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| + | == परिचयः ॥ Introduction == |
| + | Consider the following examples: |
| + | |
| + | • नीलकमलस्य सौन्दर्यं कविहृदयम् आह्लादयति। |
| + | |
| + | Versus |
| + | |
| + | • नीलस्य कमलस्य सौन्दर्यं कवेः हदयम् आह्लादयति। |
| + | |
| + | • जन्मदिनस्य शुभाशयाः। |
| + | |
| + | Versus |
| + | |
| + | • जन्मनः दिनस्य शुभाः आशयाः। |
| + | |
| + | • रामलक्ष्मणभरतशत्रुघ्नाः दशरथपुत्राः। |
| + | |
| + | Versus |
| + | |
| + | • रामः च लक्ष्मणः च भरतः च शत्रुघ्नः च दशरथस्य पुत्राः। |
| + | |
| + | What do you observe? |
| + | |
| + | • Two (or more) related words (सुबन्तपदानि) combine to form a single word (सुबन्तपदम्) |
| + | |
| + | • The single (compound) word is called समासः or समस्तपदम् |
| + | |
| + | • The समासः has a new meaning based on the meanings of its words |
| + | |
| + | • Example: |
| + | |
| + | • नीलं and कमलम् padas combine to form a new praatipadikam नीलकमल |
| + | |
| + | • नीलकमल has a new meaning (based on meanings नीलं and कमलम्)<ref name=":0">Amit Rao, Samasa - an alternate introduction, Vidyasvam.</ref> |
| + | |
| == What is a समास ? == | | == What is a समास ? == |
| ० The process of two पदऽ combining to become one पद is called समास | | ० The process of two पदऽ combining to become one पद is called समास |
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| Eg: दशरथस्य पुत्रः रामः => दशरथपुत्रः रामः दशरथपुत्र is the समस्तपद. | | Eg: दशरथस्य पुत्रः रामः => दशरथपुत्रः रामः दशरथपुत्र is the समस्तपद. |
| | | |
− | ० In this example the primary meaning is राम. Primary meaning is called the प्रधानार्थः. The expansion of the समस्तपद to understand the meaning is called विग्रह-वाक्य Eg: दशरथस्य पुत्रः. | + | ० In this example the primary meaning is राम. Primary meaning is called the प्रधानार्थः. The expansion of the समस्तपद to understand the meaning is called विग्रह-वाक्य Eg: दशरथस्य पुत्रः.<ref name=":1">Sridhar Subbanna, Samasa, Samskritadhyayana Karyashala, Vidyasvam.</ref> |
| + | |
| + | • The समस्तपदम् has a प्रातिपदिक form like any other सुबन्त |
| + | |
| + | • The विभक्तिऽ of the पद’s are not seen in the समास (they get लोप) |
| + | |
| + | • But their effect is seen in the meaning of the samastapadam |
| + | |
| + | • The samasta praatipadikam then gets a vibhakti based on its role in the vaakya, to form a padam like any other subanta |
| + | |
| + | • Example: |
| + | |
| + | • नीलं and कमलम् padas combine to form the samaasa praatipadikam नीलकमल |
| + | |
| + | • In this sentence, it gets षष्ठीविभक्तिः to form नीलकमलस्य |
| + | |
| + | A shloka defining samaasa |
| + | |
| + | • विभक्तिलृप्यते यत्र तदर्थस्तु प्रतीयते। |
| + | |
| + | पदानां चैकपद्यं च समासः सोऽभिधीयते।। |
| + | |
| + | => |
| + | |
| + | विभक्तिः, लुप्यते, यत्र, तदर्थः, तु, प्रतीयते। |
| + | |
| + | पदानाम्, च, ऐकपद्यम्, च, समासः, सः, अभिधीयते॥ |
| + | |
| + | => |
| + | |
| + | Where the vibhakti gets hidden, but its meaning is apparent, and where padams get merged into a single padam, that is called a samaasa.<ref name=":0" /> |
| | | |
| == Conditions to initiate a Samasa == | | == Conditions to initiate a Samasa == |
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Line 86: |
| ० They should have सामर्थ्य | | ० They should have सामर्थ्य |
| | | |
− | ० A prescribing सूत्र | + | ० A prescribing सूत्र<ref name=":1" /> |
| | | |
| == सामर्थ्य == | | == सामर्थ्य == |
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Line 105: |
| दशरथस्य पुत्रः रामः आगच्छति । | | दशरथस्य पुत्रः रामः आगच्छति । |
| | | |
− | दशरथपुत्रः रामः आगच्छति । | + | दशरथपुत्रः रामः आगच्छति ।<ref name=":1" /> |
| | | |
| === सामर्थ्यं नास्ति === | | === सामर्थ्यं नास्ति === |
