, आड़ी १. लेखन की पूर्वतैयारी २. टेढ़ी रेखा - अर्धगोल, गोल, टेढ़ीमेढी २. चित्र की पूर्वतैयारी ३. हाथ से, फुटपट्टी से (तह बनाकर) ३. पहाड़े, जोड़, अन्य लेखन के लिए
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| − | चौखटे बनाना इत्यादि।
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| − | ४. भूमिति की आकृति की पूर्वतैयारी * काटना (कौशल) १. हाथ से, कैंची से, छूरी से १. कागज एवं कपडे के विभिन्न उपयोग २. अंदाज से, रेखा पर से, तह बनाकर के लिए। ३. कागज एवं अन्य वस्तुएँ २. फल, सागसब्जी आदि * तह करना (कौशल) १. कागज की
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| − | १. कवर चढ़ाने जैसे व्यावहारिक उपयोग
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| − | के लिए
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| − | १७
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| − | २. कपड़े की
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| − | | |
| − | २. भिन्न-भिन्न आकार एवं माप के कपड़े
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| | + | '''काटना (कौशल)''' |
| | + | {| class="wikitable" |
| | + | !क्रियाकलाप / कौशल |
| | + | !प्रयोजन |
| | + | |- |
| | + | |हाथ से, कैंची से, छूरी से |
| | + | | rowspan="2" |कागज एवं कपडे के विभिन्न उपयोग के लिए |
| | + | |- |
| | + | |अंदाज से, रेखा पर से, तह बनाकर |
| | + | |- |
| | + | |कागज एवं अन्य वस्तुएँ |
| | + | |फल, सागसब्जी आदि |
| | + | |} |
| | + | '''तह करना (कौशल)''' |
| | + | {| class="wikitable" |
| | + | !क्रियाकलाप / कौशल |
| | + | !प्रयोजन |
| | + | |- |
| | + | |कागज की |
| | + | |कवर चढ़ाने जैसे व्यावहारिक उपयोग |
| | + | |- |
| | + | |कपड़े की |
| | + | |भिन्न-भिन्न आकार एवं माप के कपड़े |
| | एवं कपड़ों को कम जगह में | | एवं कपड़ों को कम जगह में |
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| − | व्यवस्थित रखने के लिए। * चिपकाना (कौशल) १. लेई से, गोंद से, फेविकोल से १. भिन्न-भिन्न आकार तैयार करने के | + | व्यवस्थित रखने के लिए। |
| − | | + | |} |
| − | लिए । २. कागज तथा अन्य वस्तुएँ चिपकाना २. लिफाफा, तोरण तथा अन्य उपयोगी | + | '''चिपकाना (कौशल)''' |
| | + | {| class="wikitable" |
| | + | !क्रियाकलाप / कौशल |
| | + | !प्रयोजन |
| | + | |- |
| | + | |लेई से, गोंद से, फेविकोल से |
| | + | |भिन्न-भिन्न आकार तैयार करने के |
| | + | लिए । |
| | + | |- |
| | + | |कागज तथा अन्य वस्तुएँ चिपकाना |
| | + | |लिफाफा, तोरण तथा अन्य उपयोगी |
| | + | वस्तुएँ तैयार करना। |
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| − | वस्तुएँ तैयार करना। ३. अंगुली एवं तुलिका का उपयोग करके ।
| + | अंगुली एवं तुलिका का उपयोग करके । |
| | + | |} |
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| | === ईंट तैयार करना === | | === ईंट तैयार करना === |