Changes

Jump to navigation Jump to search
m
no edit summary
Line 5: Line 5:  
योग पंचांग का एक प्रमुख अंग है। सैद्धान्तिक दृष्टि से सूर्य एवं चन्द्रमा के गति योग को योग कहलाते हैं। योग दो प्रकार के होते हैं- एक स्थिरात्मक और दूसरा चलायमान। विष्कुम्भादि योग चलायमान हैं और आनन्दादि योग स्थिर।
 
योग पंचांग का एक प्रमुख अंग है। सैद्धान्तिक दृष्टि से सूर्य एवं चन्द्रमा के गति योग को योग कहलाते हैं। योग दो प्रकार के होते हैं- एक स्थिरात्मक और दूसरा चलायमान। विष्कुम्भादि योग चलायमान हैं और आनन्दादि योग स्थिर।
   −
पंचांग में दो प्रकार के योग दिये जाते हैं- प्रथम विष्कम्भादि योग और दूसरा आनन्दादि योग। विष्कम्भ आदि योगों की परिकल्पना गणितीय है। यह सूर्य चन्द्र के स्पष्ट योग पर आश्रित हैं। ज्योतिषशास्त्र के विकासक्रम में तिथि और नक्षत्र का गणित सर्वप्रथम आया। योग का गणित बाद में आया है। अतः विष्कम्भादि योगों की परिकल्पना गणितीय है। यह सूर्य चन्द्र के स्पष्ट योग पर आश्रित है। ज्योतिषशास्त्र के विकासक्रम में तिथि और नक्षत्र का गणित सबसे पहले आया। योग का गणित बाद में आया है। अतः विष्कम्भादि योग मौलिक योग कहे जायेंगे, जबकि आनन्दादि योग वार और नक्षत्र के संयोग से कल्पित हैं।
+
पंचांग में दो प्रकार के योग दिये जाते हैं- प्रथम विष्कम्भादि योग और दूसरा आनन्दादि योग। विष्कम्भ आदि योगों की परिकल्पना गणितीय है। यह सूर्य चन्द्र के स्पष्ट योग पर आश्रित हैं। ज्योतिषशास्त्र के विकासक्रम में तिथि और नक्षत्र का गणित सर्वप्रथम आया। योग का गणित बाद में आया है। अतः विष्कम्भादि योगों की परिकल्पना गणितीय है। यह सूर्य चन्द्र के स्पष्ट योग पर आश्रित है। ज्योतिषशास्त्र के विकासक्रम में तिथि और नक्षत्र का गणित सबसे पहले आया। योग का गणित बाद में आया है। अतः विष्कम्भादि योग मौलिक योग कहे जायेंगे, जबकि आनन्दादि योग वार और नक्षत्र के संयोग से कल्पित हैं।  
    
== योगों का महत्व ==
 
== योगों का महत्व ==
Line 557: Line 557:     
== सन्दर्भ ==
 
== सन्दर्भ ==
 +
<references />
 +
[[Category:Vedangas]]
 +
[[Category:Jyotisha]]
925

edits

Navigation menu