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संवत् भारतीय कालगणना की वर्ष ज्ञान के लिये एक बृहद् इकाई है। भारतवर्ष में अनेक संवत् प्रचलित हैं। काल गणनामें कल्प, मन्वन्तर, युगादि के पश्चात् संवत्सरका नाम आता है। गणना पद्धति के अन्तर्गत समय मापने की छोटी-बडी इकाइयों का निर्धारण व इन इकाइयों के लिये ग्रहों,नक्षत्रों, चन्द्र, सूर्य की चालों का अध्ययन आवश्यक है। इस कार्य को खगोलशास्त्रियों व पंचांग निर्माताओं द्वारा किया जाता है। इस प्रकार निर्धारित की गई गणना पद्धति को आधार मानते हुये, किसी भी स्मरणीय घटना से वर्षों की गिनती आरम्भ कर देना तथा इस गणना को एक नाम दे देना संवत् कहलाता है। मुख्यतः राजाओं तथा धार्मिक आचार्यों के द्वारा संवत् प्रारंभ हुये हैं। गणना पद्धति के निर्माता व उसको विकसित करने वाले व्यक्ति व संवत् प्रारंभ करने वाले व्यक्ति  अलग-अलग हैं। यह आवश्यक नहीं संवत् आरम्भ करने वाले इन राजाओं आदि को गणना-पद्धति का बहुत सूक्ष्मता से ज्ञान था वरन् ये लोक प्रसिद्ध थे और इनके जीवन की घटनायें इतनी महत्त्वपूर्ण थी कि सदियों तक उनकी स्मृति लोगों में बनी रही तथा ये प्रसिद्ध राजा व व्यक्तित्व विशेष संवत् के आरम्भ करता रहे हैं।
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संवत् भारतीय कालगणना की वर्ष ज्ञान के लिये एक बृहद् इकाई है। भारतवर्ष में अनेक संवत् प्रचलित हैं। काल गणनामें कल्प, मन्वन्तर, युगादि के पश्चात् संवत्सरका नाम आता है। गणना पद्धति के अन्तर्गत समय मापने की छोटी-बडी इकाइयों का निर्धारण व इन इकाइयों के लिये ग्रहों,नक्षत्रों, चन्द्र, सूर्य की चालों का अध्ययन आवश्यक है। इस कार्य को खगोलशास्त्रियों व पंचांग निर्माताओं द्वारा किया जाता है। इस प्रकार निर्धारित की गई गणना पद्धति को आधार मानते हुये, किसी भी स्मरणीय घटना से वर्षों की गिनती आरम्भ कर देना तथा इस गणना को एक नाम दे देना संवत् कहलाता है।
    
==परिचय==
 
==परिचय==
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ऐतिहासिक (राजाओं) तथा धर्म चरित्रों के द्वारा संवत् प्रारंभ हुये हैं। गणना पद्धति के निर्माता व उसको विकसित करने वाले व्यक्ति व संवत् प्रारंभ करने वाले व्यक्ति  अलग-अलग हैं। यह आवश्यक नहीं संवत् आरम्भ करने वाले इन राजाओं आदि को गणना-पद्धति का बहुत सूक्ष्मता से ज्ञान था वरन् ये लोक प्रसिद्ध थे और इनके जीवन की घटनायें इतनी महत्त्वपूर्ण थी कि सदियों तक उनकी स्मृति लोगों में बनी रही तथा ये प्रसिद्ध राजा व व्यक्तित्व विशेष संवत् के आरम्भ करता रहे हैं।<ref>अपर्णा शर्मा, भारतीय संवतों का इतिहास, सन् १९९४, दिल्लीः एस०एस० पब्लिशर्स, प्राक्कथन, पृ०(ख)।</ref>
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==परिभाषा==
 