Line 53: |
Line 118: |
| It is said that | | It is said that |
| | | |
− | सापेक्षम् असमर्थम् भवति । | + | सापेक्षम् असमर्थम् भवति ।<ref name=":1" /> |
| | | |
| == समास - Process == | | == समास - Process == |
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Line 133: |
| ० Then विभक्ति is added to make it a सुबन्त-पद - दशरथपुत्रः | | ० Then विभक्ति is added to make it a सुबन्त-पद - दशरथपुत्रः |
| | | |
− | ० The first पद in the समस्तपद is called पूर्वपद , second one is called उत्तरपद . | + | ० The first पद in the समस्तपद is called पूर्वपद , second one is called उत्तरपद .<ref name=":1" /> |
| | | |
| == Structure of समास-विधायक-सूत्र == | | == Structure of समास-विधायक-सूत्र == |
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Line 160: |
| Eg : रामः ग्रामं गतः => रामः ग्रामगतः , | | Eg : रामः ग्रामं गतः => रामः ग्रामगतः , |
| | | |
− | रामः फलं प्राप्तः => रामः फल्प्राप्तः | + | रामः फलं प्राप्तः => रामः फल्प्राप्तः<ref name=":1" /> |
| | | |
| == Order of पूर्वपद and उत्तरपद == | | == Order of पूर्वपद and उत्तरपद == |
− | ० In the समस्तपद, among the two सुबन्त-पदऽ, which one should be पूर्वपद, Wwhich one should be उत्तरपद ? | + | ० In the समस्तपद, among the two सुबन्त-पदऽ, which one should be पूर्वपद, Which one should be उत्तरपद ? |
| | | |
| ० The one referred by प्रथमा-विभक्ति in the सूत्र will get a संज्ञा called उपसर्जन , and that having उपसर्जन-संज्ञा will becone पूर्वपद and other one will become उत्तरपद. | | ० The one referred by प्रथमा-विभक्ति in the सूत्र will get a संज्ञा called उपसर्जन , and that having उपसर्जन-संज्ञा will becone पूर्वपद and other one will become उत्तरपद. |
Line 104: |
Line 169: |
| ० In the previous example, in the sutra, द्वितीया is in प्रथमा-विभक्ति, hence the सुबन्त - ग्रामं which is in द्वितीया-विभक्ति is referred by the word द्वितीया in the सूत्र. | | ० In the previous example, in the sutra, द्वितीया is in प्रथमा-विभक्ति, hence the सुबन्त - ग्रामं which is in द्वितीया-विभक्ति is referred by the word द्वितीया in the सूत्र. |
| | | |
− | ० So, ग्रामं will get the उपसर्जन-संज्ञा. Hence, ग्राम -becomes पूर्वपद in ग्रामं गतः => ग्रामगतः | + | ० So, ग्रामं will get the उपसर्जन-संज्ञा. Hence, ग्राम -becomes पूर्वपद in ग्रामं गतः => ग्रामगतः<ref name=":1" /> |
| | | |
| === अभ्यास I === | | === अभ्यास I === |
Line 131: |
Line 196: |
| | | |
| 4. नरकपतितः 4. सुखापन्ना | | 4. नरकपतितः 4. सुखापन्ना |
| + | |
| + | == Classification of Samasas == |
| + | Q: What is the difference between नीलकमलम् and दशरथपुत्रः? |
| + | |
| + | A: The way the meaning combines is different. |
| + | |
| + | • This can be seen from the respective '''विग्रहवाक्यऽ:''' |
| + | |
| + | • नीलं कमलं नीलकमलम्। |
| + | |
| + | • दशरथस्य पुत्रः दशरथपुत्रः। |
| + | |
| + | • The first pada is called पूर्वपद, the second is called उत्तरपद |
| + | |
| + | • In नीलकमल, नील is पूर्वपद, and कमल is उत्तरपद |
| + | |
| + | • In दशरथपुत्र, दशरथ is पूर्वपद, and पुत्र is उत्तरपद |
| + | |
| + | • Samaasas are classified based on how the पूर्वपद and उत्तरपद combine to give the primary meaning of the samaasa. There are basically 4 ways:<ref name=":0" /> |
| + | {| class="wikitable" |
| + | |+Classification of Samasa |
| + | !Sr.no. |
| + | !Type |
| + | !Primary meaning |
| + | !Name |
| + | !Example |
| + | |- |
| + | |1 |
| + | |पूर्वपदप्रधान |
| + | |Meaning of पूर्वपद |
| + | |अव्ययीभाव |
| + | |उपवृक्षम् = वृक्षस्य समीपम् |
| + | |- |
| + | |2 |
| + | |उत्तरपदप्रधान |
| + | |Meaning of उत्तरपद |
| + | |तत्पुरुष |
| + | |दशरथपुत्रः = दशरथस्य पुत्रः |
| + | |- |
| + | |3 |
| + | |उभयपदप्रधान |
| + | |Meaning of both पूर्व and उत्तरपदs |
| + | |द्वन्द्व |
