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भारत के पश्चिमी तट के गुजरात महाराष्ट्र तथा कर्नाटक राज्य में सह्याद्रि पर्वतमाला का विस्तार है। दक्षिण भारत की प्रमुख नदियों (गोदावरी, कृष्णा, कावेरी) के उद्गम-स्थान इसी श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं। त्रयम्बकेश्वर, महाबलेश्वर,भीमशकिर, ब्रह्मगिरि, भगवती भवानी, बौद्ध चैत्य प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र इसी पर्वत-श्रेणी में विराजमान हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज से सम्बन्धित कई दुर्ग (शिवनेरी, पन्हालगढ़, प्रतापगढ़, चाकन, रायगढ़) और शिवाजी महाराज की समाधि इस पर्वत की ऐतिहासिक धरोहर हैं। सह्याद्रि उत्तर-दक्षिण खड़ी दीवार के रूप में है। तटीय क्षेत्र में जाने के लिए थाल घाट, भोरघाट, नाना दरी, पालघाट होकर रेल व सड़क मार्ग बनाये गये हैं। सूरत, मुम्बई, रत्नागिरि, पजिम, मंगलौरआदि नगर इसके पश्चिम में समुद्र की ओर स्थित हैं। ब्रह्माजी ने सृष्टि के प्रारम्भ में यहाँ पर यज्ञ किया। दो देंत्यों अतिबल और महाबल ने यज्ञ में बाधा डाली तो विष्णुऔर भगवती आदि ने उनको मारकर यज्ञ को निर्विघ्न पूर्ण करा दिया। भगवान् विष्णु यहाँ पर अतिबलेश्वर, ब्रह्मा कोटीश्वर तथा शंकर महाबलेश्वर के रूप में विराजमान होकर आज भी प्रतिष्ठित हैं।   
 
भारत के पश्चिमी तट के गुजरात महाराष्ट्र तथा कर्नाटक राज्य में सह्याद्रि पर्वतमाला का विस्तार है। दक्षिण भारत की प्रमुख नदियों (गोदावरी, कृष्णा, कावेरी) के उद्गम-स्थान इसी श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं। त्रयम्बकेश्वर, महाबलेश्वर,भीमशकिर, ब्रह्मगिरि, भगवती भवानी, बौद्ध चैत्य प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र इसी पर्वत-श्रेणी में विराजमान हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज से सम्बन्धित कई दुर्ग (शिवनेरी, पन्हालगढ़, प्रतापगढ़, चाकन, रायगढ़) और शिवाजी महाराज की समाधि इस पर्वत की ऐतिहासिक धरोहर हैं। सह्याद्रि उत्तर-दक्षिण खड़ी दीवार के रूप में है। तटीय क्षेत्र में जाने के लिए थाल घाट, भोरघाट, नाना दरी, पालघाट होकर रेल व सड़क मार्ग बनाये गये हैं। सूरत, मुम्बई, रत्नागिरि, पजिम, मंगलौरआदि नगर इसके पश्चिम में समुद्र की ओर स्थित हैं। ब्रह्माजी ने सृष्टि के प्रारम्भ में यहाँ पर यज्ञ किया। दो देंत्यों अतिबल और महाबल ने यज्ञ में बाधा डाली तो विष्णुऔर भगवती आदि ने उनको मारकर यज्ञ को निर्विघ्न पूर्ण करा दिया। भगवान् विष्णु यहाँ पर अतिबलेश्वर, ब्रह्मा कोटीश्वर तथा शंकर महाबलेश्वर के रूप में विराजमान होकर आज भी प्रतिष्ठित हैं।   
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भारतवर्ष अनादि काल से एक इकाई के रूप में विद्यमान रहा है।  
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= चार धाम =
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भारत वर्ष अनादि काल से एक इकाई के रूप में विद्यमान रहा है।विशाल द्वीप पर यह एक पवित्र स्थल स्थापित है। यह भारत के अत्यन्तइसकी एकात्मता चारों दिशाओं में स्थित चारधामों के द्वारा और अधिकआदरणीय तीर्थस्थानों में से एक है। अति प्राचीन काल से यह मन्दिर पुष्ट हुई है। धुर दक्षिण में स्थिति रामेश्वर धाम में अधिष्ठित प्रतिमा काअत्यन्त पवित्र मान्यतायुक्त और सभी वगों के द्वारा पूजित रहा है। इसकी अभिषेक गंगाजल से किया जाता है। जातिबन्धन से मुक्त होकर पूजा-अर्चना के लिए इनकी यात्रा का विधान है | देश के सभी प्रान्तों के निवासी इनकी यात्रा कर स्वयं को धन्य मानते है |   
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विशाल द्वीप पर यह एक पवित्र स्थल स्थापित है। यह भारत के अत्यन्त
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=== बद्री नाथ ===
 
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स्थापना श्रीराम ने की थी अत: इसका नाम रामेश्वर पड़ा। शिव के आदिके लिए इनकी यात्रा का विधान है। देश के सभी प्रान्तों के निवासी इनकी द्वादश ज्योतिर्लिगों में रामेश्वरम् प्रमुख है। स्कन्द पुराण", रामायण,  
इसकी एकात्मता चारों दिशाओं में स्थित चारधामों के द्वारा औरअधिक
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आदरणीय तीर्थस्थानों में से एक है। अति प्राचीन काल से यह मन्दिर
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पुष्ट हुई है। धुर दक्षिण में स्थिति रामेश्वर धाम में अधिष्ठित प्रतिमा का
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अत्यन्त पवित्र मान्यतायुक्त और सभी वगों के द्वारा पूजित रहा है।इसकी
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अभिषेक गंगाजल सेकिया जाता है।जातिबन्धन सेमुक्त होकरपूजा-अर्जना
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स्थापना श्रीराम ने की थी अत: इसका नाम रामेश्वर पड़ा। शिव के आदि
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के लिए इनकी यात्रा का विधान है। देश के सभी प्रान्तों के निवासी इनकी  
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द्वादश ज्योतिर्लिगों में रामेश्वरम् प्रमुख है। स्कन्द पुराण", रामायण,  
      
यात्रा कर स्वयं को धन्य मानते हैं।  
 
यात्रा कर स्वयं को धन्य मानते हैं।  
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