==परिभाषा==
 
संवसन्ति वर्षाणि संवस्-सरन्  इति सः संवत्।(आप्टे)<ref>आप्टे शब्दकोष १।२।४</ref>
 
संवसन्ति वर्षाणि संवस्-सरन्  इति सः संवत्।(आप्टे)<ref>आप्टे शब्दकोष १।२।४</ref>
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|}यह तुलना इस बातको तो स्पष्ट ही कर देती है कि भारतीय संवत् अत्यन्त प्राचीन हैं। साथ ही ये गणितकी दृष्टिसे अत्यन्त सुगम और सर्वथा ठीक हिसाब रखकर निश्चित किये गये हैं।
 
|}यह तुलना इस बातको तो स्पष्ट ही कर देती है कि भारतीय संवत् अत्यन्त प्राचीन हैं। साथ ही ये गणितकी दृष्टिसे अत्यन्त सुगम और सर्वथा ठीक हिसाब रखकर निश्चित किये गये हैं।
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== धर्म चरित्रों से संबन्धित सम्वत् ==
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भारत में कुछ सम्वतों का सम्बन्ध धर्म प्रचारकों, धर्म प्रवर्तकों अथवा आध्यात्मिक चरित्रों के जीवन की घटनाओं से है। इनमें जन्म, ज्ञान प्राप्ति अथवा मोक्ष प्राप्ति की घटना से आरम्भ होने वाले सम्वत् हैं।
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=== सृष्टि संवत् ===
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सृष्टि के नाम पर ही यह सम्वत् सृष्टि सम्वत् के नाम से जाना जाता है। सृष्टि सम्वत् के अतिरिक्त यह कल्प सम्वत् भी कहा जाता है।
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===राष्ट्रीय सम्वत्===
 
===राष्ट्रीय सम्वत्===
 
भारतमें केन्द्र सरकारके निर्णयके अनुसार २२ मार्च १९५७ से शक सम्वत् को राष्ट्रीय सम्वत् घोषित कर दिया गया है। यह प्रतिवर्ष २२ मार्चसे प्रारम्भ होता है।
 
भारतमें केन्द्र सरकारके निर्णयके अनुसार २२ मार्च १९५७ से शक सम्वत् को राष्ट्रीय सम्वत् घोषित कर दिया गया है। यह प्रतिवर्ष २२ मार्चसे प्रारम्भ होता है।
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=== युधिष्ठिर संवत् ===
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आसन् मघासु मुनयः शासति पृथ्वीं युधिष्ठिरे नृपतौ। षड्द्विपञ्चद्वि (२५२६) युतः शककालस्तस्य राज्ञश्च॥
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युधिष्ठिर के राज्यमें आसीन होने के समय से युधिष्ठिर संवत् का प्रारंभ हुआ।
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===विक्रम सम्वत्===
 
===विक्रम सम्वत्===
 
यह सम्वत् उज्जयिनीके सम्राट् विक्रमादित्यने चलाया था। यह प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदासे प्रारंभ होता है। इसमें दिन, वार और तिथिका प्रारम्भ सूर्योदयसे माना जाता है।
 
यह सम्वत् उज्जयिनीके सम्राट् विक्रमादित्यने चलाया था। यह प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदासे प्रारंभ होता है। इसमें दिन, वार और तिथिका प्रारम्भ सूर्योदयसे माना जाता है।
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===इस्लामी हिजरी सन्===
 
