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कर्मकाण्ड कनिष्ठ अधिकारी के लिये है। उपासना एवं कर्म मध्यम के लिए। कर्म, उपासना और ज्ञान तीनों उत्तम के लिए हैं। पूर्वमीमांसाशास्त्र कर्मकाण्ड का प्रतिपादन है। इसका नाम पूर्वमीमांसा इस लिये पडा कि कर्मकाण्ड मनुष्य का प्रथम धर्म है, ज्ञानकाण्ड का अधिकार उसके उपरांत आता है। पूर्व आचरणीय कर्मकाण्ड से सम्बन्धित होने के कारण इसे पूर्वमीमांसा कहते हैं। ज्ञानकाण्ड-विषयक मीमांसा का दूसरा पक्ष उत्तरमीमांसा अथवा वेदान्त कहलाता है।   
 
कर्मकाण्ड कनिष्ठ अधिकारी के लिये है। उपासना एवं कर्म मध्यम के लिए। कर्म, उपासना और ज्ञान तीनों उत्तम के लिए हैं। पूर्वमीमांसाशास्त्र कर्मकाण्ड का प्रतिपादन है। इसका नाम पूर्वमीमांसा इस लिये पडा कि कर्मकाण्ड मनुष्य का प्रथम धर्म है, ज्ञानकाण्ड का अधिकार उसके उपरांत आता है। पूर्व आचरणीय कर्मकाण्ड से सम्बन्धित होने के कारण इसे पूर्वमीमांसा कहते हैं। ज्ञानकाण्ड-विषयक मीमांसा का दूसरा पक्ष उत्तरमीमांसा अथवा वेदान्त कहलाता है।   
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==कर्मकाण्ड के विविध आयाम==
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कर्मकाण्ड विस्तृत रूप में व्याप्त है। इसके अन्तर्गत हम दैनिक जीवन में जो भी कृत्य करते हैं अर्थात सभी नित्यकर्म कर्मकाण्ड के अन्तर्गत आते हैं -
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* त्रिकाल संध्या
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*तर्पण एवं श्राद्ध
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*देव पूजन
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*पञ्चमहायज्ञ
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*दानशीलता
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*व्रत, पर्व एवं उत्सव
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*सोलह संस्कारों का परिपालन
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भारतीय संस्कृति में व्रत, त्यौहार, उत्सव आदि विशेष महत्व रखते हैं। सनातन धर्म में ही सबसे अधिक त्यौहार मनाये जाते हैं, भारतीय ऋषि-मुनियों ने त्यौहारों के रूप में जीवन को सरस और सुन्दर बनाने की योजनाएँ रखी हैं।
    
==कर्मकाण्ड का महत्व==
 
==कर्मकाण्ड का महत्व==
ऋषियों ने निष्कर्ष निकाला कि मानव जीवन का उद्देश्य स्वयं को पहचानना, स्वयं को सीमाओं और बाधाओं से स्वयं को मुक्त करना और परम सत्य को जानकर आनंद का अनुभव करना है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उन्होंने एक व्यक्ति के विकास के लिए एक मार्ग सामने रखा है। जीवन के प्रारंभ में हममें से प्रत्येक एक से यह अपेक्षा की जाती है कि हम गतिविधियों की विश्व में व्यस्त हों, सक्रिय रूप से योगदान दें और सुरक्षित जीवन का आनंद लें। इस दिशा में ऋषियों ने कर्म-कांड का प्रस्ताव रखा। कर्म-कांड व्यक्ति को मन की शुद्धता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है जब हम विश्व के साथ जुड़ते हैं। क्योंकि वैदिक जीवन मुख्य रूप से यज्ञ पर केंद्रित था, इसलिए यज्ञ से संबंधित कई निर्देश और संचालन संरचनाएँ कर्म-कांड का भाग है।
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ऋषियों ने निष्कर्ष निकाला कि मानव जीवन का उद्देश्य स्वयं को पहचानना, स्वयं को सीमाओं और बाधाओं से स्वयं को मुक्त करना और परम सत्य को जानकर आनंद का अनुभव करना है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उन्होंने एक व्यक्ति के विकास के लिए एक मार्ग सामने रखा है। जीवन के प्रारंभ में हममें से प्रत्येक एक से यह अपेक्षा की जाती है कि हम गतिविधियों की विश्व में व्यस्त हों, सक्रिय रूप से योगदान दें और सुरक्षित जीवन का आनंद लें। इस दिशा में ऋषियों ने कर्म-कांड का प्रस्ताव रखा -
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*कर्म-कांड व्यक्ति को मन की शुद्धता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है जब हम विश्व के साथ जुड़ते हैं।
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*वैदिक जीवन मुख्य रूप से यज्ञ पर केंद्रित था, इसलिए यज्ञ से संबंधित कई निर्देश और संचालन संरचनाएँ कर्म-कांड का भाग है।
    
==सारांश==
 
==सारांश==
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