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=== हरिद्वार(माया) ===
 
=== हरिद्वार(माया) ===
 
पावन क्षेत्र हरिद्वार को मायुपरी या गंगाद्वार नाम से भी जाना जाता है। मुसलमान इतिहासकार इस तीर्थ को गांगद्वार,वैष्णव हरिद्वार तथा शैव हरिद्वार के नाम से पुकारते हैं। टीम कोयराट ने, जिसने जहांगीर के शासनकाल में यहां की यात्रा की, इसे "शिव की राजधानी' बताया। चीनी यात्री हवेनसांग ने भीअपने यात्रा-वृत्तांत में हरिद्वार का वर्णन किया है। पवित्र गांग ३२० कि.मी. की पर्वत-क्षेत्र की यात्रा करने के बाद यहीं पर मैदानी भाग में प्रवेश करती हैं। यहाँ अनेक नवीन-प्राचीन आश्रम, मन्दिर तथा तीर्थक्षेत्र हैं।विल्वकेश्वर, नीलकण्ठ, गांगद्वार, कनखल तथा कुशावर्त प्रमुख तीर्थक्षेत्र हैं। दक्ष प्रजापति ने कनखल में ही वह इतिहास-प्रसिद्ध यज्ञ किया था जिसका सती के यज्ञागिन में जल जाने पर शिवगणों ने विध्वंस कर दिया था। हरिद्वार में कुंभ का मेला प्रति 12 वें वर्ष लगता है। हरिद्वार में भारत में विकसित सभी पंथ-सम्प्रदायों के पवित्र स्थान विराजमान हैं। यहाँ के हरि की पौड़ी तथा अन्य घाटोंपर गांगास्नान करने से अक्षय पुण्य मिलता है।' हरिद्वार के आसपास के क्षेत्र में सप्तसरोवर, मनसादेवी, भीमगोड़ा, ऋषिकेश आदि तीर्थ स्थापित हैं। भारत की सांस्कृतिक व धार्मिक सम्पदा का दिग्दर्शन कराने वाला सात मंजिला 'भारत माता मन्दिर’ निवर्तमान जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानन्दजी के अथक प्रयासों से बन चुका है। तार्किक व वैज्ञानिक स्तर पर धार्मिक मूल्यों के संरक्षण में रत शान्तिकुंज’ और ‘ब्रह्मवर्चस' हरिद्वार में ही हैं।  
 
पावन क्षेत्र हरिद्वार को मायुपरी या गंगाद्वार नाम से भी जाना जाता है। मुसलमान इतिहासकार इस तीर्थ को गांगद्वार,वैष्णव हरिद्वार तथा शैव हरिद्वार के नाम से पुकारते हैं। टीम कोयराट ने, जिसने जहांगीर के शासनकाल में यहां की यात्रा की, इसे "शिव की राजधानी' बताया। चीनी यात्री हवेनसांग ने भीअपने यात्रा-वृत्तांत में हरिद्वार का वर्णन किया है। पवित्र गांग ३२० कि.मी. की पर्वत-क्षेत्र की यात्रा करने के बाद यहीं पर मैदानी भाग में प्रवेश करती हैं। यहाँ अनेक नवीन-प्राचीन आश्रम, मन्दिर तथा तीर्थक्षेत्र हैं।विल्वकेश्वर, नीलकण्ठ, गांगद्वार, कनखल तथा कुशावर्त प्रमुख तीर्थक्षेत्र हैं। दक्ष प्रजापति ने कनखल में ही वह इतिहास-प्रसिद्ध यज्ञ किया था जिसका सती के यज्ञागिन में जल जाने पर शिवगणों ने विध्वंस कर दिया था। हरिद्वार में कुंभ का मेला प्रति 12 वें वर्ष लगता है। हरिद्वार में भारत में विकसित सभी पंथ-सम्प्रदायों के पवित्र स्थान विराजमान हैं। यहाँ के हरि की पौड़ी तथा अन्य घाटोंपर गांगास्नान करने से अक्षय पुण्य मिलता है।' हरिद्वार के आसपास के क्षेत्र में सप्तसरोवर, मनसादेवी, भीमगोड़ा, ऋषिकेश आदि तीर्थ स्थापित हैं। भारत की सांस्कृतिक व धार्मिक सम्पदा का दिग्दर्शन कराने वाला सात मंजिला 'भारत माता मन्दिर’ निवर्तमान जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानन्दजी के अथक प्रयासों से बन चुका है। तार्किक व वैज्ञानिक स्तर पर धार्मिक मूल्यों के संरक्षण में रत शान्तिकुंज’ और ‘ब्रह्मवर्चस' हरिद्वार में ही हैं।  
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=== काशी ===
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पूर्वी उत्तर प्रदेश में गंगा के तट पर स्थित, भगवान् शांकर की महिमा से मण्डित काशी (वाराणसी) को विश्व का प्राचीनतम नगर होने का गौरव प्राप्त है। यहाँ परशक्तिपीठ है, ज्योतिर्लिग है तथा यह सप्तपुरियों में से एक है। ऋग्वेद, शतपथ ब्राह्मण", नारद पुराण", महाभारत, रामायण, स्कन्द पुराण' आदि ग्रन्थों में काशी का वैभव-वर्णन श्रद्धा के साथ किया गया है। वरणा व असी नदी के मध्य स्थित होने के कारण इसका वाराणसी नाम प्रसिद्ध हुआ। बौद्धतीर्थ सारनाथ पास में ही स्थित है। विभिन्न विद्याओं के अध्ययन-केन्द्र, सभी पंथ-सम्प्रदायों के तीर्थ स्थल तथा भगवत्प्राप्ति के परम उपयुक्त क्षेत्र के रूप में काशी की प्रतिष्ठा है। शैव, शाक्त, वैष्णव, बौद्ध, जैन पंथों के उपासक काशी को पवित्र मानकर यात्रा-दर्शन करने यहाँ आते हैं। सातवें तथा तेइसवें तीर्थकरों का यहाँ आविर्भाव हुआ। भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश यहीं पास के सारनाथ में दिया। आदि शांकराचार्य नेअपनी धार्मिक दिग्विजय यात्रा यहीं से प्रारंभ कीथी। कबीर, रामानन्द, तुलसी सदृश संतों ने काशी कोअपनी कर्मभूमि बनाया। काशी में शास्त्रों के अध्ययन, अध्यापन की प्राचीन परम्परा रही है। भारत की सांस्कृतिक एकता को अक्षुण्ण रखने में काशी ने भारी योगदान किया है। यहाँ परतीन विश्वविद्यालय तथा कई संस्कृत अध्ययन केन्द्र हैं। प्रसिद्ध ज्योतिर्लिग काशी विश्वनाथ मन्दिर को औरंगजेब ने ध्वस्त कर उसके भग्नावशेषों पर मस्जिद बनवायी| कालान्तर में महारानी अहिल्याबाई ने मस्जिद के पास ही नवीन विश्वनाथ मन्दिर की प्रतिष्ठा करायी | महाराज रणजीत सिंह ने मन्दिर पर स्वणाँच्छादित शिखर चढ़ाया। काशी विश्वनाथ के मूल स्थान कोमुक्त कराने के प्रयास तेज हो गये हैं। मणिकर्णिका घाट, दशाश्वमेध घाट, केदारघाट, हनुमान घाट प्रमुख घाट हैं। हजारों मन्दिरों की नगरी काशी भारत की सांस्कृतिक राजधानी कही जा सकती है।
    
==References==
 
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