===इस्लामी हिजरी सन्===
 
इसकी उत्पत्ति अरब देश में हुई थी। भारतमें इसका प्रचार मुसलमानी राज्यकालसे हुआ है। हिजरत का अर्थ है संकट में देशत्याग। पैगम्बर मुहम्मद साहब १५ जुलाई सन् ६२२ ई०तदनुसार शाके ५४४ श्रावण शुक्ल, गुरुवारकी रात्रि (मुसलमानोंकी शुक्रवारकी रात)- को अपने वतन मक्काको छोडकर मदीना चले गये थे। पैगम्बर साहबके हिजरतकी यह घटना ही इस सन् का आरम्भ काल है। इसीलिये इसे हिजरी सन् कहते हैं। इसमें चान्द्रवर्ष ३५४ या ३५५ दिन का होता है। इसमें अधिकमास नहीं होता। महीनेका आरम्भ शुक्लपक्षकी प्रतिपदा या द्वितीयाके चन्द्रदर्शनके बाद होता है। महीने के दिनों को पहला चाँद, दूसरा चाँद आदि कहते हैं। एक मास में २९या ३० चाँद दिन होते हैं। इसमें वार और तारीखका प्रारम्भ सूर्यास्तसे होता है। मुहर्रम महीनेसे जिलहिजतक १२ महीने होते हैं।
 
इसकी उत्पत्ति अरब देश में हुई थी। भारतमें इसका प्रचार मुसलमानी राज्यकालसे हुआ है। हिजरत का अर्थ है संकट में देशत्याग। पैगम्बर मुहम्मद साहब १५ जुलाई सन् ६२२ ई०तदनुसार शाके ५४४ श्रावण शुक्ल, गुरुवारकी रात्रि (मुसलमानोंकी शुक्रवारकी रात)- को अपने वतन मक्काको छोडकर मदीना चले गये थे। पैगम्बर साहबके हिजरतकी यह घटना ही इस सन् का आरम्भ काल है। इसीलिये इसे हिजरी सन् कहते हैं। इसमें चान्द्रवर्ष ३५४ या ३५५ दिन का होता है। इसमें अधिकमास नहीं होता। महीनेका आरम्भ शुक्लपक्षकी प्रतिपदा या द्वितीयाके चन्द्रदर्शनके बाद होता है। महीने के दिनों को पहला चाँद, दूसरा चाँद आदि कहते हैं। एक मास में २९या ३० चाँद दिन होते हैं। इसमें वार और तारीखका प्रारम्भ सूर्यास्तसे होता है। मुहर्रम महीनेसे जिलहिजतक १२ महीने होते हैं।
==शक एवं संवत्==
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== ऐतिहासिक संवत् ==
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==शालीवाहन शक एवं विक्रम संवत्==
 
भारत में विक्रम संवत् तथा शालीवाहन शक का विशेष प्रचार है। विक्रमादित्य राजा ने विक्रम संवत् का प्रारम्भ किया और शालीवाहन ने शक का प्रारंभ किया। इस समय विक्रम संवत् २०७९ तथा शक संवत् १९४४ है। शक से संवत् १३५ वर्ष पुराना है। व्यापारियों का विक्रम संवत् दीपावली से प्रारंभ होता है एवं दक्षिण भारत में भी प्रायः विक्रम संवत् कार्तिक से प्रारंभ होता है और शेष भारत में प्रायः चैत्र से विक्रम संवत् का प्रारंभ होता है।शक का प्रारंभ सभी जगह चैत्र से ही होता है।
 
भारत में विक्रम संवत् तथा शालीवाहन शक का विशेष प्रचार है। विक्रमादित्य राजा ने विक्रम संवत् का प्रारम्भ किया और शालीवाहन ने शक का प्रारंभ किया। इस समय विक्रम संवत् २०७९ तथा शक संवत् १९४४ है। शक से संवत् १३५ वर्ष पुराना है। व्यापारियों का विक्रम संवत् दीपावली से प्रारंभ होता है एवं दक्षिण भारत में भी प्रायः विक्रम संवत् कार्तिक से प्रारंभ होता है और शेष भारत में प्रायः चैत्र से विक्रम संवत् का प्रारंभ होता है।शक का प्रारंभ सभी जगह चैत्र से ही होता है।
 
==विक्रमसंवत् से संवत्सर का ज्ञान==
 
==विक्रमसंवत् से संवत्सर का ज्ञान==
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== उद्धरण ==
 
== उद्धरण ==
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<references />
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[[Category:Vedangas]]
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[[Category:Jyotisha]]
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