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जल जीवन है तो वृक्ष उसके प्राण हैं, आयुर्वेद तने के रूप में इसकी इन्द्रियाँ हैं तो वृक्ष उसके  
 
जल जीवन है तो वृक्ष उसके प्राण हैं, आयुर्वेद तने के रूप में इसकी इन्द्रियाँ हैं तो वृक्ष उसके  
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===लक्षण एवं उपचार===
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==लक्षण एवं उपचार==
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यह चिकित्सा विज्ञान परम उपयोगी यशवर्द्धक, आयुरक्षक तथा पौष्टिक है। चिकित्साशास्त्र का प्रमुख लक्ष्य है रोग निवारण।प्राचीन काल में रोग निवारण से अधिक ध्यान रोग न हो इस पर था। प्राचीन वैदिक संहिता में मानव जीवन के दीर्घायु के लिए लता-वन-वनस्पति-वृक्षादि का महत्व प्रतिपादित है।<ref>डॉ० उर्मिला श्रीवास्तव - [https://dn790002.ca.archive.org/0/items/vedvigyanshridrurmilashrivastava/Ved%20Vigyan%20Shri%20-%20Dr%20Urmila%20Shrivastava.pdf वेदविज्ञानश्रीः] , डॉ० उमारमण झा-वैदिक संहिता में चिकित्सा विज्ञान, आर्य कन्या डिग्री कॉलेज, इलाहाबाद (पृ० 92)।</ref>
    
==उद्धरण==
 
==उद्धरण==
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