Changes

Jump to navigation Jump to search
Line 342: Line 342:  
लोभ से और मातापिता के आअज्ञान से यह शिक्षा चलती है । शिक्षाशास्त्र, मनोविज्ञान, व्यवहारशास्त्र इस बात का समर्थन नहीं करते तो भी यह चलता है । कई विद्यालय तो अपने
 
लोभ से और मातापिता के आअज्ञान से यह शिक्षा चलती है । शिक्षाशास्त्र, मनोविज्ञान, व्यवहारशास्त्र इस बात का समर्थन नहीं करते तो भी यह चलता है । कई विद्यालय तो अपने
 
पूर्वप्राथमिक विभाग में यदि प्रवेश नहीं लिया तो आगे की शिक्षा के लिये प्रवेश ही नहीं देते । “शिशुशिक्षा' नामक यह वस्तु महँगी भी बहुत है । शिशु शिक्षा होनी चाहिये घर में, आग्रह रखा जाता है विद्यालय में होने का । इसका एक कारण घर अब शिक्षा के केन्द्र नहीं रहे यह भी है । इस
 
पूर्वप्राथमिक विभाग में यदि प्रवेश नहीं लिया तो आगे की शिक्षा के लिये प्रवेश ही नहीं देते । “शिशुशिक्षा' नामक यह वस्तु महँगी भी बहुत है । शिशु शिक्षा होनी चाहिये घर में, आग्रह रखा जाता है विद्यालय में होने का । इसका एक कारण घर अब शिक्षा के केन्द्र नहीं रहे यह भी है । इस
विषय को ठीक करने हेतु एक बडा समाजव्यापी आन्दोलन करने की आवश्यकता है । परिवार प्रबोधन अर्थात्‌ माता-
+
विषय को ठीक करने हेतु एक बडा समाजव्यापी आन्दोलन करने की आवश्यकता है । परिवार प्रबोधन अर्थात्‌ माता- पिता की शिक्षा इस आन्दोलन का महत्त्वपूर्ण अंग है ।
पिता की शिक्षा इस आन्दोलन का महत्त्वपूर्ण अंग है ।
     −
३. प्राथमिक शिक्षा क्रिया और अनुभव प्रधान हो
+
=== ३. प्राथमिक शिक्षा क्रिया और अनुभव प्रधान हो ===
 +
शिक्षा विषयक एक अतिशय गलत धारणा यह बन गई है कि वह पढने लिखने से होती है। पुस्तकों और बहियों को, पढने और लिखने को इतना अधिक महत्त्व दिया जाता है कि शिक्षा होती है कि नहीं इस बात की ओर ध्यान ही नहीं है । अभिभावकों का आग्रह ऐसा होता है कि वे नियमन करने लगते हैं ।
   −
शिक्षा विषयक एक अतिशय गलत धारणा यह बन
+
प्राथमिक शिक्षा ज्ञानेन्ट्रियों और कर्मन्द्रियों का विकास करने की शिक्षा है। यह क्रिया आधारित और अनुभव आधारित होनी चाहिये । वह ऐसी हो इसलिये पुस्तकें और लेखन सामग्री कम होनी चाहिये
गई है कि वह पढने लिखने से होती है। पुस्तकों और
  −
बहियों को , पढने और लिखने को इतना अधिक महत्त्व
  −
दिया जाता है कि शिक्षा होती है कि नहीं इस बात की ओर
  −
ध्यान ही नहीं है । अभिभावकों का आग्रह ऐसा होता है
  −
कि वे नियमन करने लगते हैं
     −
प्राथमिक शिक्षा ज्ञानेन्ट्रियों और कर्मन्द्रियों का विकास
+
बालक को बस्ते की विशेष आवश्यकता ही नहीं है परन्तु इस आयु में ही बस्ता बहुत भारी हो जाता है
करने की शिक्षा है। यह क्रिया आधारित और अनुभव
  −
आधारित होनी चाहिये वह ऐसी हो इसलिये पुस्तकें और
  −
लेखन सामग्री कम होनी चाहिये
     −
बालक at aed की विशेष आवश्यकता ही नहीं
+
विभिन्न विषय सीखने की पद्धतियाँ भी भिन्न भिन्न होती हैं । भाषा बोलकर, पढकर, लिखकर सीखी जाती है, गणित गणना कर, संगीत गाकर, विज्ञान प्रयोग कर, इतिहास कहानी सुनकर सीखे जाने वाले विषय हैं । एक विषय की पद्धति दूसरे विषय को लागू नहीं हो सकती | उदाहरण के लिये संगीत पढकर नहीं सीखा जाता । गणित और विज्ञान भी पढकर नहीं सीखे जाते । शिक्षकों और अभिभावकों को यह मुद्दा समझने की अत्यन्त आवश्यकता है । यह भारतीय शिक्षा का या प्राचीन
है । परन्तु इस आयु में ही बस्ता बहुत भारी हो जाता है ।
  −
 
  −
विभिन्न विषय सीखने की पद्धतियाँ भी भिन्न भिन्न
  −
होती हैं । भाषा बोलकर, पढकर, लिखकर सीखी जाती है,
  −
गणित गणना कर, संगीत गाकर, विज्ञान प्रयोग कर,
  −
इतिहास कहानी सुनकर सीखे जाने वाले विषय हैं । एक
  −
विषय की पद्धति दूसरे विषय को लागू नहीं हो सकती |
  −
उदाहरण के लिये संगीत पढकर नहीं सीखा जाता । गणित
  −
और विज्ञान भी पढकर नहीं सीखे जाते । शिक्षकों और
  −
अभिभावकों को यह मुद्दा समझने की अत्यन्त आवश्यकता
  −
  −
 
  −
............. page-120 .............
  −
 
  −
   
  −
  −
 
  −
 
  −
है । यह भारतीय शिक्षा का या प्राचीन
   
शिक्षा का नियम नहीं है, यह विश्वमर के मनुष्यमात्र की
 
शिक्षा का नियम नहीं है, यह विश्वमर के मनुष्यमात्र की
 
शिक्षा का सार्वकालीन नियम है । यह अभिभावक प्रबोधन
 
शिक्षा का सार्वकालीन नियम है । यह अभिभावक प्रबोधन
 
का बहुत बडा विषय है ।
 
का बहुत बडा विषय है ।
४. गृहकार्य, ट्यूशन, कोचिंग, गतिविधियाँ
      +
=== ४. गृहकार्य, ट्यूशन, कोचिंग, गतिविधियाँ ===
 
शिक्षा को लेकर अभिभावकों के मनोमस्तिष्क इतने
 
शिक्षा को लेकर अभिभावकों के मनोमस्तिष्क इतने
 
ग्रस्त और त्रस्त हैं कि कितने ही अकरणीय कार्य करने में वे
 
ग्रस्त और त्रस्त हैं कि कितने ही अकरणीय कार्य करने में वे
1,815

edits

Navigation menu