Changes

Jump to navigation Jump to search
m
no edit summary
Line 271: Line 271:  
#राजा का न्यायालय
 
#राजा का न्यायालय
   −
पितामह ने लिखा है कि ग्राम में किया गया निर्णय नगर में पहुँचता है और नगर वाला निर्णय राजा के पास और राजा का निर्णय गलत है या सही, वही अन्तिम होता है।
+
पितामह ने लिखा है कि ग्राम में किया गया निर्णय नगर में पहुँचता है और नगर वाला निर्णय राजा के पास और राजा का निर्णय गलत है या सही, वही अन्तिम होता है। शास्त्रों में अपराध निवारण हेतु अथवा अधर्म उन्मूलन के लिये तथा धर्म की स्थापना के लिये जो उपाय उन्हैं कहीं दण्ड तथा कहीं शाप शब्द के द्वारा सम्बोधित किया जाता है। प्राचीन भारतवर्ष में दण्डव्यवस्था के प्रमुख दो रूप दृष्टिगोचर होते हैं - शपनम् इति शापः। प्रथम राजा के द्वारा दिया जाने वाला राजदण्ड तथा दूसरा ऋषि-महर्षियों, तपस्वियों द्वारा दिया जाने वाला शापदण्ड।
    
==उद्धरण॥ References==
 
==उद्धरण॥ References==
1,245

edits

Navigation menu