Difference between revisions of "Kena Upanishad (केन उपनिषद्)"
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Revision as of 19:39, 8 March 2024
केन उपनिषद् सामवेदीय तवलकार शाखा से सम्बद्ध है। जैमिनीय तवलकार ब्राह्मण का नवम अध्याय ही यह उपनिषद् है। इसीलिये इसे तवलकारोपनिषद् तथा ब्राह्मणोपनिषद् भी कहते हैं। केनोपनिषद् में आरम्भ से अन्त पर्यन्त परम ब्रह्म के स्वरूप और प्रभाव का वर्णन है। इस उपनिषद् का मूलस्रोत अथर्ववेदीय केनसूक्त (१०/२) माना जा सकता है।