| + | |रामकृष्णौ = रामः च कृष्णः च |
| + | |- |
| + | |4 |
| + | |अन्यपदप्रधान |
| + | |Meaning of neither पूर्व nor उत्तरपद |
| + | |बहुव्रीहि |
| + | |पीताम्बरः = पीतम् अम्बरं यस्य सः |
| + | |} |
| + | |
| + | == Samasa and Sandhi == |
| + | • Sandhi- adjoining वर्णऽ combine for smoother pronunciation |
| + | |
| + | • E.g. इक् + अच् => यण् + अच् (इको यणचि) - यदि + अत्र = यद्यत्र |
| + | |
| + | • It is a '''sound-level-merge''' |
| + | |
| + | • Samaasa - related सुबन्तऽ combine for compact expression |
| + | |
| + | • E.g. दशरथस्य पुत्रः => दशरथपुत्रः |
| + | |
| + | • It is a '''meaning-level-merge''' |
| + | |
| + | • A samaasa may involve sandhi if applicable |
| + | |
| + | • E.g. गणानां ईशः गणेशः (samaasa), in this गण+ईश => गणेश (अ+ई=ए, sandhi)<ref name=":0" /> |
| | | |
| == समास-विधाः == | | == समास-विधाः == |
Line 149: |
Line 282: |
| ० कु-गति-प्रादि समास | | ० कु-गति-प्रादि समास |
| | | |
− | ० उपपद-समास | + | ० उपपद-समास<ref name=":1" /> |
| | | |
| == समासान्ताः == | | == समासान्ताः == |
Line 162: |
Line 295: |
| ऋचः अर्धम् => अर्ध+ऋच् => अर्धर्च् + अ => अर्धर्च => अर्धर्चः | | ऋचः अर्धम् => अर्ध+ऋच् => अर्धर्च् + अ => अर्धर्च => अर्धर्चः |
| | | |
− | जलस्य पन्थाः => जलपथिन् + अ => जलपथ => जलपथः | + | जलस्य पन्थाः => जलपथिन् + अ => जलपथ => जलपथः<ref name=":1" /> |
| | | |
| === ऋक्पूर्ब्धू: पथामानक्षे === | | === ऋक्पूर्ब्धू: पथामानक्षे === |
Line 177: |
Line 310: |
| राज्ञः धूः => राजन् धुर् अ => राजधुरा | | राज्ञः धूः => राजन् धुर् अ => राजधुरा |
| | | |
− | जलस्य पन्थाः => जलपथिन् + अ => जलपथ => जलपथः | + | जलस्य पन्थाः => जलपथिन् + अ => जलपथ => जलपथः<ref name=":1" /> |
| | | |
| === राजाहःसखिभ्यश्टच् (५-४-९१) === | | === राजाहःसखिभ्यश्टच् (५-४-९१) === |
Line 188: |
Line 321: |
| उत्तमं अहः => उत्तम अहन् +टच् => उत्तमाह => उत्तमाहः | | उत्तमं अहः => उत्तम अहन् +टच् => उत्तमाह => उत्तमाहः |
| | | |
− | कृष्णस्य सखा => कृष्ण सखि टच् => कृष्णसख => कृष्णसखः | + | कृष्णस्य सखा => कृष्ण सखि टच् => कृष्णसख => कृष्णसखः<ref name=":1" /> |
| | | |
| === उरःप्रभृतिभ्यः कप् (५-४-९१) === | | === उरःप्रभृतिभ्यः कप् (५-४-९१) === |
Line 199: |
Line 332: |
| नास्ति अर्थः यस्य सः अनर्थ कप् => अनर्थक => अनर्थकः | | नास्ति अर्थः यस्य सः अनर्थ कप् => अनर्थक => अनर्थकः |
| | | |
− | प्रियं सर्पिः यस्य सः प्रियसर्पिस् कप् => प्रियसर्पिष्कः | + | प्रियं सर्पिः यस्य सः प्रियसर्पिस् कप् => प्रियसर्पिष्कः<ref name=":1" /> |
| | | |
| === शेषाद्विभाषा (५-४-१५४) === | | === शेषाद्विभाषा (५-४-१५४) === |
Line 210: |
Line 343: |
| बहवः पुत्राः यस्य सः बहुपुत्रः/ बहुपुत्रकः । | | बहवः पुत्राः यस्य सः बहुपुत्रः/ बहुपुत्रकः । |
| | | |
− | प्रियः पन्थाः यस्य सः प्रियपथः । | + | प्रियः पन्थाः यस्य सः प्रियपथः ।<ref name=":1" /> |
| + | |
| + | == Summary of the Introduction == |
| + | • Samaasa - a Very prominent and useful feature of Sanskrit |
| + | |
| + | • Related subantas merge into single subanta with a new meaning based on the meaning of the merging subantas, for compactness of expression |
| + | |
| + | • The vibhakti of the padams involved gets lopa to form the samaasa praatipadikam, which then gets a relevant vibhakti like any other subantapadam |
| + | |
| + | • The vigrahavaakya explains the meaning relation between the words |
| + | |
| + | • Based on the role of Poorva and Uttara padam in the new meaning, samaasas are classified 4 ways at the top level |
| + | |
| + | • पूर्वपदप्रधान - अव्ययीभाव, उत्तरपदप्रधान - तत्पुरुष,उभयपदप्रधान - द्वन्द्व, अन्यपदप्रधान - बहुव्रीहि |
| + | |
| + | • Sandhi is sound-merge, samaasa is meaning-merge. A samaasa formation may involve sandhi if applicable.<ref name=":0" /> |
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