स्थापना श्रीराम ने की थी अत: इसका नाम रामेश्वर पड़ा। शिव के आदिके लिए इनकी यात्रा का विधान है। देश के सभी प्रान्तों के निवासी इनकी द्वादश ज्योतिर्लिगों में रामेश्वरम् प्रमुख है। स्कन्द पुराण", रामायण,
+
बद्रीनाथ धाम भारत का सबसे प्राचीन तीर्थ क्षेत्र है। इसकी स्थापना सत्ययुग में हुई थी | सत्ययुग में नर और नारायण ने, त्रेता में भगवान दत्तात्रेय ने, द्वापर में वेद-व्यास और कलियुग में शंकराचार्य ने इस क्षेत्र की प्रतिष्ठा बढायी | बद्रीनाथ का मंदिर नारायण पर्वत की तलहटी में अलकनंदा के दायें किनारे पर स्थित है | यह स्थान माना दर्रे से ४० कि.मी. दक्षिण में है| नीति दर्रा यहाँ से कुछ दूर है| आदिशंकराचार्य ने इसके महत्वा को समझकर मंदिर में उस प्राचीन प्रतिमा की प्रतिष्ठा कराइ जो नारद कुण्ड में गिरकर खो गई थी| चंद्रवंशी गडवाल-नरेश ने विशार्ल मंदिर का निर्माण करवाया | महारानी अहिल्याबाई ने मंदिर पर सोने का शिखर चढ़वाया जो आज भी अपनी चमक बनाये हुए है | मन्दिर के समीप पांच तीर्थ ऋषि गंगा , कुर्मधारा, प्रहलाद धरा , तप्त कुण्ड और नारद कुण्ड स्थापित है|
−
−
यात्रा कर स्वयं को धन्य मानते हैं।
−
−
रामचरित मानस, शिवपुराण नामक ग्रन्थोंमें रामेश्वरम् की महिमा का वर्णन
−
−
किया गया हैं। बद्रीनाथ
−
−
बद्रीनाथ धाम भारत का सबसे प्राचीन तीर्थ क्षेत्र है। इसकी स्थापना
लंका परचढ़ाई से पूर्व भगवान् राम ने यहाँ शिवपूजन कर आशीर्वाद
लंका परचढ़ाई से पूर्व भगवान् राम ने यहाँ शिवपूजन कर आशीर्वाद